Delhi Court News:-पति ने स्थानीय मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपनी पत्नी के परिवार और उसके भाई के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। याचिका में उसने आरोप लगाया कि पत्नी के परिवार ने उसे दहेज दिया, जाने ?
Delhi Court News:-दिल्ली में एक अनोखा और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक पति ने अपनी पत्नी के परिवार पर दहेज देने का आरोप लगाते हुए उन पर केस दर्ज करवाने की मांग की। पति का दावा था कि उसने खुद कभी दहेज की मांग नहीं की थी, फिर भी पत्नी के परिवार ने उसे पैसे और अन्य सामान दिए, जो कानून के खिलाफ है। इस मामले को लेकर पति ने पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत की थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद उसने सेशन कोर्ट में अपील की, पर वहां भी उसे निराशा हाथ लगी।
मामले की शुरुआत
मामला 2022 के जुलाई महीने का है। पति ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उसने अपनी पत्नी के परिवार और उसके भाई पर दहेज देने का आरोप लगाया। उसने कहा कि उसे बिना किसी मांग के ही ₹25,000 और ₹46,500 की रकम उसके खाते में जमा की गई थी। पति का तर्क था कि यह दहेज विरोधी कानून का उल्लंघन है और इसके लिए ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए।
मजिस्ट्रेट कोर्ट
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पति की इस याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि दहेज-विरोधी कानून केवल तभी लागू होता है, जब दहेज की मांग की जाती है। अगर दहेज बिना किसी मांग के दिया गया है, तो इसे अपराध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने बताया कि इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे साबित हो कि दहेज देने के लिए मजबूर किया गया हो।
सेशन कोर्ट में अपील
मजिस्ट्रेट कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद पति ने सेशन कोर्ट में अपील की। एडिशनल सेशन जज नवजीत बुधिराजा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पति की याचिका को फिर से खारिज कर दिया। जज ने कहा कि पति ने अपने बयान में केवल यह दावा किया है कि उसने दहेज नहीं मांगा था, परन्तु यह साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया।
अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि ससुराल वालों ने अपने एफआईआर में यह स्वीकार किया था कि उन्होंने पति को कुछ पैसे दिए थे, लेकिन इससे सीधे तौर पर यह साबित नहीं होता कि यह दहेज के रूप में दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि जब तक दोनों पक्ष सबूत नहीं देते, यह तय करना मुश्किल है कि क्या वास्तव में दहेज मांगा गया था।
पहले से दर्ज क्रूरता का मामला
अदालत ने यह भी बताया कि पति पर पहले से ही पत्नी के परिवार द्वारा क्रूरता का मामला दर्ज है। इससे यह संभावना बनती है कि यह मामला दोनों पक्षों के बीच के तनाव को बढ़ाने का प्रयास हो सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पति के पास दहेज विरोधी कानून का उल्लंघन साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं, इसलिए उसकी याचिका का कोई आधार नहीं बनता और उसे खारिज किया जाता है।
अदालत
अदालत ने कहा कि पति के पास यह साबित करने का ठोस आधार नहीं है कि उसे दहेज दिया गया है, और सिर्फ उसके द्वारा दिए गए बयान के आधार पर ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया जा सकता।