Iran Supreme Leader Khamenei:-यह पहला मौका नहीं है जब ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने भारत के संबंध में विवादित बयान दिया है। खुद को पैगंबर मोहम्मद का दूत बताने वाले खामेनेई ने पहले भी कश्मीर मुद्दे और दिल्ली दंगों को लेकर बयान दिए हैं , जाने पूरी खबर ?

Iran Supreme Leader Khamenei:-ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई द्वारा भारत में मुसलमानों की स्थिति पर दिए गए विवादित बयान ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को जन्म दिया है। खामेनेई ने हाल ही में गाजा, म्यांमार और भारत में मुसलमानों के उत्पीड़न का उल्लेख करते हुए कहा कि इस्लामी उम्मा (मुस्लिम समुदाय) को इन मामलों पर चुप नहीं रहना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लिखा, “हम खुद को मुसलमान नहीं मान सकते अगर हम म्यांमार, गाजा, भारत या किसी अन्य स्थान पर किसी मुसलमान द्वारा झेली जा रही पीड़ा से अनजान हैं।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत ने खामेनेई के इस बयान को सख्ती से खारिज कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस बयान को “भ्रामक और अस्वीकार्य” करार दिया। उन्होंने कहा कि जो देश अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर टिप्पणी कर रहे हैं, उन्हें पहले अपने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। जायसवाल ने स्पष्ट रूप से कहा, “अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने वाले देशों को सलाह दी जाती है कि वे दूसरों के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पहले अपना रिकॉर्ड देखें।” भारत ने खामेनेई के इस बयान को गलत सूचना पर आधारित बताया और उसकी कड़ी निंदा की.
पहले भी दिए हैं विवादित बयान
यह पहला मौका नहीं है जब खामेनेई ने भारत के संबंध में विवादित बयान दिया है। इससे पहले 2020 में दिल्ली दंगों के बाद भी उन्होंने भारत की निंदा की थी। खामेनेई ने उस समय कहा था कि भारत में मुस्लिमों का नरसंहार हो रहा है और दुनिया भर के मुसलमान इससे आहत हैं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर भारत सरकार मुस्लिमों के खिलाफ हो रही हिंसा पर रोक नहीं लगाती है, तो इस्लामी दुनिया भारत का समर्थन नहीं करेगी.
इसके अलावा, खामेनेई ने कश्मीर मुद्दे पर भी कई बार विवादित टिप्पणियां की हैं। 2019 में, जब भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया, तो खामेनेई ने कहा था कि भारत को कश्मीर में मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। इससे पहले, 2017 में भी उन्होंने कश्मीर की तुलना गाजा, यमन और बहरीन से की थी, और वहां के मुसलमानों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी.
भारत-ईरान संबंधों पर प्रभाव
हालांकि खामेनेई के इन बयानों से भारत और ईरान के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ता है, लेकिन दोनों देशों के बीच अन्य क्षेत्रों में सहयोग जारी है। विशेष रूप से, चाबहार बंदरगाह परियोजना में दोनों देशों का सहयोग काफी महत्वपूर्ण है। भारत और ईरान के बीच आर्थिक और सामरिक संबंध मजबूत हैं, जो खामेनेई के बयानों के बावजूद प्रभावित नहीं होते। फिर भी, ऐसे बयान दोनों देशों के बीच राजनीतिक संवाद पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और इस्लामी दुनिया के अन्य देशों में भारत की छवि पर भी असर डाल सकते हैं.
भारत का स्पष्ट संदेश
भारत ने ईरान और अन्य देशों को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपने आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत का विदेश मंत्रालय बार-बार इस बात पर जोर देता रहा है कि अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर विदेशी नेताओं को टिप्पणी करने से पहले अपने यहां की स्थिति पर विचार करना चाहिए। भारत में मुस्लिम समुदाय समेत सभी अल्पसंख्यकों को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं और देश की कानून व्यवस्था उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
खामेनेई का यह ताजा बयान भारत और ईरान के संबंधों में एक और कूटनीतिक चुनौती है। हालांकि दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामरिक सहयोग महत्वपूर्ण हैं, लेकिन खामेनेई जैसे बयानों से तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है। भारत ने स्पष्ट रूप से इन बयानों को खारिज कर दिया है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखा है।