Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha :-भारत के लोगो को 500 वर्षों इंतिजार करने बाद यह मंदिर बन गया है और पीएम नरेंद्र मोदी ने विधिवत राम मंदिर में पूजन किया और राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई.
Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha:-500 वर्षो के बाद और लम्बी संघर्ष के बाद यह मंदिर बनकर तैयार हो गया है , भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा रामलला की अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. इस प्राण प्रतिष्ठा के लिए गर्भ गृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठे थे.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा चांदी का छत्र लेकर राम मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे थे.
अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की शुरुआत मंगल ध्वनि के बीच हुई. पांच साल पुरानी रामलला की भव्य पांच फीट ऊंची प्रतिमा का आखिरकार दुनिया के सामने अनावरण किया गया. यह समारोह शंखनाद और हेलिकॉप्टर से मंदिर पर फूलों की वर्षा के बीच पूरा हुआ. रामलला की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार योगीराज अरुण का कहना है की , ‘मुझे लगता है कि मैं इस धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं सपनों की दुनिया में हूं.’
राम मंदिर के लिया बनाया गया ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि राम मंदिर के लिए देशभर के लोगों ने दिल खोलकर दान दिया है. देश का ऐसा कोई कोना नहीं रहा है जहां से राम के लिए उपहार ना आए हों. उन्होंने बताया कि मंदिर के लिए घंटा कासगंज से आया तो नीचे पड़ने वाली राख रायबरेली के ऊंचाहार से आई है. गिट्टी मध्य प्रदेश के छतरपुर से पहुंची तो ग्रेनाइट तेलंगाना से आया. पत्थर राजस्थान के भरतपुर से पहुंचा तो दरवाजों की लकड़ी महाराष्ट्र से. उस दरवाजे पर सोने और डायमंड का काम मुंबई के एक व्यापारी का है.
उन्होंने कहा कि जिन्होंने बनाया वह मैसूर के हैं. गरुण की मूर्ति राजस्थान के कलाकार ने बनाई है. लकड़ी के काम के कारीगर कन्याकुमारी के हैं और कपड़े और भगवान के वस्त्र दिल्ली के एक युवक मनीष त्रिपाठी ने बनाए. आभूषण लखनऊ से बनवाए गए हैं. इनकी नक्काशी राजस्थान में हुई है. देश का ऐसा कोई कोना नहीं है जहां से राम मंदिर के लिए समर्पण ना आया हो.
राम मंदिर के बारे में क्या खास है:-
- पारंपरिक नागर शैली में अयोध्या का भव्य राम मंदिर बना है. निर्माण पूरी तरह से देश की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक से किया गया है.
- परिसर 380 फुट लंबा (पूरब-पश्चिम दिशा), 250 फुट चौड़ा और 161 फुट ऊंचा है.
- मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फुट ऊंची है. इसमें कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार हैं.
- मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र अंकित हैं.
- भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बाल स्वरूप (श्री रामलला की मूर्ति) को रखा गया है.
- मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूरब दिशा में है, जहां ‘सिंह द्वार’ के माध्यम से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जा सकता है.
- मंदिर में पांच मंडप- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्राथना मंडप और कीर्तन मंडप हैं.
- मंदिर के पास सीता कूप है, जो प्राचीन काल का एक ऐतिहासिक कुआं है.
- कुबेर टीला में मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में जटायु की मूर्ति की स्थापना के अलावा प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है.
- मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
- जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का उपयोग करके 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है.
- मंदिर परिसर में जल शोधन संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और अपना बिजली स्टेशन है.