Asaram:-राजस्थान हाईकोर्ट के द्वारा आसाराम को 11 साल के बाद एक बड़ी राहत मिल गई है , कोर्ट के द्वारा कहा गया है की आसराम को उपचार के लिए 7 दिन का पैरोल दिया जाता है आइए जानते है इसके बारे में….
Asaram Parole:-आसाराम बापू, जो एक समय में लाखों लोगों के लिए आध्यात्मिक गुरु माने जाते थे, आज अपनी काली करतूतों के चलते जेल की सलाखों के पीछे हैं। 2013 में एक नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले में जोधपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद, आसाराम का जीवन पूरी तरह बदल गया। एक समय वह आध्यात्मिक प्रवचन देने वाला व्यक्ति था, लेकिन अब वह कानून के शिकंजे में फंसा हुआ है।
घटना और गिरफ्तारी का विवरण
यह मामला अगस्त 2013 का है, जब जोधपुर पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी से पहले, एक किशोरी ने आरोप लगाया था कि आसाराम ने अपने आश्रम में उसके साथ बलात्कार किया। इस आरोप ने देशभर में सनसनी फैला दी और आसाराम की छवि पर गहरा धब्बा लगा। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार किया और मामले की जांच शुरू की।
गिरफ्तारी के बाद, आसाराम के खिलाफ कई और मामले भी सामने आए, जिनमें गुजरात के सूरत स्थित आश्रम में एक महिला शिष्या के साथ बलात्कार का मामला भी शामिल है। इस तरह के गंभीर आरोपों के चलते आसाराम को अदालतों में पेश किया गया, जहां उन्हें कड़ी सजा सुनाई गई।
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अदालत का फैसला और सजा
आसाराम को जोधपुर की एक पोस्को (Protection of Children from Sexual Offences) अदालत ने 2018 में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले ने एक बार फिर साबित किया कि कानून के सामने कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, बच नहीं सकता। आसाराम को जोधपुर की केंद्रीय जेल में भेज दिया गया, जहां से वह अब तक बाहर नहीं निकले हैं।
इसके अलावा, 2023 में गुजरात की एक ट्रायल कोर्ट ने भी आसाराम को अपने सूरत आश्रम में एक महिला शिष्या के साथ बलात्कार करने का दोषी ठहराया। इन सबके बावजूद, आसाराम और उनके वकीलों ने कई बार अदालत से रिहाई की गुहार लगाई, लेकिन हर बार अदालत ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
स्वास्थ्य और पैरोल की मांग
आसाराम की उम्र बढ़ने और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते, उनके वकीलों ने बार-बार अदालत से पैरोल की मांग की। इस साल, आसाराम को तेज सीने में दर्द के कारण एम्स जोधपुर में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज हुआ। इसके बाद, उनके वकीलों ने राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि आसाराम का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है और उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिलनी चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया कि आसाराम की उम्र 85 साल से अधिक है और वह कई दिल के दौरे झेल चुके हैं। उनके वकीलों ने यह दलील दी कि अगर आसाराम को उनकी पसंद के अस्पताल में इलाज नहीं मिला, तो उनकी जेल में मौत हो सकती है, जो कि उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा।
हाई कोर्ट का फैसला और पैरोल
राजस्थान हाई कोर्ट ने इस बार आसाराम को चिकित्सा के आधार पर 7 दिनों की अंतरिम पैरोल दी है। कोर्ट ने आदेश दिया कि आसाराम को पुलिस कस्टडी में महाराष्ट्र ले जाया जाएगा, जहां उनका इलाज होगा। यह राहत मिलने के बाद, आसाराम के समर्थकों में खुशी की लहर है, लेकिन कानून के जानकारों का मानना है कि यह पैरोल सिर्फ इलाज के लिए है और इससे उनकी सजा में कोई बदलाव नहीं होगा।
आसाराम की यह पैरोल हाई कोर्ट के जस्टिस डॉक्टर पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने मंजूर की है। इस फैसले के बाद भी, आसाराम का जेल जीवन खत्म नहीं हुआ है, और उन्हें अपनी बाकी की सजा जेल में ही काटनी होगी।
आसाराम का मामला यह दर्शाता है कि कानून के सामने कोई भी व्यक्ति बच नहीं सकता, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। उनकी गिरफ्तारी, सजा और अब पैरोल की मांग ने यह साबित किया है कि न्याय की प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन अंततः सच्चाई की जीत होती है। आसाराम के समर्थकों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, लेकिन कानून के नियमों के अनुसार, उन्हें अपनी सजा काटनी होगी।