Ayodhya:-अयोध्या की फैक्ट्री में कलावा पहने कर्मचारियों को रोकने पर बवाल, धार्मिक भेदभाव का आरोप

Ayodhya:-अयोध्या की एक फैक्ट्री से सामने आए एक वीडियो ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है, जिसमें दिखाया गया है कि फैक्ट्री के गेट पर कलावा (हिंदू धार्मिक धागा) पहने हुए कर्मचारियों को प्रवेश से रोक दिया गया, जाने पूरी खबर ?Ayodhya

Ayodhya News:-उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने धार्मिक भेदभाव और असमानता के मुद्दे को लेकर व्यापक बहस छेड़ दी है। एक वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि अयोध्या की एक फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों के हाथ में बंधे कलावे (हिंदू धार्मिक धागा) को काटकर अलग किया जा रहा है। कर्मचारियों को फैक्ट्री में प्रवेश करने से पहले उनका कलावा काटने की शर्त रखी गई थी। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया और इसके बाद भारी विरोध शुरू हो गया।

फैक्ट्री में प्रवेश के लिए ‘कलावा हटाने’ की शर्त

वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि फैक्ट्री के गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी कलावा पहने कर्मचारियों से उनका धागा काटने का आदेश दे रहे हैं। कर्मचारियों के हाथ से कलावा काटकर एक जगह इकट्ठा किया गया और उसके बाद ही उन्हें फैक्ट्री में प्रवेश की अनुमति दी गई। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की नाराजगी बढ़ने लगी और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की बात उठाई जाने लगी।

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अयोध्या में धार्मिक भावनाओं को ठेस

अयोध्या, जो कि भगवान राम की नगरी और एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जानी जाती है, वहां इस प्रकार की घटना से लोगों में आक्रोश फैल गया है। कई धार्मिक संगठनों और नेताओं ने इसे हिंदू भावनाओं के खिलाफ एक साजिश बताया और इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने के बाद, कई यूजर्स ने फैक्ट्री के खिलाफ आवाज उठाई और इसे हिंदू धर्म के प्रति असंवेदनशील कदम कहा।

कलावा और तिलक पर पहले भी हो चुका है विवाद

यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में इस तरह के मामले सामने आए हैं। इससे पहले भी कलावा और तिलक पर प्रतिबंध लगाने के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें खासकर मुस्लिम समुदाय से जुड़े व्यक्तियों द्वारा ऐसे फरमान जारी किए गए थे। उदाहरण के लिए, अमरोहा जिले के गजरौला में एक मुस्लिम प्रिंसिपल द्वारा ऐसा ही एक फरमान जारी किया गया था, जिसमें छात्रों को कलावा बांधने, तिलक लगाने और प्रार्थना में हाथ जोड़ने से मना किया गया था।

अमरोहा का विवादित मामला

अमरोहा के पियर्स इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल मोहसिन ने हिंदू छात्रों को धार्मिक प्रतीक चिन्ह जैसे कलावा और तिलक के इस्तेमाल से मना कर दिया था। उन्होंने यह भी आदेश दिया कि जुम्मे के दिन स्कूल की छुट्टी रहेगी, जबकि यह आदेश पहले से स्थापित परंपराओं के विपरीत था। जब इस फैसले का विरोध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा किया गया, तो स्कूल में भारी हंगामा हुआ। प्रिंसिपल को बाद में अपना निर्णय बदलना पड़ा, और विरोध के दबाव में उन्होंने एक हिंदू छात्र के हाथ पर कलावा बांधा और तिलक भी लगाया।

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रामपुर में भी हुआ था विरोध

रामपुर जिले में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज धमोरा में एक मुस्लिम टीचर ने छात्रों के तिलक और कलावा पहनने पर आपत्ति जताई थी। इस मामले में भी छात्रों ने अपने परिजनों से शिकायत की, जिसके बाद स्कूल के प्रिंसिपल से बात की गई और टीचर के व्यवहार पर नाराजगी जताई गई। ABVP के हस्तक्षेप के बाद, स्कूल प्रशासन ने मुस्लिम टीचर फिरदौस के खिलाफ कार्रवाई की और उन्हें नौकरी से हटा दिया।

लोगों की मांग और सरकार की प्रतिक्रिया

अयोध्या की फैक्ट्री की घटना के बाद, लोगों ने सोशल मीडिया पर भारी विरोध जताया है। कई लोगों का मानना है कि इस तरह का फैसला धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है, जो कि संविधान द्वारा संरक्षित है। लोगों ने मांग की है कि फैक्ट्री प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और ऐसे भेदभावपूर्ण फैसलों को रोका जाए।

वहीं, कुछ लोगों ने इसे फैक्ट्री प्रबंधन की अपनी आंतरिक नीति का हिस्सा बताया है, जिसमें किसी धार्मिक प्रतीक को कार्यस्थल पर पहनने की अनुमति नहीं होती है। हालांकि, फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक और धार्मिक संगठनों द्वारा इस मामले को लेकर विरोध तेज होता जा रहा है।

इस घटना ने धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक अधिकारों और कार्यस्थल पर धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल के मुद्दों को फिर से उजागर किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में सरकार और स्थानीय प्रशासन क्या कदम उठाते हैं। साथ ही, यह भी जरूरी है कि इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों पर सही ढंग से विचार किया जाए ताकि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचे और समाज में सौहार्द बना रहे।

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