Bangladesh के युवा क्रांति के छह महीने बाद भी बेरोजगारी की आग में झुलस रहे हैं

Bangladesh के युवा इस समय एक विचित्र और दर्दनाक परिस्थिति से गुजर रहे हैं। बीते साल तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए युवाओं ने अपने प्राणों की बाजी लगाई। जाने वहा के हालात ? Bangladesh

 

Bangladesh Condition:-बांग्लादेश के युवाओं ने एक समय इतिहास रचते हुए तानाशाही सरकार को सत्ता से हटाया। उन्हें उम्मीद थी कि इस क्रांति के बाद उनका भविष्य उज्ज्वल होगा और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान मिलेगा। लेकिन हालात उम्मीदों के बिलकुल उलट हैं। बेरोजगारी और आर्थिक समस्याएं, जिन मुद्दों के लिए उन्होंने क्रांति की थी, अब और भी गंभीर हो गई हैं।

क्रांति के बाद भी हालात क्यों नहीं बदले?

बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (बीबीएस) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बेरोजगारी दर में कमी आने के बजाय बढ़ोतरी हुई है। सितंबर 2024 के अंत तक 17 करोड़ की आबादी वाले देश में नौकरी की तलाश कर रहे लोगों की संख्या 26.6 लाख तक पहुंच गई, जो पिछले साल के 24.9 लाख से लगभग 6 प्रतिशत अधिक है।

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देश में बेरोजगारी का मुख्य कारण आर्थिक गतिविधियों में गिरावट है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी चेतावनी दी है कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ गई है। महंगाई दहाई के आंकड़ों को छू रही है, टैक्स वसूली कमजोर हो गई है और सरकारी खर्च बढ़ता जा रहा है।

युवाओं के टूटते सपने

ढाका विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद रिजवान चौधरी का कहना है, “हमने सोचा था कि क्रांति के बाद हमारे लिए नए अवसर पैदा होंगे। लेकिन अब लग रहा है कि सरकार को हमारे मुद्दों की चिंता ही नहीं है।” चौधरी ने यह भी बताया कि बेरोजगारी आज भी उतनी ही बड़ी समस्या है, जितनी क्रांति से पहले थी।

एक अन्य युवा, शुक्कुर अली, जो 31 साल के हैं और साहित्य में स्नातक हैं, अपने बीमार माता-पिता का भरण-पोषण करने के लिए छोटे-मोटे काम करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा, “मैं पहले बैंकों या शैक्षणिक संस्थानों में सफेदपोश नौकरियों के लिए आवेदन करता था। अब मैं सिर्फ एक नौकरी की तलाश में हूं, चाहे वह कोई भी हो।”

शिक्षित बेरोजगारी 

बीबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक, बेरोजगारों में 87 प्रतिशत शिक्षित युवा हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी नौकरियों की कमी क्यों है? स्वतंत्र विश्लेषक जाहिद हुसैन, जो ढाका में विश्व बैंक के पूर्व प्रमुख अर्थशास्त्री हैं, का कहना है कि बांग्लादेश का लगभग एक तिहाई श्रमबल जो भी काम मिल सके, उससे गुजारा कर रहा है।

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सरकार की कोशिशें 

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का कहना है कि वह इस स्थिति को सुधारने के लिए काम कर रही है। सरकार के प्रवक्ता शफीकुल आलम ने कहा, “हम मजबूत टैक्स संग्रह प्रणाली विकसित कर रहे हैं, ताकि सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जा सके और अधिक नौकरियां पैदा हो सकें।” लेकिन यह प्रक्रिया धीमी है और इसके नतीजे तुरंत दिखाई नहीं दे रहे।

निजी क्षेत्र में नौकरियों की कमी

बांग्लादेश में हर साल लगभग 7 लाख युवा कॉलेज से स्नातक होते हैं। लेकिन सरकारी क्षेत्र केवल 20,000 से 25,000 स्नातकों को ही रोजगार दे सकता है। देश का निजी क्षेत्र 85 प्रतिशत नौकरियां प्रदान करता है, लेकिन यहां भी स्थिति चिंताजनक है। 5 अगस्त 2024 के बाद से दोनों क्षेत्रों में भर्तियों की गति धीमी रही है।

विदेशी निवेश में गिरावट

बांग्लादेश के रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, शेख हसीना के शासन के दौरान विदेशी निवेश 61.4 करोड़ डॉलर था। लेकिन जुलाई से नवंबर 2024 के बीच यह घटकर सिर्फ 17.7 करोड़ डॉलर रह गया। विदेशी निवेश की कमी से देश में नए उद्योगों का विकास ठप पड़ गया है और रोजगार के अवसर सीमित हो गए हैं।

युवाओं का सरकार

क्रांति के बाद युवाओं को उम्मीद थी कि उनके प्रतिनिधि उनकी आवाज बनेंगे। मोहम्मद रिजवान चौधरी ने कहा, “हमारे प्रतिनिधि कैबिनेट में हैं, लेकिन उनकी आवाज सुनी नहीं जा रही।”

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों में नौकरियों के अवसर बढ़ाने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे। इसके लिए विदेशी निवेश को आकर्षित करना, टैक्स सुधार लागू करना और शिक्षा प्रणाली को उद्योग की जरूरतों के अनुसार बदलना आवश्यक है।

बांग्लादेश के युवा आज भी बेहतर भविष्य की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन उनके सामने चुनौतियां पहाड़ जैसी हैं। यदि सरकार समय रहते ठोस कदम नहीं उठाती, तो यह असंतोष और बढ़ सकता है।

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