Mission Moon: चीन में मौजूद सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की आवाज कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ISRO के चंद्रयान-3 की कही कमिया निकलने से बाज नहीं आ रहा है ग्लोबल टाइम्स ने एकबार फिर भारत के खिलाफ गिरी हुई हरकत की है. जानिए, भारत की सफलता पर चीनी अखबार ने क्या कहा है?
Chandrayaan-3 : वही एक और दुनिया Chandrayaan-3 की सफलता के बाद भारत और इसरो की तारीफ करते हुए थक नहीं रहे वही दूसरी और भारत के पडोशी देश चीन को भारत की सफलता पर मिर्ची लग रही है . इसरो के मिशन मून-3 की सफलता पर चीनी सरकार का मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने भारत को नीचा दिखाने के लिए गिरी हुई हरकत कर दी.23 अगस्त की शाम भारत का चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंड हुआ. इसके एक दिन बाद 24 अगस्त को चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक खबर छापी. इसमें चीन और भारत के मून मिशन (Moon Mission) की तुलना की गई थी.
क्या लिखा चीनी अख़बार में
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party Of China) की आवाज कहे जाना वाला ग्लोबल टाइम्स चंद्रयान-3 में कमियां निकालने लगा. उसने चीन और भारत के मून मिशन की तुलना करते हुए कहा कि चीन का मिशन भारत की अपेक्षा ज्यादा एडवांस है.सीनियर स्पेस साइंटिस्ट पैंग झिहाओ के हलावे से ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि साल 2010 के बाद ही चीन ऑर्बिटर और लैंडर को सीधे पृथ्वी-चंद्रमा ट्रांसफर ऑर्बिट में भेजने में काबिल हो चुका है लेकिन भारत के पास अब तक यह तकनीकी नहीं है. इसके अलावा चीन की टेक्नोलॉजी काफी एडवांस है जिससे ईंधन की बचत होती है और समय भी कम लगता है.
चीन और भारत के रोवर की तुलना में क्या क्या लिखा
चीनी अखबार ने भारत और चीन के रोवर की तुलना करते हुए कहा कि उनका रोवर काफी बड़ा है जबकि भारत का रोवर काफी छोटा है. जहां चीनी रोवर 140 किलोग्राम का है. वहीं, भारत का प्रज्ञान महज 26 किलोग्राम का है. दोनों की लाइफ के बारे में चीनी अखबार ने लिखा कि चीन के Yutu-2 रोवर ने सबसे लंबे समय तक चांद पर रहने का रिकॉर्ड बनाया हुआ है, वहीं भारत का प्रज्ञान महज एक दिन तक चांद पर रहेगा. हालांकि, चांद का एक दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. आपको बता दें कि चीन का रोवर परमाणु ऊर्जा से लैस है, इसकी वजह से यह लंबे समय तक चांद पर रहने के काबिल हो पाया है.
दुनिया ने की तारीफ
हालांकि, ग्लोबल टाइम्स ने यह जरूर कहा कि भारत और चीन को स्पेस साइंस में मिलकर काम करना चाहिए और यह ब्रिक्स व एससीओ मैकेनिज्म के अंदर रहते हुए करने की जरूरत है. ग्लोबल टाइम्स ने इशारा किया कि जो देश चीन के साथ स्पेस प्रोजेक्ट्स में मिलकर काम करना चाहता है, उसके लिए चीन के रास्ते खुले हुए हैं, लेकिन भारत और चीन के विकास प्रोजेक्ट्स के बीच भू-राजनीतिक वजहें दिक्कत पैदा करती रही हैं. आपको बता दें कि भारत के चंद्रयान-3 को दुनियाभर में लोगों ने सराहा है. गौरतलब है कि सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेन और पाकिस्तान सभी देशों ने भारत को चंद्रयान-3 की सफलता पर बधाई दी है.