विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि राज्य की मतदाता सूची में 1.25 करोड़ अवैध प्रवासी शामिल हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद उन्हें बाहर कर दिया जाएगा। जाने पूरी खबर ? 

Bengal News:-नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शनिवार को एक बड़ा और विवादास्पद दावा करते हुए कहा कि बंगाल की वोटर लिस्ट में 1.25 करोड़ अवैध प्रवासी शामिल हैं और सरकार विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के ज़रिए इन सभी को बाहर करेगी।
📍कहाँ और क्या कहा शुभेंदु ने?
पूर्वी मेदिनीपुर जिले के तामलुक में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा:
“अगर बिहार में लगभग 50 लाख अवैध नामों को वोटर लिस्ट से हटाया गया है, तो पश्चिम बंगाल में यह संख्या 1.25 करोड़ तक हो सकती है।”
उन्होंने दावा किया कि ये लोग बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासी हैं, जो अवैध तरीके से भारत में रह रहे हैं और फर्जी वोटिंग में शामिल होते हैं।
शुभेंदु ने यह भी कहा कि:
“धार्मिक उत्पीड़न के कारण जो हिंदू भारत आए हैं, उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य केवल अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना है।”
⚠️ “मुख्यमंत्री को इस बार कोई नहीं बचा पाएगा”
अपने भाषण में शुभेंदु अधिकारी ने सीधे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि:
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“इस बार मुख्यमंत्री को कोई नहीं बचा पाएगा।”
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“सारी लूट-खसोट और भ्रष्टाचार खत्म होगा।”
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“जो लोग फर्जी वोटिंग में शामिल हैं, उन्हें अब बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।”
इतना ही नहीं, उन्होंने जिला स्तर के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने ईमानदारी से काम नहीं किया, तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
🟡 टीएमसी का तीखा पलटवार: “ये बयानबाज़ी सिर्फ मतदाताओं को बांटने के लिए है”
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने शुभेंदु अधिकारी के इस बयान को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश बताया है।
टीएमसी के प्रवक्ता देबांग्शु भट्टाचार्य ने कहा:
“अगर भाजपा के पास सच में 1.25 करोड़ अवैध प्रवासियों की जानकारी है, तो वो निर्वाचन आयोग को लिस्ट सौंपे। सिर्फ हवा में बात करने से कुछ नहीं होता।”
उन्होंने तंज कसते हुए पूछा:
“क्या शुभेंदु अधिकारी ने कभी रोहिंग्या देखा है? क्या उन्हें पता है वे कौन-सी भाषा बोलते हैं?”
🎯 विपक्षी वोटर्स को निशाना बनाने का आरोप
टीएमसी ने यह भी आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया का असली मकसद विपक्षी दलों के समर्थकों को वोटर लिस्ट से हटाना है।
भट्टाचार्य ने कहा कि:
“बिहार में, राजद को वोट देने वाले कई यादवों का नाम लिस्ट से हटाया गया है। अब वही काम पश्चिम बंगाल में भी करने की कोशिश हो रही है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि:
“इसका असर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों पर पड़ रहा है। लेकिन बंगाल के लोग, चाहे हिंदू हों या मुस्लिम, अपनी भाषा और पहचान से एकजुट हैं।”
शुभेंदु अधिकारी के इस बयान से बंगाल की राजनीति में फिर से ध्रुवीकरण की बहस तेज हो गई है।
जहाँ भाजपा इसे मतदाता सूची की सफाई और फर्जी वोटिंग रोकने का प्रयास बता रही है, वहीं टीएमसी इसे चुनावी रणनीति और सांप्रदायिक एजेंडा करार दे रही है।
अब देखना ये होगा कि क्या वाकई 1.25 करोड़ नामों की जांच और हटाने का काम शुरू होता है या फिर यह केवल एक चुनावी स्टंट साबित होता है।