यह कहानी एक पुराने हवेली की है, जो एक सुनसान गाँव में स्थित थी। इस हवेली का नाम था “वेताल महल”। यह हवेली बहुत ही पुरानी थी और लोग कहते थे कि इसमें भूत-प्रेत बसते हैं।
एक दिन, एक युवक नामक अर्जुन अपने दोस्तों के साथ हवेली की खोज करने का फैसला किया। वे सब हवेली के बड़े गेट के सामने पहुँचे और वहाँ की अत्यंत भयंकर दृश्यों को देखकर हैरान रह गए।
हवेली के अंदर की दीवारें टूटी हुई थीं, और वहाँ का माहौल अत्यंत डरावना था। अर्जुन और उसके दोस्त डर के मारे बिलबिला रहे थे, लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं हारा।
हवेली के एक कमरे में वे एक विशाल पुराना पियानो देखते हैं। जब वे पियानो के पास जाते हैं, तो पियानो खुद बाजने लगता है, बिना किसी हाथ के। धीरे-धीरे, वे समझते हैं कि कोई आत्मा पियानो बजा रही है।
अर्जुन और उसके दोस्त डर से कांपते हुए दूसरे कमरे में जाते हैं, जहाँं एक बड़ा पुराना आयना है। आयने में वे अपने आवाज़ को सुनते हैं, लेकिन वे खुद नहीं दिखते।
फिर, एक बार वे वापस पियानो के पास जाते हैं, और पियानो से आवाज़ आती है, “क्या तुम मेरे साथ खेलना चाहोगे?” अर्जुन डर के मारे चुप हो जाता है, लेकिन उसका एक दोस्त कहता है, “हां, हम खेलना चाहेंगे।”
एक बार फिर पियानो खुद बाजता है, लेकिन इस बार अर्जुन के दोस्त भी पियानो के पास जाते हैं और अपने हाथ से बजाने लगते हैं। ऐसा लगता है कि पियानो के साथ खेलने के बाद हवेली के आत्मा संतुष्ट हो जाते हैं।
इसके बाद, वे तीनों दोस्त हवेली के बाहर निकलते हैं और देखते हैं कि हवेली का माहौल पहले की तरह नहीं डरावना है।
वे यह जानते हैं कि पियानो के साथ खेलने से हवेली के आत्मा को शांति मिल गई है, और वे तीनों दोस्त खुश होकर वहाँ से चले जाते हैं।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी डर को पास बुलाने के लिए हमें डर का सामना करना पड़ता है और हमें अपने डरों को पार करने के लिए आगे बढ़ना होता है।