नेहा की एक ही ख्वाहिश थी — जल्दी से जल्दी अमीर बनना, चाहे इसके लिए उसे किसी का भी भरोसा तोड़ना पड़े या किसी मासूम को अपना शिकार बनाना पड़े। जाने इसके बारे में ? 

Indore crime:-नेहा वर्मा सिर्फ 23 साल की थी। देखने में बेहद सुंदर, मासूम मुस्कान वाली और भोली-भाली आंखों वाली लड़की। कोई भी पहली बार देखकर यही कहे कि कितनी सीधी-सादी है ये। लेकिन अंदर से नेहा एकदम अलग थी। वो अमीर बनना चाहती थी — बहुत जल्दी, बहुत ज्यादा। इतना कि उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि इसके लिए उसे क्या करना पड़े, कितना गलत रास्ता अपनाना पड़े।
नेहा का सपना था पैसा, सोना, ब्रांडेड कपड़े, गहने और वो सब कुछ जो उसने टीवी या सोशल मीडिया पर देखा था। लेकिन मेहनत करके नहीं, शॉर्टकट से।
🛍️ मॉल में मुलाकात – जहां शुरू हुई एक खतरनाक साजिश
एक दिन नेहा इंदौर के श्रीनगर इलाके में ऑर्बिट मॉल घूमने गई। वहीं उसकी नजर पड़ी एक औरत पर — मेघा देशपांडे। वो पूरी तरह से अमीरी की मिसाल लग रही थी। गले में भारी हार, कानों में बड़े-बड़े झुमके, महंगे बैग्स से लदी हुई।
नेहा के दिमाग में उस पल कुछ क्लिक कर गया। उसने जानबूझकर जाकर मेघा से टक्कर मार दी। शॉपिंग बैग्स नीचे गिर गए, लेकिन नेहा ने फौरन मासूमियत से माफी मांगी, “सॉरी आंटी, मैंने देखा नहीं।”
मेघा पहले थोड़ी चिढ़ी, लेकिन नेहा की मासूमियत देखकर पिघल गई। नेहा ने उसका सामान समेटा, उसे कार तक छोड़ा और जाते-जाते मेघा का भरोसा भी जीत लिया।
💄 बेटी बन गई, लेकिन नीयत थी कुछ और
कुछ ही दिनों में नेहा और मेघा की दोस्ती गहरी हो गई। नेहा ने खुद को ब्यूटीशियन बताया। मेघा को भी नेहा में अपनी बेटी जैसी मासूमियत नजर आने लगी।
जल्द ही नेहा मेघा के घर आने-जाने लगी। वहां उसकी मुलाकात मेघा की 21 साल की बेटी अश्लेषा और 70 साल की मां रोहिणी से भी हुई। सबने नेहा को पसंद किया।
लेकिन नेहा का मकसद भरोसा जीतना था — ताकि हमला अंदर से हो सके।
🗓️ 29 जून 2011 – वह दिन जब तीन ज़िंदगियाँ लूट ली गईं
उस दिन नेहा मेघा के घर कुछ ब्यूटी प्रॉडक्ट्स दिखाने के बहाने पहुंची। अंदर मेघा के साथ उनकी बेटी अश्लेषा और मां रोहिणी भी थीं।
बातों ही बातों में नेहा ने कहा कि उसे प्रोडक्ट के कुछ डिटेल्स समझ नहीं आ रहे, और वो अपने बॉयफ्रेंड राहुल को बुला रही है। असल में राहुल पहले से ही योजना में शामिल था, और घर के बाहर तैयार खड़ा था।
डोर बेल बजी, मेघा ने दरवाजा खोला तो राहुल के साथ एक और लड़का अंदर आया — उसका नाम था मनोज।
🔫 गोलियों की गूंज, और फिर चाकुओं का कहर
जैसे ही सब बैठे, राहुल और मनोज ने अचानक गोलियां चलाना शुरू कर दीं। मेघा को सीधे गोली मारी गई।
चीख-पुकार सुनकर अश्लेषा और रोहिणी बाहर निकलीं, लेकिन उन पर भी गोलियों की बौछार कर दी गई।
गोलियां खत्म हुईं, तो दोनों ने चाकू से तीनों महिलाओं को बेरहमी से मारा — जब तक वो पूरी तरह शांत न हो गईं।
💍 लूट और फरार – खून से सना अमीरी का सपना
अब नेहा ने असली चेहरा दिखाया। उसने झटपट मेघा के गहने उतारे। राहुल और मनोज ने अलमारी से कैश, जूलरी और महंगी चीजें बैग में भर लीं और तीनों मौके से फरार हो गए।
पड़ोसियों को भनक तक नहीं लगी, क्योंकि सब कुछ बड़ी चालाकी और तेजी से हुआ।
🏡 पति की वापसी – जब खामोशी चीखने लगी
शाम को जब मेघा के पति घर लौटे, तो दरवाजा खुला और सामने का नज़ारा देख उनकी चीख ही निकल गई।
तीन लाशें – खून से सनी, घर के अलग-अलग कोनों में पड़ी हुई थीं।
🕵️♀️ पुलिस जांच और एक अहम गलती
पुलिस आई, जांच शुरू हुई। तब एक ऐसा सुराग मिला जिससे पूरी कहानी खुलने लगी।
राहुल ने फायरिंग करते वक्त गलती से अपने पैर में गोली मार ली थी। उसे इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ा, और वहीं से पुलिस को उसका सुराग मिला।
जल्द ही नेहा, राहुल और मनोज – तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
💔 प्यार, लालच और मौत का खतरनाक मेल
पूछताछ में सब कुछ सामने आया। नेहा और राहुल के बीच अफेयर था। दोनों जल्दी अमीर होना चाहते थे और शादी से पहले खूब पैसा बटोरना उनका मकसद था।
मॉल में मेघा को देखकर नेहा ने यह प्लान बनाया, और राहुल ने अपने दोस्त मनोज को शामिल कर लिया।
⚖️ न्याय की राह – रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस
जिला अदालत ने इस केस को “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” माना और तीनों को फांसी की सजा सुनाई।
2014 में हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया। अदालत ने कहा कि ऐसे लोग दया के लायक नहीं हैं।
हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया — 25 साल बिना पैरोल के जेल में रहना तय हुआ, क्योंकि तीनों का जेल में व्यवहार ठीक था और उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था।
नेहा की यह कहानी हमें सिखाती है कि शक्ल से हर इंसान को पहचानना मुश्किल होता है। जो बाहर से भोली दिखती है, वो अंदर से कैसी हो सकती है — इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं।
नेहा सिर्फ अमीर बनना चाहती थी — लेकिन जिस रास्ते से वो गई, वहां से सिर्फ बर्बादी और मौत ही लौटकर आई।