Bangladesh News:-बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ अत्याचार और हिंसा का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार मामला इस्कॉन के प्रमुख पुजारी और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की हिरासत से जुड़ा है, जाने पूरी खबर ?
Bangladesh News:-बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार और उनके अधिकारों की आवाज उठाने वाले इस्कॉन के पुजारी और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को ढाका एयरपोर्ट पर हिरासत में ले लिया गया। पुलिस का कहना है कि उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है, जबकि हिंदू संगठनों का दावा है कि यह सिर्फ हिरासत नहीं, बल्कि उनकी गिरफ्तारी है।
मामला
अक्टूबर के अंत में बांग्लादेश सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास पर राजद्रोह का केस दर्ज किया था। यह मामला चटगांव में उनकी अगुवाई में निकाली गई एक रैली से जुड़ा है। इस रैली में भारी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग शामिल हुए थे। रैली में दास ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार और हिंसा का विरोध करते हुए हिंदुओं की एकजुटता का आह्वान किया था।
सरकार ने आरोप लगाया है कि इस रैली में देश की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। सबसे बड़ा आरोप यह है कि रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया। शिकायत के मुताबिक, चटगांव के न्यू मार्केट चौराहे पर जब छात्र सरकार विरोधी प्रदर्शन कर रहे थे, उसी दौरान इस्कॉन समूह ने राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर अपना धार्मिक झंडा फहरा दिया। इसे देश की अखंडता के खिलाफ माना गया और पुलिस ने इसे राजद्रोह का आधार बताया।
चिन्मय कृष्ण दास
सोमवार को जब चिन्मय कृष्ण दास ढाका एयरपोर्ट पहुंचे, तो उन्हें पुलिस ने तुरंत हिरासत में ले लिया। पुलिस का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि उन्हें संदेह था कि दास देश से बाहर जाकर बांग्लादेश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर शिकायत कर सकते हैं।
कौन हैं चिन्मय कृष्ण दास?
चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में इस्कॉन के प्रमुख पुजारी और हिंदू नेता हैं। वह लंबे समय से हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। दास ने देश के कई हिस्सों में रैलियां की हैं और हमेशा हिंदू समुदाय को उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया है।
सरकार
चिन्मय कृष्ण दास का बांग्लादेश में हिंदुओं के हक की लड़ाई लड़ना मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार को खटक रहा था। दास की चटगांव रैली में भारी संख्या में हिंदुओं का इकट्ठा होना सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया। सरकार को डर था कि यह रैली उनके खिलाफ असंतोष बढ़ा सकती है।
हिंदू समुदाय
चिन्मय कृष्ण दास की हिरासत से हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश है। हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक अल्पसंख्यकों की आवाज दबाने का प्रयास बताया है। उनका कहना है कि यह कदम बांग्लादेश में हिंदू विरोधी मानसिकता को उजागर करता है।
पुलिस
पुलिस का तर्क है कि दास पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं और उनकी रैली ने राष्ट्रीय एकता को खतरे में डाला। पुलिस ने यह भी कहा कि वह दास की गतिविधियों की पहले से निगरानी कर रही थी और उन्हें देश छोड़ने से रोकने के लिए कार्रवाई की गई।
चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ राजद्रोह का केस चलाया जाएगा। उनका समर्थन करने वाले हिंदू संगठन और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन इस मामले को लेकर बांग्लादेश सरकार पर दबाव बना सकते हैं।
यह मामला एक बार फिर से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति और उनके अधिकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है। हिंदू समुदाय और उनके नेताओं को किस हद तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।