Israel Hezbollah War:-ईरान और इज़राइल के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण रिश्ते हैं, और दोनों देशों के बीच हमेशा से ही राजनीतिक और सैन्य टकराव की संभावना बनी रहती है, जाने पूरी खबर ?
Israel Hezbollah War:-मध्य पूर्व में एक बार फिर से युद्ध की आहट सुनाई दे रही है, और इस बार स्थिति बेहद गंभीर नजर आ रही है। इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच चल रहे संघर्ष ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है। लेबनान में हिज़बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद, ईरान बदले की भावना से जल रहा है, और मिडिल ईस्ट में बड़े युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि, ईरान के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इजरायल के पीछे दुनिया की सबसे ताकतवर सेना, अमेरिका खड़ा है।
इजरायल-अमेरिका की तैयारी:
अमेरिका ने स्पष्ट रूप से इजरायल का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। अगर ईरान इजरायल पर हमला करता है, तो अमेरिका हर स्थिति में इजरायल का साथ देगा। इस समर्थन के तहत अमेरिका ने अपनी सेना और एयरक्राफ्ट कैरियर को मिडिल ईस्ट की तरफ तैनात कर दिया है। अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने निर्देश दिया है कि एयरक्राफ्ट कैरियर USS अब्राहम लिंकन और उससे जुड़े विध्वंसकों को क्षेत्र में तैनात रखा जाए। यह फैसला तब लिया गया जब इस क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने की संभावनाएं तेज हो गईं।
अमेरिकी नौसेना ने इस इलाके में अपने अतिरिक्त सैनिक भेज दिए हैं, और कुछ और सैनिकों को तैयार रहने के लिए कहा है। USS हैरी एस. ट्रूमैन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप भी मिडिल ईस्ट में तैनात किया गया है। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति और बढ़ने वाली है, जो इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए अहम है।
हिज़बुल्लाह चीफ की हत्या और युद्ध का खतरा:
लेबनान में हिज़बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद, ईरान के लिए यह एक बड़ा झटका है। नसरल्लाह की हत्या ने मिडिल ईस्ट में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति को और उग्र कर दिया है। ईरान अब खुलकर इजरायल से बदला लेने की तैयारी कर रहा है। लेकिन अमेरिका की तैनाती और उसका समर्थन ईरान के लिए एक बड़ा अवरोधक साबित हो रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने हसन नसरल्लाह की हत्या को सही ठहराते हुए इजरायल की पीठ थपथपाई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि वह इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात करेंगे ताकि मिडिल ईस्ट में एक बड़े युद्ध से बचा जा सके।
अमेरिका की सैन्य रणनीति:
अमेरिका की ओर से न केवल सेना और एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात किए गए हैं, बल्कि पेंटागन ने यह भी घोषणा की है कि आने वाले दिनों में अमेरिका अतिरिक्त हवाई समर्थन भी भेजेगा। इसके अलावा, USS वास्प एम्फीबियस रेडी ग्रुप को पूर्वी भूमध्य सागर में रखा जाएगा। इस ग्रुप में हजारों मरीन शामिल हैं, जो युद्ध की स्थिति में नागरिकों को निकालने और आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहेंगे।
USS वास्प, जो तट पर छोटी नावों को लॉन्च कर सकता है, F-35B लड़ाकू विमानों से लैस है, जो युद्ध की स्थिति में हवाई शक्ति को बढ़ाने में मदद करेगा। यह मिडिल ईस्ट में अमेरिका की बढ़ती सैन्य ताकत का एक और उदाहरण है, जो इस क्षेत्र में बढ़ते खतरों को रोकने के लिए तैनात की गई है।
अमेरिका-इजरायल गठजोड़:
अमेरिका और इजरायल का यह गठजोड़ केवल राजनीतिक और सैन्य समर्थन तक सीमित नहीं है। अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में अपने सैन्य उपस्थिति को बढ़ाकर इजरायल के खिलाफ होने वाले किसी भी हमले को रोकने का प्रयास किया है। अमेरिका की यह तैनाती स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि वह मिडिल ईस्ट में किसी भी बड़े संघर्ष को रोकने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
यह स्थिति केवल इजरायल और ईरान के बीच की नहीं है, बल्कि इसमें हिज़बुल्लाह, लेबनान और अमेरिका जैसे बड़े खिलाड़ी भी शामिल हो चुके हैं। अमेरिका की ओर से सैन्य तैयारी और समर्थन के चलते मिडिल ईस्ट में अब महायुद्ध की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
मिडिल ईस्ट में इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच की लड़ाई ने एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष का रूप ले लिया है। ईरान बदले की भावना से इजरायल पर हमला करने की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका की तैनाती ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया है। अमेरिका ने न केवल इजरायल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है, बल्कि मिडिल ईस्ट में अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ाकर यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी प्रकार की उथल-पुथल को रोकने के लिए तैयार है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह स्थिति किस ओर बढ़ती है, क्योंकि मिडिल ईस्ट में एक बड़ा युद्ध छिड़ने की संभावना लगातार बढ़ रही है।