देश में एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, खासकर केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में। इस बार उछाल का कारण ओमिक्रॉन के नए सब-वेरिएंट JN.1 को माना जा रहा है, जाने पूरी खबर ? 

COVID-19 Is Back:-देश में एक बार फिर कोरोना वायरस के मामले बढ़ते नज़र आ रहे हैं। खासकर केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कोविड-19 संक्रमण में हाल ही में तेजी आई है। इस बार जो वेरिएंट सामने आया है, उसका नाम है JN.1, जिसे ओमिक्रॉन के BA.2.86 सब-वेरिएंट के रूप में पहचाना गया है। इसे आमतौर पर ‘पिरोला’ के नाम से जाना जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये नया वेरिएंट पहले के वेरिएंट्स से काफी अलग है और कुछ मामलों में ज़्यादा खतरनाक भी हो सकता है। आइए जानते हैं कि ये वेरिएंट क्या है, किसे इससे ज़्यादा खतरा है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
क्या है JN.1 वेरिएंट और क्यों है ये खास?
JN.1 को वैज्ञानिक भाषा में BA.2.86 वेरिएंट का हिस्सा माना जा रहा है, जो ओमिक्रॉन परिवार का ही एक सदस्य है। लेकिन इसमें करीब 30 जेनेटिक बदलाव हुए हैं, जो इसे पहले के वेरिएंट्स से अलग बनाते हैं।
इन बदलावों में सबसे अहम बात यह है कि ये वायरस अब शरीर की पहले से बनी इम्यूनिटी को चकमा देने में सक्षम हो गया है। यानी अगर आपको पहले कोविड हो चुका है या आपने वैक्सीन लगवाई है, तब भी यह नया वेरिएंट आपको संक्रमित कर सकता है।
ये सारे बदलाव वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं — वही हिस्सा जो वायरस को मानव शरीर की कोशिकाओं में घुसने में मदद करता है। यही कारण है कि यह तेजी से फैल रहा है।
लक्षण क्या हैं?
डॉक्टरों के मुताबिक JN.1 के लक्षण ज़्यादा अलग नहीं हैं। ये सामान्य ओमिक्रॉन जैसे ही हैं:
-
हल्का बुखार
-
गले में खराश
-
नाक बहना या बंद होना
-
थकान
-
खांसी
-
शरीर में दर्द
अभी तक किसी बड़ी संख्या में गंभीर लक्षण या अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है, लेकिन सतर्कता ज़रूरी है।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. जतिन आहूजा बताते हैं कि:
“JN.1 वेरिएंट मौजूदा वैक्सीनेशन या पहले हुए संक्रमण से बनी इम्यूनिटी को बायपास कर सकता है। यह पहले की तुलना में ज्यादा संक्रामक जरूर है, लेकिन इसके लक्षण उतने गंभीर नहीं दिख रहे हैं।”
इसके बावजूद, शरीर की T और B कोशिकाएं, जो पुराने वायरस को पहचान कर प्रतिक्रिया देती हैं, अब भी बीमारी को गंभीर होने से बचाने में मदद कर सकती हैं।
किन लोगों को है ज्यादा खतरा?
हालांकि सामान्य लोगों के लिए ज्यादा खतरे की बात नहीं है, लेकिन कुछ विशेष समूहों को सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है:
-
अनियंत्रित शुगर (डायबिटीज़) के मरीज
-
क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ वाले लोग
-
एचआईवी संक्रमित
-
अंग प्रत्यारोपण करवा चुके लोग
-
बुजुर्ग (60 साल से ऊपर)
-
गर्भवती महिलाएं
-
छोटे बच्चे
इन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, इसलिए संक्रमण होने पर उनके लिए जोखिम बढ़ सकता है।
क्या पुराने टीके असरदार हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार जो टीके पहले ओमिक्रॉन या डेल्टा वेरिएंट के लिए बनाए गए थे, वे इस नए JN.1 वेरिएंट पर कम असरदार हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि टीका बेकार हो गया है। वैक्सीन अब भी गंभीर बीमारी से बचाने में मदद कर रही है।
mRNA वैक्सीन
भारत में बनाई गई जेमकोवैक-19 (Gemcovac-19) जैसी mRNA वैक्सीन इस लड़ाई में मददगार साबित हो सकती है। mRNA वैक्सीन को नए वेरिएंट्स के हिसाब से तेजी से बदला जा सकता है, जिससे भविष्य में नए संक्रमणों से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है।
एक खास बात यह भी है कि जेमकोवैक-19 को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है, जो इसे भारत जैसे देशों में लॉजिस्टिक रूप से ज्यादा सुविधाजनक बनाता है। हालांकि यह वैक्सीन अभी हर जगह उपलब्ध नहीं है।
क्या करें? कैसे बचें?
सरकार की ओर से कोई नया बड़ा अलर्ट तो नहीं आया है, लेकिन विशेषज्ञों की सलाह है कि खासकर कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग और बुजुर्ग कुछ सावधानियों का पालन करें:
✅ मास्क पहनें, खासकर भीड़भाड़ वाली जगहों पर
✅ हाथ धोने की आदत बनाए रखें
✅ खांसते या छींकते समय मुंह ढकें
✅ अगर हल्का बुखार, सर्दी-जुकाम हो तो टेस्ट कराएं
✅ भीड़भाड़ से बचें
✅ डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें