“कभी-कभी कुछ घटनाएं इंसानियत को शर्मसार कर देती हैं, और इंसाफ की लड़ाई सालों नहीं, बल्कि हर पल चीखती है कि न्याय मिले – और जल्द मिले। जाने इसके बारे में ? 

Chandigarh News:-चंडीगढ़ में जनवरी 2024 में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया था। एक 8 साल की मासूम बच्ची के साथ अपहरण, रेप और फिर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अब, करीब पांच महीने बाद, 3 जून 2025 को कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। आरोपी हीरालाल उर्फ गुड्डू को फांसी की सजा सुनाई गई है।
इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया गया, ताकि न्याय जल्दी मिल सके। कोर्ट के फैसले को पूरे शहर में न्याय की जीत और इंसाफ की मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। मगर उस बच्ची के माता-पिता के लिए यह दर्द शायद कभी खत्म नहीं होगा।
19 जनवरी 2024 की सुबह हलोमाजरा की रहने वाली एक छोटी बच्ची अचानक घर से लापता हो गई। परिवार ने पहले खुद उसकी तलाश की, मगर जब कोई सुराग नहीं मिला तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी।
पुलिस ने तुरंत इलाके की छानबीन शुरू की। जांच के दौरान पास ही के एक घर से खून से सने कपड़े मिले। इससे पुलिस को शक हुआ कि बच्ची के साथ कुछ बुरा हुआ है। दो दिन तक गहन तलाशी के बाद, तीसरे दिन बच्ची का शव राम दरबार के जंगलों में एक कूड़े के ढेर के पास मिला। शव अर्धनग्न था और उस पर चाकू के कई निशान थे। पोस्टमॉर्टम में इस बात की पुष्टि हुई कि बच्ची के साथ बलात्कार हुआ और फिर उसकी हत्या कर दी गई।
🕵️♂️ ऐसे पकड़ाया आरोपी
पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले और तमाम सबूतों को जोड़कर आरोपी तक पहुंचने की कोशिश की। कुछ ही समय में पुलिस ने पाया कि बच्ची के पड़ोस में रहने वाला हीरालाल उर्फ गुड्डू इस घटना के पीछे हो सकता है। वह घटना के बाद से गायब था।
सात दिन की मशक्कत के बाद पुलिस ने हीरालाल को बिहार के आरा जिले से गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अयोध्या का रहने वाला था, लेकिन लंबे समय से चंडीगढ़ में मजदूरी करता था।
डीएनए टेस्ट, फॉरेंसिक रिपोर्ट, गवाहों के बयान और अन्य सबूतों ने यह साबित कर दिया कि हीरालाल ही इस घिनौनी वारदात के पीछे था।
⚖️ कोर्ट का फैसला: “रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस”
कोर्ट ने सारे सबूतों को ध्यान में रखते हुए इस मामले को “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” की श्रेणी में रखा। हीरालाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 363 (अपहरण), 366 (गैरकानूनी रूप से ले जाना), 376 (बलात्कार) और POCSO एक्ट की धारा 6 (छोटे बच्चों के साथ यौन अपराध) के तहत दोषी ठहराया गया।
जज ने कहा –
“यह अपराध सिर्फ एक मासूम बच्ची के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे समाज की आत्मा के खिलाफ है। ऐसे अपराधियों को सिर्फ कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि समाज में डर और अनुशासन बना रहे।”
कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई, लेकिन यह सजा तभी लागू होगी जब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट इस पर अंतिम मुहर लगाएगा।
👪 परिवार को मिला सुकून, मगर दर्द अब भी ज़िंदा है
बच्ची के माता-पिता ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि उन्हें कुछ हद तक सुकून मिला है, लेकिन उनकी बेटी अब कभी वापस नहीं आएगी।
“उसने तो बस स्कूल जाना सीखा था… जिंदगी देखी भी नहीं थी…” – पिता की आंखें नम थीं।
मां ने कहा –
“हमें अब भी उसकी आवाज़ हर दिन सुनाई देती है… लेकिन अब वो सिर्फ यादों में है…”
🏙️ शहर में फैसले की सराहना
इस केस के दौरान चंडीगढ़ में कई बार कैंडल मार्च निकाले गए। लोगों ने सख्त कानून और त्वरित न्याय की मांग की थी। अब जब कोर्ट का फैसला आया है, तो शहर में राहत की भावना है।
कई सामाजिक संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि ऐसे अपराधियों को फौरन सजा मिलनी चाहिए ताकि समाज में यह संदेश जाए कि मासूमों से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
यह फैसला एक कड़ा संदेश जरूर देता है, लेकिन सवाल अब भी बाकी है – क्या हम अपने बच्चों को वाकई सुरक्षित रख पा रहे हैं?
ऐसी घटनाएं बार-बार समाज को झकझोरती हैं, और ये जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या कोर्ट की नहीं, बल्कि हम सबकी है। अगर हर पड़ोसी सजग हो, हर घर सतर्क हो और हर व्यक्ति संवेदनशील हो – तभी हम ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं।