Hafiz Abdul Rehman:-आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के वरिष्ठ नेता और 26/11 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के बहनोई, अब्दुल रहमान मक्की का निधन हो गया है। जाने पूरी खबर ? 

Hafiz Abdul Rehman 26/11:-आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के वरिष्ठ नेता और भारत में कई आतंकी घटनाओं के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक, अब्दुल रहमान मक्की का निधन हो गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, मक्की की मौत हार्ट अटैक के कारण हुई। यह जानकारी पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया चैनल समा टीवी ने दी। मक्की का पाकिस्तान के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां उसने अंतिम सांस ली।
मक्की और आतंकी
मक्की का जन्म 10 दिसंबर, 1954 (कुछ जगह 1948 भी बताया गया) को हुआ था। वह लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद का बहनोई था और संगठन में एक बड़े नेता के तौर पर काम करता था। उसने लश्कर के लिए फंड जुटाने, युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने और भारत में आतंकी हमलों की साजिश रचने में मुख्य भूमिका निभाई।
भारत के अनुसार, मक्की ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की योजना बनाई और 7 मई 2006 को हैदराबाद के ओडियन थिएटर में हुए आईईडी विस्फोट की निगरानी की, जिसमें 4 लोग घायल हुए थे।
अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित
4 नवंबर 2010 को, अमेरिका ने मक्की को वैश्विक आतंकवादी (Global Terrorist) घोषित किया। मक्की के खिलाफ अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए और उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कदम उठाए।
गिरफ्तारी और सजा
15 मई 2019 को, मक्की को पाकिस्तान सरकार ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में गिरफ्तार किया। बाद में, 2020 में एक पाकिस्तानी अदालत ने उसे आतंकवाद से संबंधित मामलों में दोषी ठहराया और जेल की सजा सुनाई। हालांकि, कई बार उसे सिर्फ नजरबंद रखने की खबरें भी सामने आईं।
भारत में आतंकी हमलों से जुड़ाव
मक्की का नाम भारत में हुए कई आतंकी हमलों से जुड़ा था। वह युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़कर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल करता था। इसके साथ ही, वह 26/11 मुंबई हमलों जैसे घातक आतंकी हमलों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहा।
मक्की की मौत
मक्की की मौत पाकिस्तान और भारत के रिश्तों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। भारत लंबे समय से मक्की और अन्य लश्कर नेताओं पर कार्रवाई की मांग करता आ रहा था। हालांकि मक्की की मौत से आतंकवाद पर कितना असर पड़ेगा, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि ऐसे संगठनों की जड़ें गहरी होती हैं।