देशभर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान और निर्वासन का अभियान जोरों पर है। इसी बीच महाराष्ट्र में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जाने पूरी खबर ? 

Maharashtra News:-देशभर में अवैध बांग्लादेशियों की पहचान और उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया चल रही है। कई राज्यों से ऐसे लोगों को पकड़ा जा रहा है, लेकिन महाराष्ट्र में इस मामले में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यह घोटाला सिर्फ अवैध घुसपैठ से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसमें सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत भी देखने को मिली है।
महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 40 हजार अवैध जन्म प्रमाण पत्र रद्द करने का फैसला किया है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है और इसे राज्य की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है।
कैसे हुआ यह बड़ा घोटाला?
इस घोटाले में महाराष्ट्र के कुछ जिलों में नायब तहसीलदारों ने बिना किसी अधिकार के हजारों अवैध जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिए।
- सरकारी नियमों के अनुसार, जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार केवल नगर निगम, नगर परिषद और ग्राम पंचायतों को होता है।
- नायब तहसीलदार के पास जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं था, फिर भी उन्होंने लगभग 40 हजार लोगों को फर्जी तरीके से यह प्रमाण पत्र दे दिए।
- यह प्रमाण पत्र ज्यादातर बांग्लादेशी घुसपैठियों को दिए गए, ताकि वे भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकें।
इस घोटाले में अकोला, अमरावती, नागपुर और मालेगांव जैसे जिलों का नाम सामने आया है, जहां बड़ी संख्या में अवैध प्रमाण पत्र जारी किए गए।
क्यों दिया गया जन्म प्रमाण पत्र?
अवैध रूप से भारत में दाखिल होने वाले बांग्लादेशियों के लिए नागरिकता, राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य सरकारी सुविधाएं हासिल करना जरूरी होता है। इसीलिए कुछ दलाल और सरकारी कर्मचारी मिलकर इन्हें फर्जी जन्म प्रमाण पत्र दिलाने का खेल खेलते हैं।
- जब किसी के पास भारतीय जन्म प्रमाण पत्र होता है, तो उसे आसानी से नागरिकता के लिए आवेदन करने का मौका मिल जाता है।
- इसके जरिए वे सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा सकते हैं और किसी को शक नहीं होता कि वे भारतीय नहीं हैं।
- इस प्रक्रिया में कुछ भ्रष्ट अधिकारी और स्थानीय बिचौलिए पैसे लेकर यह काम करते हैं।
लेकिन अब सरकार ने इस पूरे घोटाले पर कड़ा रुख अपनाया है और इन 40,000 फर्जी प्रमाण पत्रों को रद्द करने का आदेश दिया है।
सरकार के इस फैसले का क्या असर होगा?
महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से कई बड़े प्रभाव होंगे:
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अवैध बांग्लादेशियों की पहचान होगी
- जब उनके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं रहेगा, तो वे नागरिकता के अन्य दस्तावेज नहीं बना पाएंगे।
- इससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा और उनकी पहचान उजागर होगी।
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राज्य की सुरक्षा मजबूत होगी
- फर्जी तरीके से रह रहे लोग सरकारी रिकॉर्ड में नहीं आएंगे, जिससे सुरक्षा एजेंसियां उन पर नजर रख सकेंगी।
- यह कदम आतंकवाद और अन्य अपराधों पर भी रोक लगाने में मदद करेगा।
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भ्रष्ट अधिकारियों और दलालों पर कार्रवाई होगी
- इस घोटाले में शामिल सरकारी कर्मचारियों और बिचौलियों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- यह भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े को रोकने में मदद करेगा।
अब आगे क्या होगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन बांग्लादेशियों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र रद्द किए गए हैं, उनका क्या होगा?
- क्या उन्हें भारत में रहने दिया जाएगा या फिर उन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाएगा?
- क्या इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होंगी?
- क्या सरकार और अवैध दस्तावेजों की जांच करेगी?
सरकार ने संकेत दिए हैं कि अवैध बांग्लादेशियों को जल्द ही वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हालांकि, इस पर अभी विस्तृत योजना नहीं बताई गई है।
लेकिन इतना तय है कि यह महाराष्ट्र में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है, जिससे हजारों अवैध घुसपैठियों पर असर पड़ेगा।
महाराष्ट्र में 40,000 अवैध जन्म प्रमाण पत्रों का रद्द होना यह दिखाता है कि कैसे अवैध घुसपैठ और भ्रष्टाचार एक साथ जुड़े हुए हैं। सरकार के इस फैसले से राज्य की सुरक्षा मजबूत होगी और अवैध नागरिकता घोटाले पर लगाम लगेगी। लेकिन अभी कई सवालों के जवाब बाकी हैं।