Haryana Election Explain:-बीजेपी इस हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करके कांग्रेस को मात दी। आएगे समझते कुछ डेटा से की यह लहर पहले से ही किसकी तरफ से थी। 

Haryana Election Bjp VS Congress:-हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 ने चुनावी राजनीति में कई अप्रत्याशित मोड़ दिए। लगभग सभी एग्जिट पोल्स ने कांग्रेस की जीत का अनुमान लगाया था, लेकिन चुनाव परिणामों ने इन अनुमानों को गलत साबित कर दिया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 48 सीटों पर जीत दर्ज की और बहुमत का आंकड़ा आराम से पार कर लिया। बीजेपी को इस बार 39.9% वोट मिले, जो पिछले विधानसभा चुनाव 2019 की तुलना में 3.5% अधिक है। इस वृद्धि ने बीजेपी को आठ अतिरिक्त सीटें दिलाईं, जिससे पार्टी की मजबूती और बढ़ी।
वहीं, कांग्रेस ने भी अपने वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। उसे इस बार 39.09% वोट मिले, जो कि 2019 के मुकाबले 11% अधिक था। इसके बावजूद कांग्रेस केवल 37 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई, जो कि पिछले चुनाव की तुलना में छह सीटें ज्यादा हैं। हालांकि, यह बीजेपी के मुकाबले पीछे रह गई, और सीटों में उसकी अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई।
बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला
इस चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच वोट शेयर का अंतर बहुत कम था, लेकिन सीटों की संख्या में बीजेपी का दबदबा देखने को मिला। जहां बीजेपी ने 48 सीटें जीतीं, वहीं कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई। यह अंतर इस बात का संकेत है कि कांग्रेस को सीटों पर अधिक फोकस करने की ज़रूरत थी, भले ही उसके वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई हो।
बीजेपी ने अपनी 40 में से 26 सीटों को सफलतापूर्वक बचाया और 22 नई सीटों पर भी जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस अपनी 31 में से केवल 15 सीटें ही बचा पाई और 22 नई सीटों पर जीत हासिल की। इससे स्पष्ट होता है कि बीजेपी की रणनीति अधिक प्रभावी रही और पार्टी ने कांग्रेस की तुलना में बेहतर परिणाम दिए।
निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका
चुनाव परिणामों में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। हरियाणा की 11 सीटों पर कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान निर्दलीय उम्मीदवारों ने पहुंचाया। इन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त वोट कांग्रेस की हार का मुख्य कारण बने। उदाहरण के लिए, अंबाला कैंट सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार चित्रा सरवरा ने 39.4% वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार परविंदर पाल को मात्र 10.9% वोट मिले। इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस की ओर से टिकट न मिलने पर पार्टी के बागी उम्मीदवारों ने चुनावी गणित बिगाड़ दिया।
इसके अलावा, पांच सीटें ऐसी भी रहीं जहां निर्दलीय उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई। इनमें से चार सीटों पर कांग्रेस के बागी उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरे थे, जिससे पार्टी की संभावनाओं को झटका लगा।
बीजेपी की मजबूत
बीजेपी ने अपने कई गढ़ों को बरकरार रखते हुए कुछ नई सीटों पर भी अपनी पकड़ बनाई। उदाहरण के लिए, खरखौदा (एससी) और दादरी सीटों पर, जहां 2019 में बीजेपी तीसरे स्थान पर रही थी, इस बार पार्टी ने जबरदस्त वापसी की। खरखौदा में बीजेपी ने 51% वोट शेयर हासिल कर जीत दर्ज की, जबकि दादरी में 46% वोट शेयर के साथ सफलता पाई। यह बीजेपी की ज़मीनी रणनीति और उम्मीदवारों के चयन की कामयाबी को दर्शाता है।
बीजेपी को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों में से 8 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की। सामान्य सीटों में बीजेपी ने 40 और कांग्रेस ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की। इससे स्पष्ट है कि बीजेपी का प्रभाव सामान्य वर्ग में अधिक रहा, जबकि अनुसूचित जाति के वोटों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला।
कांग्रेस के किले
बीजेपी ने कांग्रेस के कुछ गढ़ों में सेंध लगाई है। उदाहरण के लिए, खरखौदा, गोहाना, और तोशाम सीटें, जहां कांग्रेस का वर्चस्व था, इस बार बीजेपी ने जीत दर्ज की। इसी तरह पुंडरी सीट पर बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवारों की छह बार की जीत के सिलसिले को तोड़ते हुए जीत हासिल की। सतपाल जांबा, जो बीजेपी के उम्मीदवार थे, ने यहाँ जीत का परचम लहराया।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने अपनी रणनीति और ज़मीनी पकड़ से स्पष्ट बढ़त हासिल की। भले ही कांग्रेस ने वोट शेयर में सुधार किया हो, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों और बागियों की वजह से उसे सीटों की संख्या में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई। इस चुनाव से यह स्पष्ट हो गया कि सिर्फ वोट शेयर बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि रणनीतिक सीटों पर जीत दर्ज करना ज़रूरी है। बीजेपी ने यह काम बेहतर ढंग से किया और अपनी सत्ता बरकरार रखी।