राजस्थान के भरतपुर से सामने आया यह मामला न सिर्फ देशभर की साइबर एजेंसियों को चौंका देने वाला है, बल्कि यह दिखाता है कि आज के डिजिटल युग में ठगी के तरीके कितने हाईटेक और खतरनाक हो चुके हैं। जाने इसके बारे में ? 

Delhi Crime News:-राजस्थान के भरतपुर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस और देशभर की साइबर एजेंसियों को हैरान कर दिया है। 400 करोड़ रुपये की एक जबरदस्त और सुनियोजित साइबर ठगी का खुलासा हुआ है। हैरानी की बात ये है कि इस ठगी में जिन कंपनियों के नाम सामने आए, वो एक ऐसे मजदूर दंपती के नाम पर रजिस्टर्ड थीं, जो पढ़े-लिखे भी नहीं हैं और एक छोटे से कमरे में चटाई पर जिंदगी गुजारते हैं।
इन दोनों के पास ना पंखा था, ना बिस्तर। लेकिन इनके नाम पर करोड़ों की फर्जी कंपनियां चल रही थीं। जब पुलिस इनके घर पहुंची तो वो भी दंग रह गई। पूछताछ में सामने आया कि इस दंपती को तो अंदाजा तक नहीं था कि उनके नाम पर क्या चल रहा है। असल में उन्हें मोहरा बना कर इस बड़े फ्रॉड को अंजाम दिया गया।
🧠 मास्टरमाइंड कौन हैं?
इस पूरे घोटाले के पीछे दो लोग सामने आए हैं:
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रविंद्र सिंह: जो खुद एक MBA पास है और ठगी की रणनीति बनाता था।
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शशिकांत: रविंद्र का भांजा जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, और तकनीकी काम को संभालता था।
इन दोनों ने मिलकर देश के चार अलग-अलग राज्यों में कई फर्जी कंपनियां रजिस्टर कराईं और उनका इस्तेमाल कर लोगों को निवेश के नाम पर फंसाया। लोगों को झूठे प्रॉफिट के लालच में फंसाया गया और फिर उनका पैसा इन कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कराया गया — वो खाते जो कि गरीब, अनपढ़ और मासूम लोगों के नाम पर खोले गए थे।
🕵️♂️ पुलिस की जांच में क्या मिला?
पुलिस और साइबर क्राइम टीम की जांच में अब तक:
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4 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक खाते फ्रीज किए जा चुके हैं।
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कई कंपनियों की जानकारी मिली है जो इसी तरह से बनाई गई थीं।
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संभावना जताई जा रही है कि ठगी की कुल रकम 1000 करोड़ तक हो सकती है।
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मास्टरमाइंड्स ने इतनी चालाकी से काम किया कि असली दोषियों तक पहुंचना मुश्किल हो गया था।
⚠️ लोगों को कैसे बनाया गया शिकार?
रविंद्र और शशिकांत ने तकनीकी जानकारी और फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करके उन लोगों को शिकार बनाया जो इंटरनेट और निवेश के बारे में ज़्यादा नहीं जानते थे। इन मासूम लोगों को:
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“जल्दी पैसा कमाने का तरीका” बताया गया
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फर्जी ऐप या वेबसाइट से निवेश कराए गए
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झूठे रिटर्न दिखाकर और पैसे लगवाए गए
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उनके नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाए गए और फिर पैसा वहीं भेजा गया
इन खातों के असली मालिकों को कुछ पता नहीं होता था, जिससे असली अपराधी खुद को छुपाए रखते थे।
📢 ये मामला क्यों है जरूरी?
यह सिर्फ एक ठगी नहीं, बल्कि एक बड़ी चेतावनी है। यह दिखाता है कि:
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आज के समय में कोई भी, चाहे पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, साइबर क्राइम का हिस्सा बन सकता है — चाहे जाने-अनजाने में।
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अपराधी अब तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे ठगी करना आसान और ट्रेस करना मुश्किल हो गया है।
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आम लोगों को निवेश या नौकरी जैसे झांसे देकर इस्तेमाल किया जा रहा है।
👮 पुलिस की अगली कार्रवाई
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पुलिस ने इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश शुरू कर दी है।
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साइबर एजेंसियां इस केस की गहराई से जांच कर रही हैं।
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बैंकों से ट्रांजेक्शन डिटेल्स मंगवाई जा रही हैं।
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कई और लोगों के नाम सामने आने की संभावना है, जो इस रैकेट में शामिल थे या इस्तेमाल किए गए।
📣 आम लोगों के लिए चेतावनी
“अगर कोई स्कीम आपको बहुत अच्छी लगे, तो पहले उसे ठीक से जांचें।”
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किसी भी अनजान स्कीम, ऐप या वेबसाइट में पैसा लगाने से पहले अच्छे से जांच करें
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बिना समझे किसी को अपने डॉक्यूमेंट्स या बैंक डिटेल्स ना दें
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अगर कोई आपको कहे कि आपके नाम पर अकाउंट खोलना है, तो सतर्क हो जाएं
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साइबर हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत जरूर करें
इस हाईटेक साइबर ठगी ने यह साफ कर दिया है कि अपराधी अब आम लोगों को मोहरा बनाकर बड़े अपराध कर रहे हैं। भरतपुर का यह मामला सिर्फ एक उदाहरण है, लेकिन देशभर में ऐसे कई मामले हो सकते हैं। हमें जागरूक रहने की जरूरत है। आपकी सतर्कता ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है।