Ads On phone :-अक्सर हमारे साथ होता है की जो बात हम किसी दोस्त या बंद कमरे अपने पार्टनर के साथ करते है उसका विज्ञापन कुछ देर के बाद हमारे फोन में दिखाई देने लग जाता है , यह कोई संयोग नहीं बल्कि आपका फ़ोन आपकी बाटे सुनता है इसे कैसे बंद करे आएगे जानते है इसके बारे में…. 

Ads On phone:-स्मार्टफोन और अन्य स्मार्ट डिवाइसेज़ का हमारी बातचीत सुनना एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। हाल ही में आई 404 मीडिया की एक रिपोर्ट ने इस समस्या को उजागर किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि न सिर्फ छोटे ऐप्स, बल्कि बड़ी टेक कंपनियां जैसे फेसबुक और गूगल भी यूज़र्स की बातचीत को सुनने के लिए ‘Active Listening Technology’ का इस्तेमाल कर रही हैं। यह टेक्नोलॉजी माइक्रोफोन के जरिए स्मार्टफोन या अन्य डिवाइस के पास हो रही बातचीत को रिकॉर्ड करती है, और फिर उसे यूज़र की सर्च हिस्ट्री और इंटरनेट एक्टिविटी से मिलाकर उनके लिए प्रासंगिक विज्ञापन दिखाती है।
ऐप परमिशन और Active Listening Technology का खतरा
जब भी हम कोई नया ऐप इंस्टॉल करते हैं, तो वो हमें कई तरह की परमिशन मांगता है जैसे कैमरा, माइक्रोफोन, लोकेशन आदि। अधिकतर लोग बिना सोचे-समझे या बिना ऐप के टर्म्स एंड कंडीशन्स पढ़े ही ये सभी परमिशन Allow कर देते हैं। इसी बीच कई ऐप्स माइक्रोफोन की परमिशन भी मांगते हैं, जो कई बार अनावश्यक होती है। उदाहरण के तौर पर, एक फोटो एडिटिंग ऐप को आपकी तस्वीरें एडिट करने के लिए माइक्रोफोन की परमिशन की जरूरत नहीं होनी चाहिए, फिर भी ये ऐप्स उसे मांगते हैं। इसका कारण यह है कि ये ऐप्स ‘Active Listening Technology’ का इस्तेमाल कर आपकी बातचीत सुन सकते हैं और उसे विज्ञापन दिखाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
स्मार्ट डिवाइसेज़ का उपयोग
यह समस्या सिर्फ स्मार्टफोन तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि आपके घर के स्मार्ट डिवाइस जैसे स्मार्ट टीवी, स्मार्ट स्पीकर आदि भी आपकी बातचीत को सुन सकते हैं। जैसे ही आपके डिवाइस का माइक्रोफोन ऑन होता है, यह बैकग्राउंड में हो रही बातचीत को रिकॉर्ड करके AI के जरिए उसकी विश्लेषण करता है। इसके बाद वो डेटा विज्ञापन कंपनियों के साथ साझा किया जाता है और आपको उसी से संबंधित विज्ञापन दिखने लगते हैं।
कॉक्स मीडिया ग्रुप की भूमिका
रिपोर्ट में एक और खुलासा हुआ कि मीडिया क्षेत्र के बड़े नाम, कॉक्स मीडिया ग्रुप (CMG), ने ऐसी तकनीक विकसित की है जो स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी, और अन्य डिवाइसेज़ के माइक्रोफोन का उपयोग करके आपकी बैकग्राउंड चैट को सुनने और विश्लेषण करने में सक्षम है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि इस समस्या का दायरा कितना बड़ा और खतरनाक हो सकता है।
इस तकनीक से बचाव कैसे करें?
- पर्मिशन को समझें और नियंत्रित करें: सबसे पहले और सबसे जरूरी कदम यह है कि किसी भी ऐप को डाउनलोड करते समय उसकी परमिशन को ध्यान से पढ़ें। माइक्रोफोन, कैमरा, लोकेशन जैसी संवेदनशील परमिशन मांगने वाले ऐप्स से सावधान रहें। अगर ऐप को वास्तव में उन सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है, तो उन्हें अस्वीकार करें।
- सेटिंग्स में बदलाव करें: अपने स्मार्टफोन की सेटिंग्स में जाकर यह सुनिश्चित करें कि कौन से ऐप्स को माइक्रोफोन, कैमरा, और लोकेशन की परमिशन दी गई है। अगर कोई अनावश्यक ऐप इन सुविधाओं का उपयोग कर रहा है, तो तुरंत उस ऐप की परमिशन को बंद करें।
- स्मार्ट डिवाइस की सुरक्षा: स्मार्ट स्पीकर्स और स्मार्ट टीवी जैसे डिवाइसों की भी सेटिंग्स को चेक करें। सुनिश्चित करें कि वे आपकी अनुमति के बिना बैकग्राउंड में आपकी बातचीत को रिकॉर्ड न करें।
- वर्चुअल असिस्टेंट को बंद करें: कई स्मार्ट डिवाइसेज और फोन में वर्चुअल असिस्टेंट होते हैं जो आपकी आवाज सुनने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। आप चाहें तो इसे मैन्युअली बंद कर सकते हैं या फिर वॉयस एक्टिवेशन को डिसेबल कर सकते हैं।
- VPN और सिक्योरिटी ऐप्स का उपयोग करें: VPN का इस्तेमाल करने से आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी सुरक्षित रहती है। इसके अलावा, सिक्योरिटी ऐप्स का उपयोग करके आप यह देख सकते हैं कि कौन-सा ऐप आपकी अनुमति के बिना क्या कर रहा है।
टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के साथ हमारी प्राइवेसी को खतरे में डालने वाली घटनाएं भी बढ़ रही हैं। रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि हमारी बातचीत को सुनने और विज्ञापनों के लिए उसका विश्लेषण करने का चलन केवल कुछ छोटे ऐप्स तक सीमित नहीं है, बल्कि बड़ी कंपनियां भी इसका हिस्सा हैं। इसलिए हमें अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और स्मार्टफोन व अन्य स्मार्ट डिवाइसेज की परमिशन को ध्यान से जांचना चाहिए ताकि हम अपनी प्राइवेसी की सुरक्षा कर सकें।