देशभर में बढ़ते साइबर फ्रॉड मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। डिजिटल लेन-देन को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक नया सुरक्षा सिस्टम “Financial Fraud Risk Indicator” (FRI) लॉन्च किया है। जाने इसके बारे में ? 

FRI System :-साइबर ठगी यानी ऑनलाइन धोखाधड़ी अब हमारे देश में आम बात हो चुकी है। चाहे फोन कॉल पर झांसा देकर पैसे ठगना हो, या नकली लिंक भेजकर बैंक अकाउंट खाली करना — ठगों ने कई मासूम लोगों को अपना शिकार बनाया है। ऐसे में सवाल उठता है – हम कब तक लूटते रहेंगे? और कौन हमारी मदद करेगा?
इसी चिंता को समझते हुए भारत सरकार ने अब एक बड़ा कदम उठाया है।
📱 क्या है ये नया सिस्टम – Financial Fraud Risk Indicator (FRI)?
DoT यानी दूरसंचार विभाग ने एक खास सुरक्षा उपाय पेश किया है, जिसका नाम है Financial Fraud Risk Indicator (FRI)। यह सिस्टम UPI (Unified Payments Interface) से जुड़ी धोखाधड़ी को रोकने के लिए बनाया गया है।
सीधे शब्दों में कहें, तो यह एक स्मार्ट निगरानी टूल है जो ऐसे मोबाइल नंबरों की पहचान करेगा जो साइबर क्राइम में शामिल हो सकते हैं।
🚫 कैसे काम करेगा ये FRI सिस्टम?
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सबसे पहले, यह सिस्टम फोन नंबरों का विश्लेषण करेगा।
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अगर कोई नंबर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल पाया जाता है — जैसे किसी को बार-बार ठगने की कोशिश, गलत तरीके से पैसे मांगना, या बैंक नियमों का उल्लंघन — तो उसे पहचान लिया जाएगा।
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फिर उस नंबर को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा:
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मध्यम जोखिम
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उच्च जोखिम
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बहुत उच्च जोखिम
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🛑 जोखिम के हिसाब से क्या होगा?
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अगर कोई UPI यूजर किसी ऐसे नंबर को पैसे भेजने की कोशिश करेगा जिसे “बहुत उच्च जोखिम” वाले नंबर के रूप में पहचाना गया है, तो:
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UPI ऐप खुद ही उस लेन-देन को ब्लॉक कर देगा।
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साथ ही यूजर को एक चेतावनी मैसेज भी भेजेगा।
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वहीं अगर नंबर मध्यम या उच्च जोखिम में आता है, तो:
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यूजर को एक सावधान करने वाला अलर्ट दिखाया जाएगा, जिससे वह दोबारा सोच सके कि पैसा भेजना है या नहीं।
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🧠 किन प्लेटफॉर्म से मिलती है जानकारी?
इस FRI सिस्टम को नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल, चक्षु प्लेटफॉर्म, और बैंकों से मिली गुप्त जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। यानी जो नंबर पहले से ही रिपोर्ट किए जा चुके हैं या जिनमें धोखाधड़ी की संभावना है, उन्हें FRI तुरंत पहचान लेगा।
💡 क्यों जरूरी था ये कदम?
देश में डिजिटल लेन-देन जितनी तेजी से बढ़ा है, उसी रफ्तार से साइबर ठगों की चालबाजियां भी बढ़ी हैं। अब लोग घर बैठे मोबाइल से पैसे भेजते हैं, ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, लेकिन हर क्लिक पर खतरा मंडराता है।
सरकार का ये नया सिस्टम इस डर को कम करेगा। लोगों को अब ज्यादा सुरक्षा महसूस होगी, और वे डिजिटल भुगतान करने में अधिक विश्वास दिखाएंगे।
🤝 कौन-कौन मिलकर कर रहा है काम?
यह सिर्फ सरकार का काम नहीं है। इस सिस्टम में शामिल हैं:
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बैंकिंग संस्थान
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गैर-बैंकिंग संस्थान (NBFCs)
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डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म
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और खुद UPI ऐप्स भी
ये सभी मिलकर ठगों की पहचान करेंगे और आपके पैसे को सुरक्षित रखेंगे।
अब जब भी आप किसी अनजान नंबर पर UPI से पैसा भेजने जाएं, तो आंख बंद करके ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं। FRI सिस्टम आपकी पहली सुरक्षा दीवार बनकर खड़ा रहेगा।
ठगी रोको, सुरक्षा बढ़ाओ – यही है इस पहल का मकसद।