Gaganyaan Mission:- इसरो चीफ ने साफ़ कर दिया गगनयान के बारे में की यह इस दिन उड़ान भरेगा

Gaganyaan Mission:-इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के अनुसार गगनयान मिशन का पहला प्रोजेक्‍ट दिसंबर से पहले पूरा करके इसको उड़ान के लिए तैयार किया जाएगा आएगे जानते है इसके बारे में पूरी खबर ?Gaganyaan Mission

Gaganyaan Mission:-भारत अंतरिक्ष में एक और ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस सोमनाथ ने गगनयान मिशन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। इसरो का लक्ष्य दिसंबर 2024 तक गगनयान प्रोजेक्ट का पहला मिशन लॉन्च करना है। इस मिशन के लिए आवश्यक रॉकेट के तीन चरण पहले ही श्रीहरिकोटा के शार रेंज पर पहुंच चुके हैं। यह जानकारी सोमनाथ ने एसएसएलवी (स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) की तीसरी सफल उड़ान के बाद दी, जिसे शुक्रवार को धरती की कक्षा में स्थापित किया गया।

गगनयान मिशन की तैयारी

गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है। इस मिशन के तहत, चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है, जिनमें से एक को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। चारों अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षित पायलट हैं और इन्हें अंतरिक्ष में जाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसरो प्रमुख सोमनाथ ने बताया कि गगनयान के पहले मिशन को “G1” कोड नाम दिया गया है। यह मिशन मानव रहित होगा, यानी इस मिशन में कोई इंसान शामिल नहीं होगा।

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मिशन के विभिन्न चरण

गगनयान मिशन को सफल बनाने के लिए कई चरणों पर काम किया जा रहा है। इसरो ने इन चरणों को S200, L1 और C32 नाम दिए हैं। यह सभी चरण एक-दूसरे से जुड़े हैं और इनकी सफलता पर मिशन की सफलता निर्भर करती है।

तकनीकी तैयारी और क्रू मॉड्यूल

सोमनाथ ने बताया कि नवंबर तक पूरे सिस्टम की वायरिंग और टेस्टिंग का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद, दिसंबर में पहली उड़ान की तैयारी होगी। त्रिवेंद्रम स्थित वीएसएससी (विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर) में क्रू मॉड्यूल को एकीकृत करने का काम चल रहा है। क्रू एस्केप हार्डवेयर भी पूरी तरह से तैयार है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो इसरो दिसंबर 2024 में गगनयान मिशन की पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी कर सकेगा।

नए प्रक्षेपण केंद्र का निर्माण

इसरो प्रमुख ने यह भी जानकारी दी कि तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के कुलसेकरपट्टिनम में एक नए रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इस प्रक्षेपण केंद्र के दो साल में पूरा होने की उम्मीद है। इस नई सुविधा का उपयोग भविष्य में एसएसएलवी रॉकेट प्रक्षेपण के लिए किया जाएगा। एसएसएलवी मिशन के सफल परीक्षण के बारे में सोमनाथ ने कहा कि यह इसरो के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, और इसका उपयोग उद्योगों के लिए किया जा सकता है। इसरो ने इसके लिए आरएफआई (रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन) भी जारी किया है, और कुछ उद्योगपतियों से बातचीत भी की गई है।

इसरो का गगनयान मिशन न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होने वाला है। इस मिशन की सफलता के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिन्होंने मानव अंतरिक्ष मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने जो आश्वासन दिया है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो भारत दिसंबर 2024 में अंतरिक्ष में एक नया अध्याय लिखेगा।

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