मन से चलेगा iPhone, ऐपल की नई टेक्नोलॉजी का खुलासा

तकनीक की दुनिया में हर दिन कुछ नया देखने को मिलता है, लेकिन आने वाली टेक्नोलॉजी आपको चौंका देगी। अब वो दिन दूर नहीं जब आपको अपने स्मार्टफोन को चलाने के लिए उंगलियों से टैप करने या आवाज से कमांड देने की जरूरत नहीं होगी।जाने इसके बारे में ? iPhone

iPhone Feature:-तकनीक की दुनिया में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है, लेकिन अब जो बदलाव आने वाला है, वह आपके होश उड़ा सकता है। सोचिए, अगर आप बिना कुछ बोले, बिना स्क्रीन पर उंगली रखे सिर्फ अपनी सोच से अपने फोन को चला पाएं, तो कैसा होगा? ये कोई साइंस फिक्शन नहीं है, बल्कि ऐपल और एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक इसी तरह की तकनीक पर तेजी से काम कर रही हैं।

कैसे काम करेगी ये ब्रेन-कंप्यूटर टेक्नोलॉजी?

इस नई तकनीक को ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (Brain-Computer Interface – BCI) कहा जाता है। इसका मतलब है कि आपका दिमाग सीधे आपके डिवाइस से बात करेगा। जैसे आप मन में सोचते हैं कि किसी को फोन करना है, कोई मैसेज भेजना है, या कोई ऐप खोलना है, और आपका फोन खुद-ब-खुद वही काम कर देगा।

ऐपल इस तकनीक को अपने आईफोन में लाने की तैयारी कर रहा है। कंपनी ने इसके लिए एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी सिंक्रोन (Synchron) के साथ पार्टनरशिप की है। सिंक्रोन का BCI डिवाइस, जिसे स्टेंटरोड (Stentrode) कहा जाता है, आपके दिमाग के साथ सीधा संपर्क स्थापित करेगा।

BCI कैसे काम करता है?

  • डिवाइस का इम्प्लांट: सिंक्रोन का स्टेंटरोड डिवाइस आपके गले की नस के जरिए आपके दिमाग के मोटर कॉर्टेक्स तक पहुंचाया जाता है।

  • ब्रेन वेव्स की पहचान: यह डिवाइस आपके दिमाग की न्यूरल एक्टिविटी (सोचने की प्रक्रिया) को समझता है।

  • सोच से कमांड: जैसे ही आप किसी ऐप को खोलने या कॉल करने की सोचते हैं, यह डिवाइस उस सिग्नल को आपके डिवाइस तक भेजता है, और आपका फोन उसी अनुसार काम करता है।

FDA का सपोर्ट और सिंक्रोन

सिंक्रोन के इस डिवाइस को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने ब्रेकथ्रू (Breakthrough) का दर्जा दिया है। इसका मतलब है कि यह तकनीक इतनी खास और उपयोगी है कि इसे तेजी से डेवलप और ट्रायल करने का मौका मिलेगा।

यह तकनीक खासतौर पर उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो गंभीर शारीरिक विकलांगता के कारण अपने हाथ-पैर या आवाज का इस्तेमाल नहीं कर सकते। वे बिना किसी परेशानी के अपनी सोच से अपने डिवाइस को कंट्रोल कर पाएंगे।

ऐपल अकेला नहीं, न्यूरालिंक भी मैदान में

ऐपल जहां सिंक्रोन के साथ मिलकर BCI तकनीक को अपने आईफोन में लाने की तैयारी कर रहा है, वहीं एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक भी इसी तरह की तकनीक पर काम कर रही है।

न्यूरालिंक ने एक ऐसी चिप तैयार की है जो सीधे इंसान के दिमाग में इम्प्लांट की जाती है। इस चिप के जरिए दिमाग से निकलने वाले न्यूरल सिग्नल्स को डिकोड किया जाता है और उन्हें डिवाइस में ट्रांसलेट किया जाता है।

हाल ही में न्यूरालिंक ने तीसरे मरीज में सफलतापूर्वक ब्रेन इम्प्लांट किया है, जो बताता है कि यह तकनीक कितनी तेजी से विकसित हो रही है।

क्यों है ये तकनीक इतनी खास?

  • बिना बोले, बिना टच: आपको अपने फोन या डिवाइस को ऑपरेट करने के लिए ना बोलना पड़ेगा और ना ही स्क्रीन को छूना पड़ेगा।

  • सोच ही कमांड: सिर्फ आपकी सोच से आपका फोन या डिवाइस काम करेगा।

  • शारीरिक विकलांगता में मदद: यह तकनीक उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जो शारीरिक रूप से किसी तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं।

क्या आने वाले समय में सभी के लिए होगी ये तकनीक?

फिलहाल, ऐपल और सिंक्रोन की यह तकनीक डेवलपमेंट स्टेज में है, और इसे इस साल के अंत तक डेवलपर्स को सौंपा जा सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह तुरंत हर किसी के लिए उपलब्ध हो जाएगी।

वहीं न्यूरालिंक भी अपनी चिप तकनीक को लगातार अपग्रेड कर रहा है, लेकिन इसे भी बड़े पैमाने पर लॉन्च होने में समय लग सकता है।

बिना बोले, बिना टच किए डिवाइस को कंट्रोल करना एक ऐसा सपना है, जो अब हकीकत बनने के करीब है। ऐपल और न्यूरालिंक की इस ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) तकनीक के जरिए भविष्य में हमारी जिंदगी और आसान हो सकती है।

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