Jammu-Kashmir Election:-जम्मू कश्मीर का चुनाव इस बार बड़ा ही दिलचप्स होने वाला है ,जहां पर अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी उतारी वही दूसरी और चिरान पासवान ने भी अपनी लोक जनशक्ति पार्टी की घोषणा का दी है वैसे जम्मू कश्मीर के चुनाव का क्या माहौल होने वाला है आएगे जानते है इसके बारे में…….
Jammu-Kashmir Election:-जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेजी से बढ़ रही हैं। इस बार का चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद यह पहला चुनाव होगा। इस महत्वपूर्ण चुनावी समर में कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां जोर-शोर से उतर रही हैं, जिसमें हाल ही में समाजवादी पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की एंट्री ने माहौल को और भी गरमा दिया है।
लोक जनशक्ति पार्टी की चुनावी एंट्री: रणनीति और संभावनाएं
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने जम्मू-कश्मीर के चुनावी रण में उतरने का फैसला किया है। पार्टी ने हाल ही में जम्मू में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता ए.के. बाजपेयी समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के दौरान, पार्टी ने अपने इरादे स्पष्ट करते हुए कहा कि वे पूरी ताकत से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
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ए.के. बाजपेयी ने इस अवसर पर कहा, “जम्मू-कश्मीर के लोगों ने लोकसभा चुनावों में जिस तरह से मतदान किया, वह यह दर्शाता है कि यहां के लोग लोकतंत्र में पूर्ण विश्वास रखते हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए के लिए बड़ी जीत है।” उन्होंने आगे कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी जम्मू-कश्मीर में एनडीए के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का प्रयास करेगी और एनडीए-भाजपा को मज़बूत करने के लिए काम करेगी।
पार्टी का मानना है कि अनुच्छेद 370 को हटाने में उनके सहयोग ने एनडीए को ताकत दी थी, और वे इस बार भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे, खासकर तब जब नेशनल कॉन्फ्रेंस और कुछ अन्य पार्टियां इसे फिर से लागू करने का प्रयास कर रही हैं।
अन्य पार्टियों का चुनावी समीकरण: गठबंधन और मुकाबला
जम्मू-कश्मीर का चुनावी परिदृश्य पहले से ही काफी दिलचस्प हो चुका है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और कांग्रेस ने पहले ही अपने बीच सीटों का बंटवारा कर लिया है, जिसमें नेकां 51 सीटों पर और कांग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस के नेताओं के बीच यह समझौता जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि दोनों पार्टियां क्षेत्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
वहीं, पीडीपी भी इस बार के चुनाव में पूरी मजबूती से उतर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में पीडीपी ने सबसे अधिक सीटें जीती थीं और बाद में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि, यह गठबंधन ज्यादा समय तक टिक नहीं पाया और सरकार गिर गई। इस बार पीडीपी का मुख्य मुकाबला बीजेपी, नेकां, और कांग्रेस के साथ होगा, जो इसे एक त्रिकोणीय संघर्ष का रूप दे सकता है।
चुनावी प्रक्रिया: तारीखें और चरण
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव तीन चरणों में संपन्न होगा। पहला चरण 18 सितंबर को, दूसरा चरण 25 सितंबर को, और तीसरे चरण का चुनाव 1 अक्टूबर को होगा। मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के भविष्य और केंद्र-राज्य संबंधों पर गहरा प्रभाव डालेगा।
राजनीतिक दलों की रणनीतियां और चुनौतियां
जम्मू-कश्मीर के चुनावों में राजनीतिक दलों की रणनीतियां इस बार काफी अहम होंगी। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यहां की राजनीति में कई बदलाव आए हैं। जहां एक ओर बीजेपी और एनडीए इसे अपनी बड़ी जीत के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नेकां और पीडीपी इसे एक बड़ा मुद्दा बनाकर चुनावी लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी का जम्मू-कश्मीर की राजनीति में प्रवेश इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने साफ कर दिया है कि वे एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को मज़बूत करने के लिए काम करेंगे। इससे साफ है कि इस बार का चुनाव सिर्फ सीटों का नहीं, बल्कि विचारधाराओं और राजनीतिक ध्रुवीकरण का भी होगा।
जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनावों ने पहले से ही सियासी पारा चढ़ा दिया है। राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं। लोक जनशक्ति पार्टी की एंट्री और अन्य दलों के गठजोड़ ने चुनावी मुकाबले को और भी कड़ा बना दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में राजनीतिक पार्टियां किस तरह से अपनी रणनीतियों को अंजाम देती हैं और कौन सी पार्टी जनता का विश्वास जीतने में सफल होती है।