“मां” – एक ऐसा शब्द जिसमें पूरी दुनिया की ममता, प्रेम और सुरक्षा समाई होती है। मां अपने बच्चों के लिए हर दर्द झेलती है, उनके लिए हर बुरी ताकत से लड़ जाती है। जाने पूरी खबर ? 

Bihar news:-दुनिया में मां को भगवान से भी ऊपर माना जाता है। कहा जाता है कि मां अपने बच्चों के लिए हर मुसीबत से लड़ जाती है, उन्हें अपनी जान से भी ज्यादा चाहती है। लेकिन सोचिए अगर वही मां अपने ही बच्चों की जान लेने पर उतर आए, तो क्या होगा? ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है बिहार के औरंगाबाद जिले से, जहां एक मां ने ऐसा कदम उठाया कि सुनकर किसी की भी रूह कांप उठे।
स्टेशन पर बेसुध मिली मां और बच्चे
घटना बुधवार सुबह की है। औरंगाबाद के रफीगंज रेलवे स्टेशन पर एक महिला अपने चार छोटे बच्चों के साथ बेहोश हालत में पाई गई। पहले तो वहां मौजूद लोग कुछ समझ नहीं पाए, धीरे-धीरे भीड़ जुटने लगी। लेकिन जब रेलवे पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति साफ हुई, तो हर कोई हैरान रह गया।
पुलिस की शुरुआती जांच में जो सच सामने आया, वो दिल दहला देने वाला था। महिला ने अपने चारों बच्चों को ज़हर पिलाया था, और खुद भी आत्महत्या करने की कोशिश की थी।
तीन बच्चियों की मौत, बेटा जिंदगी की जंग में
रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिला की पहचान सोनिया देवी (उम्र 40 साल) के रूप में हुई है। उसने अपने चार बच्चों को ज़हर दे दिया। इनमें से तीन बेटियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक बेटा, जिसकी उम्र महज छह साल है, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है।
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के इंस्पेक्टर राम सुमेर और थाना अध्यक्ष शंभू कुमार ने बताया कि सभी को पहले स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने तीनों बच्चियों को मृत घोषित कर दिया। महिला और उसका बेटा अब भी गंभीर हालत में सदर अस्पताल में भर्ती हैं।
घरेलू झगड़े से जुड़ा है मामला?
पुलिस को शक है कि इस दर्दनाक घटना के पीछे घरेलू कलह हो सकता है। SHO शंभू कुमार ने बताया कि महिला और उसके पति के बीच पिछले कुछ समय से विवाद चल रहा था, जो शायद इस कदम की वजह बना।
फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। महिला के परिवार से पूछताछ की जा रही है और मृत बच्चियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि मौत की असली वजह का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट और ज़हर की जांच के बाद ही चल सकेगा।
इस घटना ने एक बार फिर से समाज को आईना दिखा दिया है। क्या घरेलू कलह इतनी बढ़ सकती है कि एक मां अपने ही बच्चों को मारने का फैसला कर ले? क्या उस महिला को कोई मदद नहीं मिल सकती थी?
यह सिर्फ एक दर्दनाक घटना नहीं है, बल्कि एक जगह छोड़ चुकी संवेदना की कहानी है, जो बताती है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य, परिवारिक रिश्तों और समय पर हस्तक्षेप पर अब गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है।