India-US Business:-डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल के पहले महीने में ही वैश्विक व्यापार व्यवस्था में बड़े बदलाव देखने को मिले। जाने पूरी खबर ? 

India-US Business:-डोनाल्ड ट्रंप जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने वैश्विक व्यापार को लेकर कई सख्त फैसले लिए। वे हमेशा यह कहते रहे कि अमेरिका के साथ व्यापार करने वाले देशों को बराबरी का व्यवहार करना चाहिए। ट्रंप को “टैरिफ मैन” भी कहा जाता था, क्योंकि वे आयात पर भारी शुल्क लगाने के पक्षधर थे। लेकिन जब भारत की बात आई, तो उनका रुख थोड़ा बदलता दिखा।
मोदी की अमेरिका यात्रा और ट्रंप का बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की 36 घंटे की यात्रा पूरी की, जिसके दौरान उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। इस बैठक में व्यापार, रक्षा और ऊर्जा जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि महज कुछ घंटों में ही ट्रंप के भारत को लेकर दिए गए बयान बदलते नजर आए।
पहले, ट्रंप ने भारत को “कारोबार के लिए बहुत कठिन देश” कहा और आरोप लगाया कि भारत अमेरिका पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। उन्होंने कहा,
“हमारे सहयोगी कई बार हमारे दुश्मनों से भी ज्यादा कठिन साबित होते हैं। भारत बहुत ऊंचे टैरिफ लगाता है।”
लेकिन कुछ ही घंटों बाद, जब मोदी के साथ मीडिया के सामने आए, तो उनका लहजा बदल गया। उन्होंने कहा कि भारत के साथ अमेरिका बड़ी व्यापारिक डील करने जा रहा है।
अमेरिका-भारत के बीच टैरिफ विवाद
ट्रंप हमेशा से इस बात पर जोर देते थे कि अमेरिका को किसी भी देश के मुकाबले नुकसान नहीं होना चाहिए। इसी कारण उन्होंने “रेसिप्रोकल टैरिफ” (पारस्परिक शुल्क) की घोषणा की। इसका मतलब यह था कि अमेरिका भी उतना ही टैरिफ लगाएगा, जितना कोई अन्य देश उस पर लगाता है।
ट्रंप ने अपने अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि वे अन्य देशों द्वारा अमेरिका पर लगाए गए शुल्क और गैर-टैरिफ बाधाओं (जैसे कि वाहन सुरक्षा नियम) की गणना करें और उसी के अनुसार अमेरिका का शुल्क तय करें।
अमेरिका को भारत से व्यापार घाटा
वर्तमान में अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा 45.6 बिलियन डॉलर (लगभग 3.8 लाख करोड़ रुपये) का है। अमेरिका का औसत टैरिफ केवल 2.2% है, जबकि भारत का औसत टैरिफ 12% है। ट्रंप ने कहा कि भारत कुछ वस्तुओं पर 30, 40, 60 और 70% तक शुल्क लगाता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है।
हालांकि, मोदी सरकार ने इस ओर संकेत दिया कि वे टैरिफ को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं। मोदी और ट्रंप दोनों ने यह सहमति बनाई कि 2030 तक भारत-अमेरिका के व्यापार को 500 बिलियन डॉलर (41.5 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचाया जाएगा।
अमेरिका से भारत को हथियार और ऊर्जा सप्लाई
ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका जल्द ही भारत को आधुनिक लड़ाकू विमान और सैन्य उपकरण बेचना शुरू करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में भारत को F-35 स्टील्थ फाइटर जेट देने की योजना है।
इसके अलावा, दोनों देशों के बीच एक ऊर्जा समझौता भी हुआ, जिसके तहत अमेरिका भारत को तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बढ़ाएगा। ट्रंप ने कहा,
“भारत को हमारी एनर्जी की जरूरत है और हमारे पास इसकी भरपूर आपूर्ति है।”
परमाणु ऊर्जा को लेकर भारत-अमेरिका सहयोग
भारत सरकार ने 2025 के बजट में “नेशनल न्यूक्लियर एनर्जी मिशन” के तहत 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिससे देश की बढ़ती बिजली मांग को पूरा किया जा सके। ट्रंप ने कहा कि भारत अब अमेरिकी परमाणु तकनीक अपनाने के लिए अपने कानूनों में बदलाव कर रहा है। इससे भारत में सस्ती और सुरक्षित बिजली मिलेगी और अमेरिकी परमाणु उद्योग को भी फायदा होगा।
भारत सरकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति उत्तरदायित्व अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है, ताकि निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में निवेश करने का मौका मिले।
मोदी की तारीफ में ट्रंप
हालांकि ट्रंप खुद को एक कड़े मोलभाव करने वाले नेता मानते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा,
“वे मुझसे भी अधिक मजबूत नेगोशिएटर (मोलभाव करने वाले) हैं। वे मुझसे कहीं बेहतर हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है।”