Iran में महिलाओं की निगरानी के लिए हाई-टेक जासूसी, UN ने बताया मानवाधिकारों का उल्लंघन

स्वतंत्रता और अधिकार हर व्यक्ति के लिए पवित्र शब्द हैं। इन्हें पाना हर इंसान का सपना होता है, लेकिन ईरान में यह सपना महिलाओं के लिए लगातार कठिन होता जा रहा है। जाने इसके बारे में ?

Iran News:-स्वतंत्रता और अधिकार – हर इंसान के लिए जरूरी हैं। ये सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक ऐसी उम्मीद हैं जो हर किसी के दिल में होती है। लेकिन ईरान में यह उम्मीद महिलाओं के लिए धीरे-धीरे धुंधली होती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान सरकार जबरदस्ती हिजाब पहनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का गलत इस्तेमाल कर रही है। हवाई ड्रोन, चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर और आम नागरिकों को मुखबिरी के लिए उकसाने वाले ऐप—इन सबका इस्तेमाल कर एक ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, जो महिलाओं की ज़िंदगी को मुश्किल बना रहा है।

कैसे काम करता है यह सिस्टम?

ईरान में सरकार ने महिलाओं को अनिवार्य रूप से हिजाब पहनने के लिए डिजिटल निगरानी तंत्र विकसित किया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है “नाज़र” मोबाइल ऐप।

नाज़र ऐप: सरकार का नया हथियार

यह ऐप सरकार समर्थित है और इसका इस्तेमाल नागरिकों और पुलिस को महिलाओं के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराने के लिए किया जाता है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई महिला बिना हिजाब के सड़क पर दिख जाए, तो कोई भी व्यक्ति इस ऐप के ज़रिए उसकी गाड़ी का नंबर, उसकी लोकेशन और समय अपलोड कर सकता है।

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👉 ऐसे होती है कार्रवाई:

  1. किसी भी व्यक्ति ने अगर बिना हिजाब वाली महिला को देखा, तो वह इस ऐप में उसकी गाड़ी का नंबर डाल सकता है।
  2. तुरंत पुलिस को सूचना भेज दी जाती है।
  3. गाड़ी के मालिक को चेतावनी संदेश मिलता है।
  4. अगर बार-बार नियम तोड़े जाते हैं, तो गाड़ी जब्त भी हो सकती है।

👉 सबसे चिंताजनक बात:
यह ऐप ईरानी पुलिस (FARAJA) की वेबसाइट पर मौजूद है और कोई भी इसे डाउनलोड कर सकता है। सितंबर 2024 से इसे एम्बुलेंस, टैक्सी और सार्वजनिक परिवहन में सफर करने वाली महिलाओं की निगरानी के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

ड्रोन और कैमरों से चौबीसों घंटे निगरानी

इतना ही नहीं, तेहरान और दक्षिणी ईरान के सार्वजनिक स्थानों पर हवाई ड्रोन तैनात किए गए हैं।
👉 ड्रोन का काम:

  • यह महिलाओं की गतिविधियों पर नज़र रखते हैं।
  • अगर कोई महिला बिना हिजाब के दिखती है, तो तुरंत उसकी पहचान की जाती है।
  • पुलिस को रिपोर्ट भेजी जाती है और फिर कार्रवाई होती है।

इसके अलावा, 2024 की शुरुआत में तेहरान के अमीरकबीर विश्वविद्यालय में चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर लगाए गए हैं। इसका सीधा मतलब है कि अगर कोई महिला बार-बार हिजाब पहनने से इनकार करती है, तो उसे पहचाना जा सकता है और उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।

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“हिजाब और शिष्टता कानून” – महिलाओं के लिए खतरा

दिसंबर 2024 में ईरान के “हिजाब और शिष्टता” कानून को कुछ समय के लिए रोक दिया गया, लेकिन यह अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।

👉 अगर यह कानून लागू हुआ, तो क्या होगा?

  • बिना हिजाब दिखने पर 10 साल तक की जेल हो सकती है।
  • 12,000 डॉलर तक का भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • ईरान की इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 286 के अनुसार, महिलाओं को “पृथ्वी पर भ्रष्टाचार” (Corruption on Earth) का दोषी मानकर मौत की सजा भी दी जा सकती है।

इसका मतलब यह है कि अगर यह कानून वापस लागू हुआ, तो सरकार को महिलाओं पर कड़ा नियंत्रण रखने का एक और मजबूत तरीका मिल जाएगा।

महसा अमिनी की मौत और महिलाओं का विरोध

ईरान में महसा अमिनी की मौत इस सख्ती के खिलाफ सबसे बड़ा मोड़ साबित हुई।
👉 क्या हुआ था?

  • 2022 में 22 साल की महसा अमिनी को नैतिकता पुलिस (Morality Police) ने हिजाब सही से नहीं पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
  • हिरासत में रहस्यमय परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई।
  • इसके बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए।
  • “महिला, जीवन, स्वतंत्रता” (Women, Life, Freedom) नाम से एक आंदोलन खड़ा हुआ।

👉 प्रदर्शन के नतीजे:

  • ईरानी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई की।
  • सैकड़ों लोग मारे गए, हजारों को गिरफ्तार किया गया।
  • संयुक्त राष्ट्र ने इस पर गंभीर चिंता जताई और ईरान सरकार से महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने की अपील की।

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क्या कहता है संयुक्त राष्ट्र?

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में महिलाओं के अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
👉 संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा?

  • तकनीक के इस्तेमाल से महिलाओं पर निगरानी रखना एक गंभीर अपराध है।
  • यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इसे किसी भी हालत में सही नहीं ठहराया जा सकता।
  • ईरान सरकार को इस दमनकारी व्यवस्था को तुरंत रोकना चाहिए।

लेकिन ईरान सरकार का कहना है कि यह कानून इस्लामी परंपराओं को बनाए रखने के लिए जरूरी है।

ईरान में महिलाओं की स्वतंत्रता पर लगातार सख्ती बढ़ रही है।

  • सरकार ने तकनीक का इस्तेमाल कर एक “डिजिटल जेल” बना दी है।
  • महिलाओं को हर पल निगरानी में रखा जा रहा है।
  • हिजाब के विरोध में आवाज़ उठाने वाली महिलाओं को गंभीर सज़ा दी जा रही है।

लेकिन ईरान की महिलाएं डरने के लिए तैयार नहीं हैं।
👉 वे लगातार सड़कों पर उतर रही हैं।
👉 सोशल मीडिया पर #WomanLifeFreedom जैसे हैशटैग के ज़रिए अपनी आवाज़ बुलंद कर रही हैं।
👉 पूरी दुनिया में ईरानी सरकार के इस रवैये की आलोचना हो रही है।

अब सवाल यह है कि क्या ईरान की महिलाएं अपनी आज़ादी वापस पा सकेंगी, या फिर यह सख्ती और बढ़ेगी?

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