म्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में आयोजित एक फैशन शो को लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। रमज़ान के पाक महीने में आयोजित इस फैशन शो की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई राजनीतिक दलों…….. ,जाने पूरी खबर ?
Gulmarg Fashion Show:-जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत हिल स्टेशन गुलमर्ग में हुए एक फैशन शो को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। रमज़ान के पवित्र महीने में इस शो के आयोजन पर कई राजनीतिक दलों और धार्मिक संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल होने के बाद लोगों में नाराज़गी देखने को मिली, जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने अधिकारियों से इस पर रिपोर्ट तलब की है।
यह फैशन शो शुक्रवार को गुलमर्ग में बर्फीली वादियों के बीच आयोजित किया गया था। इस इवेंट को मशहूर फैशन डिजाइनर शिवन और नरेश ने आयोजित किया था, जो कि गैर-कश्मीरी हैं। फैशन शो के दौरान मॉडल्स ने वेस्टर्न स्टाइल के कपड़े पहने थे, जो कश्मीर की पारंपरिक संस्कृति से बिल्कुल अलग थे।
जब इसकी तस्वीरें और वीडियो 9 मार्च को सोशल मीडिया पर वायरल हुए, तो स्थानीय लोग और धार्मिक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया। कई लोगों ने इसे कश्मीर की संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया। विरोध इतना बढ़ा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा और हंगामा मच गया।
1. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता मीरवाइज़ उमर फारूक़ का बयान
अलगाववादी नेता और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज़ उमर फारूक़ ने इस फैशन शो की निंदा करते हुए लिखा,
“यह बेहद शर्मनाक है। रमज़ान के पाक महीने में इस तरह का अश्लील फैशन शो आयोजित किया गया, जिसे घाटी की संस्कृति के खिलाफ एक हमला माना जाना चाहिए। यह कश्मीर की सूफी और धार्मिक परंपराओं का अपमान है। इसमें शामिल लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर इस तरह की अश्लीलता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
2. नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आग़ा रूहुल्लाह का बयान
नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा रूहुल्लाह ने भी इस आयोजन पर नाराजगी जताई। उन्होंने लिखा,
“गुलमर्ग से आई तस्वीरें चौंकाने वाली हैं। ऐसा लग रहा है जैसे यह हमारी संस्कृति और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ एक हमला है।”
3. पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती का बयान
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने भी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा,
“पर्यटन मंत्रालय खुद उमर अब्दुल्ला के पास है। गुलमर्ग के विधायक भी नेशनल कॉन्फ्रेंस से हैं। उन्हें इस आयोजन की जानकारी थी, फिर भी इसे नहीं रोका गया। जब तस्वीरें वायरल हुईं और बवाल मचा, तब जाकर सरकार ने प्रतिक्रिया दी।”
जम्मू-कश्मीर बीजेपी प्रवक्ता सुनील सेठी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को घेरते हुए कहा,
“अगर सरकार को रमज़ान में इस तरह के कार्यक्रम पर आपत्ति थी, तो पहले से कोई एडवाइज़री क्यों नहीं जारी की गई? यह कहना कि मुख्यमंत्री को इस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी, यह हास्यास्पद है। यह विंटर स्पोर्ट्स के दौरान हुआ, जिसमें सरकार की भूमिका होती है। जब विवाद बढ़ा, तब सरकार को होश आया।”
फैशन शो के आयोजकों ने मांगी माफी
बवाल बढ़ने के बाद फैशन डिजाइनर शिवन और नरेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी कर माफी मांगी। उन्होंने लिखा,
“अगर हमारे फैशन शो से किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो हमें खेद है। हमारा मकसद सिर्फ क्रिएटिविटी को सेलिब्रेट करना था, किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं। हम भविष्य में इस तरह की चीज़ों को लेकर और सावधान रहेंगे।”
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर आम लोगों की भी मिली-जुली राय सामने आई है।
🔹 श्रीनगर की रहने वाली सुमन लोन ने कहा,
“फैशन शो करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इसे जिस अंदाज और समय पर किया गया, वह गलत था। रमज़ान के महीने में इस तरह का आयोजन नहीं होना चाहिए था।”
🔹 कश्मीर के एक स्थानीय युवक खुर्शीद अहमद ने कहा,
“अगर यह एक निजी आयोजन था, तो इसे निजी ही रखा जाना चाहिए था। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल होने से यह बड़ा मुद्दा बन गया। हमारी संस्कृति की अपनी पहचान है, और आयोजकों को इसे समझना चाहिए था।”
🔹 एक युवा मॉडल सेहरीन रोमासिया ने कहा,
“गुलमर्ग में फैशन शो कोई गलत बात नहीं है, लेकिन रमज़ान के महीने में इसका आयोजन नाजायज़ है। आयोजकों को समय और स्थान का ध्यान रखना चाहिए था।”
सरकार का क्या कहना है?
सोमवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सफाई देते हुए कहा,
“यह कोई सरकारी आयोजन नहीं था, बल्कि निजी आयोजन था। लेकिन रमज़ान के दौरान ही नहीं, बल्कि किसी भी समय इस तरह के कार्यक्रम नहीं होने चाहिए। इस मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।”
गुलमर्ग में फैशन शो को लेकर विवाद सिर्फ धार्मिक आस्थाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कश्मीर की पारंपरिक संस्कृति और आधुनिकता के टकराव का भी प्रतीक बन गया है। जहां एक तरफ कुछ लोग इसे कला और फैशन की स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इसे धार्मिक और सांस्कृतिक अपमान के रूप में देखा जा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या फैशन और आधुनिकता के नाम पर स्थानीय भावनाओं को अनदेखा किया जा सकता है, या फिर आयोजकों को सांस्कृतिक संवेदनशीलता का ध्यान रखना चाहिए?