SC ON Delhi Air Pollution:-दिल्ली में एक बार फिर से हवा में घूम रहा है जहर ,इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश दे दिय , जाने दिल्ली का हाल ?
Delhi Air Pollution:-दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट को कड़ा रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि यदि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 से नीचे भी चला जाए, तो भी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का स्टेज 4 लागू रहेगा।
क्या है GRAP और इसकी अहमियत?
GRAP एक ऐसा मैकेनिज्म है, जिसे वायु प्रदूषण की स्थिति के आधार पर अलग-अलग चरणों में लागू किया जाता है।
- स्टेज 1: AQI 201-300 के बीच होता है।
- स्टेज 2: AQI 301-400 के बीच पहुंचने पर।
- स्टेज 3: AQI 401-450 के बीच।
- स्टेज 4: AQI 450 से ऊपर होने पर।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार उसकी अनुमति के बिना GRAP का चरण कम नहीं कर सकती। कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब दिल्ली की हवा का AQI 481 तक पहुंच गया, जो ‘खतरनाक’ श्रेणी में आता है।
कोर्ट
दिल्ली सरकार की ओर से वकील ज्योति मेंदीरत्ता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं। सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस अभय एस. ओका ने सवाल किया,
“GRAP का मैकेनिज्म तुरंत क्यों लागू नहीं किया गया?”
वकील ने बताया कि सरकार 2-3 दिनों तक AQI स्तर की निगरानी करती है। इस पर जस्टिस ओका ने सख्त लहजे में कहा,
“जैसे ही AQI 300 से 400 के बीच पहुंचे, GRAP लागू करना जरूरी है। देरी का जोखिम क्यों उठाया गया?”
जस्टिस ओका ने पूछा, “क्या सरकार IMD (मौसम विभाग) के पूर्वानुमानों पर भरोसा करके ऐसे खतरनाक हालात में जोखिम उठा सकती है?”
दिल्ली में प्रदूषण
सोमवार सुबह दिल्ली का AQI 481 तक पहुंच गया। यह ‘बेहद गंभीर’ श्रेणी में आता है। दिल्ली के प्रमुख इलाकों जैसे इंडिया गेट और कर्तव्य पथ पर प्रदूषण की मोटी परत छाई रही। मॉर्निंग वॉक करने वाले लोग घरों में ही रहे, और जो बाहर निकले, वे मास्क पहनने को मजबूर हुए।
- नोएडा: AQI 384 (बहुत खराब)
- फरीदाबाद: AQI 320 (खराब)
- गाजियाबाद: AQI 400 (गंभीर)
- गुरुग्राम: AQI 446 (गंभीर)
AQI मीटर का मतलब
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार:
- 0-50: अच्छा
- 51-100: संतोषजनक
- 101-200: मध्यम
- 201-300: खराब
- 301-400: बहुत खराब
- 401-450: गंभीर
- 450+: गंभीर से अधिक
दिल्ली को ‘गैस चैंबर’ क्यों कहा जा रहा है?
सोशल मीडिया पर लोग दिल्ली की हालत को ‘गैस चैंबर’ से तुलना कर रहे हैं। जहरीली हवा के कारण बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों की परेशानी बढ़ गई है। ठंडी हवा और कम गति वाली हवाएं प्रदूषकों को फैलने नहीं देतीं, जिससे वायु गुणवत्ता और बिगड़ जाती है।
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण की स्थिति को लेकर जो निर्देश दिए हैं, उनका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि दिल्ली-एनसीआर के लोगों को जहरीली हवा से राहत मिले। GRAP का सख्ती से पालन करना और सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही तय करना इसके लिए जरूरी है।
अब देखना यह है कि दिल्ली सरकार और अन्य संबंधित एजेंसियां सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशों का कितना पालन करती हैं और प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में कितनी प्रभावी साबित होती हैं।