भारत के अंतरिक्ष मिशन में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ने जा रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-5 मिशन की आधिकारिक घोषणा कर दी है। जाने इसके बारे में ? 

Chandrayaan-5:-भारत अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है। सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है। इसरो (ISRO) के अध्यक्ष वी नारायणन ने इसकी पुष्टि की है। इस मिशन की खासियत यह है कि इसमें रोबोट नहीं, बल्कि इंसानों को चांद पर भेजने की योजना बनाई गई है। यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा और महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन होगा। इस मिशन को साल 2040 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत इस मिशन के लिए जापान के साथ साझेदारी कर रहा है, ताकि इस तकनीक को विकसित करने में मदद मिल सके।
चंद्रयान-5: भारत का पहला मानव मिशन चंद्रमा पर
अब तक भारत ने चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे सफल मिशन पूरे किए हैं। लेकिन ये सभी मिशन रोबोटिक थे, यानी इनमें बिना इंसानों के लैंडर और रोवर भेजे गए थे। चंद्रयान-5 पहला ऐसा मिशन होगा जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर कदम रखेंगे। इसके लिए इसरो पूरी तरह से नई टेक्नोलॉजी तैयार कर रहा है, ताकि अंतरिक्ष यात्री न सिर्फ चंद्रमा पर जा सकें, बल्कि वहां से सुरक्षित वापस भी लौट सकें।
चंद्रयान-4 के बाद आएगा चंद्रयान-5
इसरो प्रमुख वी नारायणन ने जानकारी दी कि चंद्रयान-5 मिशन से पहले भारत चंद्रयान-4 भेजेगा। यह मिशन 2027 में लॉन्च किया जाएगा और इसका मकसद चंद्रमा से मिट्टी और चट्टानों के सैंपल लाना होगा। इससे चंद्रमा की संरचना को और बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी, जो भविष्य में मानव मिशन के लिए बहुत जरूरी है।
चंद्रयान-5 का रोवर होगा सबसे भारी
इस मिशन में इस्तेमाल होने वाला रोवर 350 किलोग्राम का होगा, जो कि चंद्रयान-3 के ‘प्रज्ञान’ रोवर से 10 गुना ज्यादा भारी होगा। चंद्रयान-3 का रोवर सिर्फ 25 किलोग्राम का था। इस भारी-भरकम रोवर की मदद से चंद्रमा पर ज्यादा रिसर्च और डेटा इकट्ठा किया जाएगा।
भारत बनाएगा अपना खुद का स्पेस स्टेशन
इसरो की योजनाएं सिर्फ चंद्रयान-5 तक सीमित नहीं हैं। इसरो प्रमुख ने यह भी बताया कि साल 2035 तक भारत अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन भी बनाएगा, जिसका नाम होगा ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’। यह स्पेस स्टेशन भारत को लंबे समय तक अंतरिक्ष में वैज्ञानिक रिसर्च करने की सुविधा देगा।
चंद्रयान मिशन की अब तक की सफलताएं
भारत के चंद्रयान मिशन का सफर 2008 में शुरू हुआ था, जब इसरो ने चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। इस मिशन ने चंद्रमा की सतह का रासायनिक, खनिज और फोटो-भूगर्भिक अध्ययन किया था। इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 भेजा गया, जो 98% तक सफल रहा। हालांकि, लैंडिंग के दौरान आखिरी कुछ सेकंड में संपर्क टूट गया था। फिर आया चंद्रयान-3, जिसने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया, जबकि अमेरिका, रूस, चीन और जापान जैसे बड़े देश अभी तक ऐसा नहीं कर पाए थे।
भारत के लिए क्यों खास है चंद्रयान-5?
- पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर कदम रखेंगे।
- इस मिशन से भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।
- चंद्रयान-5 की मदद से चंद्रमा पर लंबे समय तक वैज्ञानिक रिसर्च करना संभव होगा।
- यह मिशन भारत को उन गिने-चुने देशों की लिस्ट में शामिल कर देगा, जो इंसानों को चांद पर भेज चुके हैं।
चंद्रयान-5 भारत के लिए सबसे ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन होने वाला है। 2040 तक जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर कदम रखेंगे, तब यह न सिर्फ इसरो, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण होगा। इस मिशन की तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है और जापान के सहयोग से भारत अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाने को तैयार है।