India-China Disengagement:-LAC का हुआ विवाद 42 महीने में ख़त्म , जाने ?

India-China Disengagement:-भारत को इस विवाद को खत्म करने के लिए चीन की सेना से लगभग 21 बार ,डिप्लोमैट से 31 बार और आई जयशंकर को 2 बार फाइनल मीटिंग करनी पड़ी और क्या क्या जाने पूरी खबर ?India-China

 

India-China Disengagement:-भारत और चीन के बीच पिछले 42 महीनों से चला आ रहा LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) विवाद आखिरकार सुलझने की ओर बढ़ रहा है। इस समाधान के पीछे कई स्तरों पर की गई लंबी और कठिन बातचीत है। जुलाई में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुई दो महत्वपूर्ण बैठकों, चार साल में 31 कूटनीतिक दौरों, और 21 सैन्य वार्ताओं ने सैनिकों की वापसी के समझौते का रास्ता साफ कर दिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने घोषणा की कि दोनों देशों के बीच LAC पर गश्त फिर से शुरू करने पर सहमति बन गई है, जिससे 2020 में इन इलाकों में पैदा हुए मुद्दों का समाधान होने जा रहा है।

सैनिकों की वापसी और तनाव का समाधान ऐसे वक्त पर आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस के कज़ान रवाना होने वाले हैं, जहां उनके चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात होने की उम्मीद है।

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बातचीत का लंबा दौर

LAC पर 2020 की गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर था। सीमा पर सात बिंदुओं पर संघर्ष था, जिनमें से पांच का समाधान पहले ही हो चुका था, लेकिन देपसांग मैदान और डेमचॉक जैसे इलाकों में सैनिकों के आमने-सामने होने की स्थिति बनी हुई थी।

इस गतिरोध को खत्म करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की वार्ताएं हुईं। भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC) की 31 बैठकें हो चुकी हैं, जबकि भारत और चीन के कोर कमांडरों ने भी 21 दौर की बातचीत की।

जयशंकर की कूटनीति

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जुलाई में उनकी दो प्रमुख बैठकों ने इस समझौते की नींव रखी। पहली बैठक 4 जुलाई को कजाकिस्तान के अस्ताना में एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक के दौरान हुई थी, और दूसरी बैठक 25 जुलाई को आसियान के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान इंडोनेशिया में हुई।

इन बैठकों में सीमा पर तनाव कम करने पर गंभीर चर्चा हुई और सैनिकों की वापसी का रास्ता तैयार किया गया। दोनों देशों के बीच हालिया हफ्तों में कूटनीतिक और सैन्य अधिकारियों के बीच लगातार संवाद चलता रहा, जिससे इस बड़ी सफलता की घोषणा की जा सकी।

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राजनीतिक विवाद

भारत में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी काफी संवेदनशील बना रहा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में मौजूद हैं, और इस पर मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की। वहीं, सरकार ने नेहरू के शासनकाल के दौरान चीन को भारतीय जमीन गंवाने के आरोप को लेकर कांग्रेस पर पलटवार किया।

अब जबकि सैनिकों की वापसी का समझौता हो चुका है, विपक्ष संभवतः इसके बारे में और अधिक जानकारी मांग सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात में इस मुद्दे पर और क्या प्रगति होती है।

आगे क्या ?

हालांकि, यह एक बड़ा कूटनीतिक और सैन्य कदम है, लेकिन अभी भी दोनों देशों के बीच LAC पर पूर्ण शांति और स्थिरता के लिए कई अन्य मुद्दों को हल करना बाकी है। निकट भविष्य में गश्त शुरू होने से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित हो सकती है, और इससे दोनों देशों के बीच एक स्थायी समाधान का रास्ता खुल सकता है।

इस पूरी प्रक्रिया से यह स्पष्ट हो गया है कि कूटनीति और धैर्य के साथ एक जटिल विवाद को सुलझाना संभव है, खासकर जब दो बड़े पड़ोसी देशों के बीच तनाव हो।

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