India Golden Bird:-हमें यह सुनने को मिलता था कि भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। इस कहावत के पीछे छिपे अर्थ को हम बचपन में केवल एक कहानी मानते थे, जाने इसके पीछे का कारण ? 

India Golden Bird:-बचपन में हम सभी ने यह कहावत सुनी होगी कि भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था। यह बात एक गर्व का अहसास देती थी, लेकिन बड़े होते-होते हमें लगा कि यह महज एक कल्पना या गढ़ी हुई कहानी है। मगर अब एक हालिया अध्ययन ने यह सिद्ध कर दिया है कि यह कोई कहानी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक सच था। भारत वाकई दुनिया का सबसे समृद्ध देश था। यहां की संपत्ति इतनी थी कि आज के अमेरिका और चीन जैसे ताकतवर देश भी इसके सामने कुछ नहीं थे।
भारत की दौलत और ब्रिटेन की लूट
ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक ताजा रिपोर्ट, जिसका नाम है “Takers, not Makers”, ने खुलासा किया है कि 1765 से 1900 के बीच ब्रिटेन ने भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति लूटी।
- भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था: 3.5 ट्रिलियन डॉलर।
- अमेरिका की मौजूदा अर्थव्यवस्था: लगभग 28 ट्रिलियन डॉलर।
इस तुलना से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय ब्रिटेन ने भारत से कितना बड़ा खजाना निकाला।
कहां गई यह संपत्ति?
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस लूट की गई संपत्ति में से 33.8 ट्रिलियन डॉलर ब्रिटेन के सबसे अमीर 10% लोगों के पास चली गई।
यह राशि इतनी विशाल है कि इससे आज लंदन की सड़कों को 50 पाउंड के नोटों से चार बार ढका जा सकता है।
उपनिवेशवाद
रिपोर्ट में कहा गया है कि उपनिवेशी काल के दौरान शोषण और असमानता की जो नींव रखी गई, उसका असर आज भी महसूस किया जाता है।
- ग्लोबल साउथ (जैसे भारत और अन्य विकासशील देश) से आज भी ग्लोबल नॉर्थ (अमीर पश्चिमी देश) संपत्ति निकाल रहे हैं।
- बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां, जो उपनिवेशवाद से ही निकली थीं, आज भी विकासशील देशों में सस्ते श्रम और संसाधनों का शोषण कर रही हैं।
- ग्लोबल साउथ में श्रमिकों को मिलने वाली मजदूरी ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में 87 से 95% तक कम है।
ईस्ट इंडिया कंपनी
ऑक्सफैम ने अपने अध्ययन में ईस्ट इंडिया कंपनी का जिक्र किया, जिसने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव रखी और लंबे समय तक यहां का शोषण किया।
- इस कंपनी ने भारत के श्रमिकों और किसानों का अत्यधिक शोषण किया।
- यह कंपनी उस दौर की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत थी, जिसने भारत के संसाधनों को ब्रिटेन पहुंचाया।
आज का सच
रिपोर्ट ने यह भी उजागर किया है कि असमानता का यह सिलसिला आज भी जारी है।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियां गरीब देशों से सस्ते श्रम का फायदा उठाकर मुनाफा कमा रही हैं।
- अमीर देशों की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा गरीब देशों के संसाधनों और श्रम पर निर्भर है।
क्या भारत फिर से “सोने की चिड़िया” बन सकता है?
इतिहास के इस सच से सीख लेते हुए, भारत को अपनी संपत्ति, श्रमिकों और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना होगा। आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण के जरिए हम दोबारा अपनी खोई हुई पहचान हासिल कर सकते हैं।
यह रिपोर्ट न केवल इतिहास की सच्चाई दिखाती है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि हमें अपनी संपत्ति और संसाधनों को संरक्षित रखना चाहिए ताकि कोई और “ईस्ट इंडिया कंपनी” हमें फिर से लूट न सके।