CAA :-चुनाव से पहले लागु हुआ सीएए , केंद्र सरकार ने जारी किया अधिसूचना।

CAA Notification:-देश के अंदर लागु हुआ सीएए(नागरिकता संशोधन अधिनियम) यह जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दी , जाने इसके बारे में पूरी खबर। CAA

CAA Implemented:-11 मार्च 2024 को देश में सीएए यानि की नागरिकता संशोधन अधिनियम लागु हो गया है। भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय सीएए की Notification जारी का दी है। मोदी सरकार का यह फैसला लोकसभा के ठीक पहले यह नियम आया है। जो की पुरे देश को चौंका दिया है। इस नोटिफिकेशन में यह साफ कर दिया है की यह किसी की भी नागरिक छीनने नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है.

किसको मिलेगा फायदा:-इस कानून को साल 2019 में संसद में लम्बी बहस के बाद इसे मंजूरी दे दी गई थी। इस कानून को देश में लागु होने के बाद आस पास के पडोसी देश जैसी की बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत के नागरीयता दी जाएगी। इस कानून के अंदर यह भी बताया गया है की साल 2015 से पहले जो लोग भारत में आए थे ,उसके ऊपर यह लागु होगा। ऐसा बताया जा रहा है की इस कानून की तैयारी पहले से कर दी गई थी। इसको लागु करने से पहले ही एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार कर लिया गया था। 

कैसे करे आवेदन?:-सीएए पूरी तरह से देश में लागु होने के बाद जो लोग बाहर से भारत के अंदर शरण ली थी यानि की गैर मुस्लिम लोग इस सीएए का आवेदन कर सकते है। आवदेन करने के लिए उन्हें दस्तावेजों के बिना यह बताना होगा की वो लोग भारत के अंदर क्यों आए थे इसकी पूरी जानकारी के साथ उनको आवदेन करना पड़ेगा। 

अमित शाह ने क्या कहा ?:-कुछ दिनों पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने यह साफ कर दिया था की यह सीएए लोकसभा पहले ही लागु होगा , उन्होंने यह भी बताया था की देश के इस अधिनियम को अधिसूचित कर दिया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह की जानकारी के अनुसार यह पहले की साफ था तो इसको लेकर कोई चौंकने की बात नहीं है। 

सबसे महत्वपूर्ण बात ?:- इस कानून को लेकर पहले भी विरोध हुआ था लेकिन अब साफ है की इसको लेकर किसी को डरने की जरुरत नहीं है , यह कोई अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ नहीं है। और इसको लेकर मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है और उकसाया जा रहा है. सीएए केवल उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं. यह किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.

किसने किया विरोध:-यह तो देश की परम्परा ही रही है की किसी भी कानून के आने के बाद या पहले उसका विरोध होता है जो की सही है जिससे उस कानून को अच्छे से समझ सके। लेकिन इस कानून का विरोध ममता बनर्जी ने किया उसके द्वारा कहना था की यह केवल बीजेपी का लोकसभा का चुनाव जितने के लिए कर रही है , इसलिए वो चुनाव से ठीक पहले यह कानून लेकर आई है। लेकिन इस कानून को वो बंगाल में इसकी अनुमति नहीं दूंगी.

ममता के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इस कानून की निंदा की है उन्होंने भाजपा सरकार पर सांप्रदायिक सद्भाव के खिलाफ जाने का आरोप लगाया. स्टालिन ने भी कसम खाई कि वह अपने राज्य में इस कानून को लागू नहीं करेंगे. भारत में यह लागु होकर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव कर रही है , और यह संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *