चीन और अमेरिका के बीच तकनीक की जंग नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है. अब लड़ाई केवल लड़ाकू विमानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि स्पेस यानी अंतरिक्ष के वैक्यूम में भी डॉगफाइट की तैयारी शुरू हो चुकी है. जाने इसके बारे में ? 

China space war game plan:-आज की दुनिया में युद्ध सिर्फ बंदूक और बम से नहीं लड़े जाते, अब तकनीक ही सबसे बड़ी ताकत बन गई है। जिसके पास ज्यादा एडवांस टेक्नोलॉजी है, वही जंग जीतने की ओर एक कदम आगे होता है। इसी टेक्नोलॉजी की होड़ में अब दो महाशक्तियाँ – चीन और अमेरिका – पूरी तरह से जुट चुकी हैं। लेकिन अब यह लड़ाई सिर्फ आसमान या जमीन पर नहीं, अंतरिक्ष में भी देखने को मिल रही है।
🚀 स्पेस में डॉगफाइट! – चीन की बड़ी तैयारी
आपने एयर फोर्स के फाइटर प्लेनों के बीच ‘डॉगफाइट’ के बारे में सुना होगा, जहाँ दो लड़ाकू विमान एक-दूसरे के आमने-सामने हवा में भिड़ जाते हैं। लेकिन अब डॉगफाइट अंतरिक्ष में हो रही है!
हाल ही में चीन ने एक ऐसा स्पेस ड्रिल (अभ्यास) किया है जिसमें उसके सैटेलाइट्स ने लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में एक-दूसरे के साथ “डॉगफाइटिंग” जैसा अभ्यास किया। इस ड्रिल का मकसद था दुश्मन देशों के सैटेलाइट्स को ट्रैक करना और अगर ज़रूरत पड़ी तो उन्हें जैम या खत्म करना।
इस बात की पुष्टि भारत के चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (CISC) एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने एक सेमिनार में की। उन्होंने बताया कि चीन का सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम 2010 में सिर्फ 36 सैटेलाइट्स से शुरू हुआ था और अब 2024 तक वह 1000 से भी ज्यादा सैटेलाइट्स को लॉन्च कर चुका है। इनमें से 360 से अधिक सैटेलाइट्स इंटेलिजेंस, निगरानी (सर्विलांस) और जानकारी इकट्ठा करने (रिकोनिसेंस) के काम में लगे हुए हैं।
इतना ही नहीं, अप्रैल 2024 में चीन ने एक नई ऑटोनोमस एयरोस्पेस फोर्स भी बनाई है, जो सीधे चीन की सबसे ऊंची सैन्य कमान यानी CMC (Central Military Commission) को रिपोर्ट करेगी।
🇮🇳 भारत भी तैयार है – ISRO का स्पैडेक्स मिशन
अगर चीन अंतरिक्ष में युद्ध की तैयारी कर रहा है, तो भारत भी पीछे नहीं है। हमारे देश की स्पेस एजेंसी ISRO ने भी हाल ही में एक स्पेस डॉगफाइट जैसा टेस्ट करके दुनिया को चौंका दिया।
इसका नाम था SPADEX मिशन यानी Space Docking Experiment। इस मिशन का मकसद था दो सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में आपस में ऑटोमेटिक तरीके से जोड़ना (dock) और फिर उन्हें अलग (undock) करना।
लेकिन इस मिशन में ISRO के वैज्ञानिकों ने कुछ और ही कर दिखाया। उन्होंने दोनों भारतीय सैटेलाइट्स को 29,000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से अंतरिक्ष में एक-दूसरे के बहुत करीब लाकर, उनकी दिशा बदल दी। यह किसी डॉगफाइट से कम नहीं था – फर्क बस इतना था कि यह सब कुछ 28 गुना तेज रफ्तार से हुआ, जितनी तेज़ी से फाइटर जेट हवा में उड़ते हैं।
यह दिखाता है कि भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी अब इस मुकाम पर पहुंच चुकी है, जहाँ हम भविष्य की किसी भी अंतरिक्ष जंग के लिए तैयार हो सकते हैं।
🔫 मिशन शक्ति – भारत की एंटी-सैटेलाइट ताकत
भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी की बात करें तो हमें मिशन शक्ति को नहीं भूलना चाहिए। यह मिशन भारत ने 2019 में सफलतापूर्वक अंजाम दिया था।
इस मिशन के तहत भारत ने एक बैलेस्टिक मिसाइल के जरिए अपने ही सैटेलाइट को अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर की ऊंचाई पर मार गिराया था। यह एक तरह का ASAT (Anti-Satellite Weapon) टेस्ट था। इस टेस्ट के बाद यह साफ हो गया कि अगर कोई दुश्मन देश हमारे ऊपर नजर रखने के लिए सैटेलाइट भेजे, तो भारत के पास उसे नष्ट करने की पूरी क्षमता है।
अब यह बात साफ हो चुकी है कि भविष्य में जंग सिर्फ ज़मीन या समंदर तक सीमित नहीं रहेगी। जो देश स्पेस टेक्नोलॉजी में आगे होगा, वही बाकी दुनिया पर अपनी पकड़ बनाएगा।
चीन ने जहाँ अंतरिक्ष में डॉगफाइट करके अपनी मंशा दिखा दी है, वहीं भारत ने SPADEX और मिशन शक्ति जैसे मिशनों से यह जता दिया है कि हम भी पूरी तरह तैयार हैं।
अब आने वाले वक्त में अंतरिक्ष ही अगला युद्धक्षेत्र होगा – और इसमें सबसे तेज़, सबसे समझदार और सबसे तकनीकी रूप से सक्षम देश ही जीत पाएगा।