Facebook की पैरेंट कंपनी मेटा को ट्रंप मुकदमे में चुकाने होंगे $25 मिलियन हर्जाना

Facebook Meta:-दुनिया की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी फेसबुक (मेटा) को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए मुकदमे के निपटारे के लिए 2 करोड़ 50 लाख डॉलर (करीब 207 करोड़ रुपये) का भुगतान करना होगा। जाने इसके बारे में ? Facebook

Facebook Meta:-दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक (अब मेटा) को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ दर्ज मुकदमे के निपटारे के लिए 2 करोड़ 50 लाख डॉलर (करीब 207 करोड़ रुपये) का हर्जाना देना होगा। इस मामले से जुड़े तीन अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।

मुकदमा 

यह मामला 6 जनवरी, 2021 से जुड़ा है, जब अमेरिका के संसद भवन कैपिटल पर हिंसक हमला हुआ था। इस घटना के बाद मेटा ने डोनाल्ड ट्रंप के फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट सस्पेंड कर दिए थे। ट्रंप ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया और मेटा के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया।

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समझौता 

मेटा ने इस मुकदमे के निपटारे के लिए भारी हर्जाना चुकाने पर सहमति जताई है। खास बात यह है कि यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और अन्य बड़ी टेक कंपनियां डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं को देखते हुए उनके साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश कर रही हैं।

हर्जाने की रकम कहां जाएगी?

इस समझौते के तहत,

  • 2.2 करोड़ डॉलर (करीब 182 करोड़ रुपये) ट्रंप से जुड़ी एक गैर-लाभकारी संस्था को दिए जाएंगे।
  • बाकी की रकम मुकदमे से जुड़े अन्य खर्चों को कवर करने के लिए दी जाएगी।

मेटा ही नहीं, ABC भी हर्जाना देगा

मेटा के अलावा, अमेरिकी न्यूज चैनल ABC भी 1.5 करोड़ डॉलर (करीब 124 करोड़ रुपये) चुकाएगा। यह समझौता उस विवाद से जुड़ा है, जिसमें ट्रंप ने एंकर जॉर्ज स्टेफ़ानोपोलोस पर उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया था।

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ट्रंप और जुकरबर्ग 

डोनाल्ड ट्रंप पहले भी मार्क जुकरबर्ग और मेटा की नीतियों की आलोचना कर चुके हैं। अगस्त 2023 में उन्होंने एक बयान दिया था कि अगर जुकरबर्ग ने 2024 के चुनावों को प्रभावित करने के लिए “कुछ भी अवैध” किया, तो वह अपना बाकी जीवन जेल में बिताएंगे। उस समय मेटा ने इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।

इस समझौते से यह साफ दिखता है कि मेटा और अन्य टेक कंपनियां ट्रंप प्रशासन के साथ अपने संबंध बेहतर बनाने की कोशिश कर रही हैं। चूंकि अमेरिका में 2024 का राष्ट्रपति चुनाव करीब आ रहा है, ऐसे में यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है।

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