Digital Arrest Scam:-कैसे स्कैमर्स आपकी निजी जानकारी का इस्तेमाल कर ठगते हैं?

Digital Arrest Scam:-डिजिटल युग में साइबर अपराध एक गंभीर समस्या बन गया है। स्कैमर्स के पास आपकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी पहुंचने के कई रास्ते हैं। जाने इसके बारे में ? Digital Arrest Scam:

Digital Arrest Scam:-ऑनलाइन स्कैमिंग आज एक बड़ी समस्या बन चुकी है, और इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है हमारी निजी जानकारी का आसानी से उपलब्ध होना। स्कैमर्स आपके नाम, फोन नंबर, बैंक डिटेल्स, और यहां तक कि आपकी लोकेशन तक पहुंच बना लेते हैं। आइए इसे विस्तार से समझें कि यह कैसे होता है।

1. डेटा लीक और चोरी

डेटा ब्रीच का मतलब:

डेटा ब्रीच का मतलब है किसी कंपनी या वेबसाइट से आपका निजी डेटा चोरी होना।

  • जब आप किसी वेबसाइट या ऐप पर रजिस्टर करते हैं, तो आपका नाम, ईमेल, फोन नंबर, और अन्य डिटेल्स वहां सेव हो जाती हैं।
  • अगर उस वेबसाइट की सुरक्षा कमजोर होती है, तो हैकर्स इस डेटा को चुरा लेते हैं और उसे ऑनलाइन बेच देते हैं।
  • उदाहरण के लिए, आपने देखा होगा कि किसी समय बड़ी कंपनियों जैसे कि फेसबुक या गूगल का डेटा लीक हुआ और करोड़ों लोगों की जानकारी स्कैमर्स के पास पहुंच गई। 

डेटाबेस खरीदना और बेचना:

स्कैमर्स इंटरनेट पर “डार्क वेब” जैसी जगहों से आपका डेटा खरीद सकते हैं।

  • चोरी हुआ डेटा वहां एक प्रोडक्ट की तरह बेचा जाता है।
  • सिर्फ नाम और नंबर वाली लिस्ट कुछ सौ रुपये में उपलब्ध हो जाती है।

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2. सोशल मीडिया 

सोशल मीडिया से डेटा का लीक होना:

  • फेसबुक, इंस्टाग्राम, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, लोकेशन, और यहां तक कि फोन नंबर भी शेयर करते हैं।
  • ये प्लेटफॉर्म कई बार थर्ड-पार्टी ऐप्स को आपकी जानकारी इस्तेमाल करने की अनुमति देते हैं।

मोबाइल ऐप्स का डेटा एक्सेस करना:

  • जब आप कोई ऐप डाउनलोड करते हैं, तो वह आपसे कई परमिशन मांगता है, जैसे:
    • आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट
    • लोकेशन
    • ईमेल आईडी
    • आपके फोन में कौन-कौन से ऐप्स इंस्टॉल हैं
  • कई बार ये ऐप्स आपका डेटा मार्केटिंग कंपनियों या अन्य पार्टियों को बेच देते हैं।

3. आपके द्वारा दी गई सहमति

“मैं सहमत हूं” पर क्लिक करना:

  • जब आप किसी ऐप या वेबसाइट पर “Terms and Conditions” को स्वीकार करते हैं, तो आप अनजाने में अपनी जानकारी को साझा करने की अनुमति दे देते हैं।
  • इसके बाद वह जानकारी विज्ञापनदाताओं और अन्य कंपनियों को बेच दी जाती है।

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सोशल मीडिया :

  • यदि आपने अपना नंबर सोशल मीडिया प्रोफाइल में डाला है, तो स्कैमर्स उसे आसानी से निकाल सकते हैं।
  • यहां तक कि अगर आप नहीं भी डालते, तो आपके दोस्तों या फॉलोअर्स की प्रोफाइल से जानकारी ट्रैक की जा सकती है।

4. ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसे स्कैम कैसे होते हैं?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या है?

  • भारत में चल रहे ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम में स्कैमर्स आपको कॉल या ईमेल करते हैं।
  • वे दावा करते हैं कि आप किसी कानूनी समस्या में फंसे हैं, जैसे ड्रग्स या धोखाधड़ी का मामला।
  • वे आपको डराते हैं और पैसे की मांग करते हैं।
  • आपकी निजी जानकारी के कारण, जैसे कि बैंक डिटेल्स या एड्रेस, वे आपको विश्वास दिलाने में सफल हो जाते हैं।

इसे कैसे अंजाम दिया जाता है?

  • स्कैमर्स आपके डेटा का इस्तेमाल कर आपके बारे में विस्तृत जानकारी जुटा लेते हैं।
  • ये जानकारी डेटाबेस से खरीदी जाती है, जो सोशल मीडिया और ऐप्स से लीक हुई होती है।

5. इससे बचने के तरीके

  1. सोशल मीडिया का सावधानी से इस्तेमाल करें:
    • अपनी निजी जानकारी, जैसे फोन नंबर और एड्रेस, सोशल मीडिया पर शेयर न करें।
    • अपनी प्रोफाइल को प्राइवेट रखें।
  2. ऐप्स को जरूरत से ज्यादा परमिशन न दें:
    • जब कोई ऐप आपसे लोकेशन, कॉन्टैक्ट्स, या अन्य डेटा की परमिशन मांगे, तो उसे सोच-समझकर दें।
    • जिन ऐप्स का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उन्हें अनइंस्टॉल करें।
  3. डेटा लीक से बचने के लिए मजबूत पासवर्ड रखें:
    • अपने सभी अकाउंट्स के लिए मजबूत और अलग-अलग पासवर्ड रखें।
    • टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें।
  4. फिशिंग ईमेल और कॉल्स से सावधान रहें:
    • किसी अनजान ईमेल या कॉल में अपनी जानकारी शेयर न करें।
    • कोई भी संवेदनशील जानकारी फोन पर न दें।
  5. अपने डिजिटल फुटप्रिंट पर नजर रखें:
    • गूगल पर अपना नाम या फोन नंबर सर्च करके देखें कि आपके बारे में क्या जानकारी सार्वजनिक है।

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