Asteroid:-2024 RN16 नामक 110 फीट चौड़ा एक क्षुद्रग्रह आज, 14 सितंबर 2024 को 08:46 UTC (2:16 PM IST) पर पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा। यह अंतरिक्ष चट्टान 104,761 किमी/घंटा की तेज़ गति से यात्रा कर रही है और पृथ्वी से लगभग 1.6 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर होगी, जाने पूरी खबर ?
Asteroid september 15 2024:-14 सितंबर, 2024 को, 2024 RN16 नामक एक 110 फीट चौड़ा क्षुद्रग्रह पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा। इस क्षुद्रग्रह की गति लगभग 104,761 किमी/घंटा है और यह पृथ्वी से 1.6 मिलियन किलोमीटर की दूरी से गुजरते हुए 08:46 UTC (2:16 PM IST) पर देखा जाएगा। नासा के मुताबिक, यह क्षुद्रग्रह अपोलो क्षुद्रग्रह समूह से संबंधित है। अपोलो क्षुद्रग्रह वे खगोलीय पिंड होते हैं जिनकी कक्षाएँ सूर्य के चारों ओर होती हैं और कभी-कभी ये पृथ्वी के पथ को पार कर सकते हैं। इस समूह का नाम 1862 अपोलो नामक क्षुद्रग्रह के नाम पर रखा गया है, जो पहली बार खोजा गया था।
क्या है अपोलो क्षुद्रग्रह समूह का महत्व?
अपोलो क्षुद्रग्रहों की कक्षाएँ इस तरह होती हैं कि ये सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा को भी पार करती हैं। यह उन्हें पृथ्वी के निकट पहुंचने के लिए सक्षम बनाता है। 2024 RN16 जैसे क्षुद्रग्रह, जब पृथ्वी के करीब आते हैं, तो वैज्ञानिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर होता है कि वे इन पिंडों का अध्ययन कर सकें। नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) द्वारा इन क्षुद्रग्रहों पर लगातार नज़र रखी जाती है ताकि पृथ्वी के लिए किसी भी संभावित खतरे का मूल्यांकन किया जा सके।
क्या 2024 RN16 पृथ्वी के लिए खतरा है?
हालांकि 2024 RN16 पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा, नासा के अनुसार, यह टकराने का कोई सीधा खतरा नहीं है। लेकिन यदि यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता, तो इसका प्रभाव अत्यधिक विनाशकारी हो सकता था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराता, तो यह जमीन से लगभग 29 किलोमीटर की ऊंचाई पर विस्फोट करता, और इस विस्फोट से 16 मेगाटन TNT के बराबर ऊर्जा निकलती। इस ऊर्जा से उत्पन्न शॉकवेव गंभीर प्रभाव डाल सकती थी, हालांकि जमीन पर सीधा असर नहीं होता। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी घटनाएं औसतन हर 990 साल में एक बार होती हैं।
नासा और इसरो की भूमिका: ग्रह रक्षा के प्रयास
नासा का CNEOS और इसरो जैसे संगठन लगातार पृथ्वी के पास से गुजरने वाले खतरनाक क्षुद्रग्रहों पर नजर बनाए रखते हैं। इसके लिए वे दुनिया भर की वेधशालाओं से डेटा एकत्र करते हैं और शौकिया खगोलविदों की मदद से इन पिंडों के पथ का अध्ययन करते हैं। गोल्डस्टोन सोलर सिस्टम रडार जैसी तकनीक का उपयोग करके इन क्षुद्रग्रहों के पथ को और अधिक सटीक किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पृथ्वी को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है।
इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) भी क्षुद्रग्रह अपोफिस पर गहरी नजर रख रहा है। अपोफिस, जिसका नाम मिस्र के अराजकता के देवता के नाम पर रखा गया है, 13 अप्रैल, 2029 को पृथ्वी के बेहद करीब आने वाला है। यह क्षुद्रग्रह काफी बड़ा है, और यह भारत के INS विक्रमादित्य विमानवाहक पोत और अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम से भी बड़ा है। इसरो ने हाल ही में अपने ग्रहीय रक्षा डोमेन को स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य बाहरी खतरों से पृथ्वी की सुरक्षा करना है।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा है कि “बड़ा क्षुद्रग्रह हमला मानवता के लिए एक वास्तविक खतरा है। इसरो इसका आकलन कर रहा है और हमारा नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA) अपोफिस पर कड़ी नजर रख रहा है।”
क्षुद्रग्रह अपोफिस: 2029 की घातक संभावना
अपोफिस को 2004 में खोजा गया था, और इसका पृथ्वी के करीब आना खगोलविदों और वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय रहा है। 2029 में, यह पृथ्वी से केवल 32,000 किलोमीटर की दूरी पर होगा, जो कई भूस्थिर उपग्रहों से भी ज्यादा नजदीक है। हालांकि कई अध्ययनों के अनुसार, यह पृथ्वी से टकराने की संभावना नहीं है, फिर भी इसकी निकटता चिंता का कारण है।
पिछले क्षुद्रग्रह प्रभाव: लोनार क्रेटर
महाराष्ट्र में लोनार झील जैसे पिछले प्रभाव उदाहरण हैं, जहां 500,000 साल पहले एक उल्का टकराया था, जिससे वहां एक क्रेटर झील बनी थी। इस प्रकार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि ऐसे खगोलीय पिंडों से होने वाले प्रभाव का क्या खतरा हो सकता है।
वैश्विक सहयोग और भविष्य की योजनाएं
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां अपोफिस जैसे क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करने और संभावित रूप से उन्हें मोड़ने के लिए मिशन की योजना बना रही हैं। नासा का ओएसआईआरआईएस-आरईएक्स मिशन, जिसने पहले दूसरे क्षुद्रग्रह से नमूने लिए थे, को अपोफिस पर पुनर्निर्देशित किया जा रहा है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी भी संभावित भारतीय सहयोग के साथ 2028 में RAMSES (रैपिड अपोफिस मिशन फॉर सिक्योरिटी एंड सेफ्टी) नामक एक मिशन लॉन्च करने की योजना बना रही है।
निष्कर्षतः, 2024 RN16 और अपोफिस जैसे क्षुद्रग्रहों का अध्ययन और उनके पथ की निगरानी ग्रह रक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अंतरिक्ष विज्ञान में ऐसे खतरों का आकलन और उनसे बचाव के उपाय करना हमारे भविष्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।