Cooler :-गर्मियों का सीजन शुरू हो गया है , जिसमे आप सभी ठंडक का ऐसास लेने के लिए आप सभी कूलर जानते है , जिसमे आपको गर्मी से राहत मिलती है। जाने कूलर के बारे में।
cooler:-कभी आप लोगो के दिमाग ऐसा ख्याल आया होगा की जो हमें गर्मी से राहत देने वाला कूलर इसको किसने और कैसे बनाया होगा। इसके बारे में आप सभी को एक छोटी से जानकारी देना चाहते है तो हम आपको पॉइंट से बताते है। पहले कूलर का इतिहास थोड़ा जटिल है.
महत्वपूर्ण जानकारी:-
- प्राचीन काल: मिट्टी के बर्तनों और लकड़ी के बक्से जैसे सरल कूलिंग डिवाइस का उपयोग सदियों से भोजन और पेय पदार्थों को ठंडा रखने के लिए किया जाता रहा है। इनमें अक्सर गीले कपड़े या घास का उपयोग करके वाष्पीकरणीय शीतलन शामिल होता था।
- 1800 के दशक: बर्फ का उपयोग करके भोजन और पेय पदार्थों को ठंडा रखने के लिए बर्फ के बक्से और रेफ्रिजरेटर विकसित किए गए थे। ये आमतौर पर अमीर लोगों के लिए ही किफायती थे।
- 1900 के दशक की शुरुआत: विद्युत ऊर्जा के आगमन के साथ, इलेक्ट्रिक रेफ्रिजरेटर का आविष्कार हुआ, जिसने भोजन को ठंडा रखने का एक अधिक किफायती और सुविधाजनक तरीका प्रदान किया।
- 1930 के दशक: भारत में, अब्दुल फ़तेह ने लकड़ी, टिन और कपड़े का उपयोग करके पहला आधुनिक डिज़ाइन वाला “देसी कूलर” विकसित किया। यह पंखे द्वारा संचालित वाष्पीकरणीय शीतलन प्रणाली का उपयोग करके हवा को ठंडा करता था।
- 1950 और 1960 का दशक: भारत में, देसी कूलर का व्यापक रूप से उपयोग किया जाने लगा, खासकर गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में। वे आज भी लोकप्रिय हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में और उन लोगों के बीच जिनके पास बिजली नहीं है।
भारत में, यह आमतौर पर वाष्पीकरणीय शीतलन प्रणाली वाले उपकरणों को संदर्भित करता है, जैसे कि देसी कूलर और आधुनिक एयर कूलर।