अब इस संकट के समाधान की एक नई किरण जापान से आई है। जापान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी चमत्कारी प्लास्टिक विकसित की है जो समुद्र के खारे पानी में गिरते ही सिर्फ 1 घंटे में घुलकर अपने मूल तत्वों में टूट जाती है। जाने पूरी खबर ? 

Japan News:-प्लास्टिक आज पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। यह समुद्र को तो बर्बाद कर ही रहा है, अब हमारी खाने-पीने की चीजों में, यहां तक कि अजन्मे बच्चों के शरीर में भी पहुंच चुका है। हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं, वह पूरी तरह से नष्ट होने में सैकड़ों साल लेता है। लेकिन अब जापान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्लास्टिक बनाई है जो इस गंभीर संकट का समाधान बन सकती है।
🌍 प्लास्टिक प्रदूषण
प्लास्टिक का कचरा हर साल लाखों टन समुद्र में पहुंच रहा है। यह न सिर्फ मछलियों और समुद्री जीवों को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि जब हम मछली या समुद्री चीजें खाते हैं, तो यह माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में भी आ जाता है। वैज्ञानिकों ने तो यहां तक कहा है कि यह प्लास्टिक अब गर्भ में पल रहे बच्चों की नाल में भी पाया गया है।
🧪 जापानी वैज्ञानिकों की खोज – एक नई उम्मीद
जापान के RIKEN सेंटर फॉर एमर्जेंट मैटर साइंस और यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक नई तरह की प्लास्टिक तैयार की है। यह प्लास्टिक दिखने और ताकत में पारंपरिक पेट्रोलियम वाली प्लास्टिक जैसी ही है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत है – यह पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है यानी यह अपने आप खत्म हो जाती है।
💧 कैसे काम करती है यह प्लास्टिक?
इस प्लास्टिक की खासियत यह है कि जैसे ही यह नमक या खारे पानी के संपर्क में आती है, यह महज एक घंटे में घुलकर अपने मूल रासायनिक तत्वों में टूट जाती है।
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ये तत्व इतने साधारण होते हैं कि समुद्र में मौजूद बैक्टीरिया इन्हें पूरी तरह खा जाते हैं।
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इस प्रक्रिया में न तो माइक्रोप्लास्टिक बचता है और न ही नैनोप्लास्टिक, जो सबसे खतरनाक माना जाता है।
🌊 जमीन पर इसका क्या असर होगा?
अगर यह प्लास्टिक गलती से जमीन में भी पहुंच जाए तो चिंता की बात नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी में भी नमक मौजूद होता है, जिससे यह प्लास्टिक वहां भी 200 घंटे यानी लगभग 8-9 दिन में पूरी तरह खत्म हो जाती है। यानी यह किसी भी स्थिति में पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती।
🔥 न जलने पर जहरीली गैसें, न इंसानों को नुकसान
इस नई प्लास्टिक की एक और बड़ी खासियत यह है कि अगर गलती से इसमें आग लग भी जाए तो:
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यह कोई जहरीली गैस नहीं छोड़ती।
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न ही कार्बन डाइऑक्साइड जैसी प्रदूषण बढ़ाने वाली गैसें निकलती हैं।
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साथ ही, यह इंसानों के लिए नॉन-टॉक्सिक (हानिरहित) है।
🧪 वैज्ञानिकों का लाइव टेस्ट
वाको सिटी (टोक्यो के पास) स्थित एक लैब में वैज्ञानिकों ने इस प्लास्टिक का लाइव डेमोंस्ट्रेशन किया, जिसमें यह सिर्फ 1 घंटे में समुद्र के खारे पानी में पूरी तरह घुल गई। यह पूरी प्रक्रिया एक वीडियो के जरिए लोगों को भी दिखाई गई।
💼 कब आएगी ये प्लास्टिक बाजार में?
फिलहाल यह प्लास्टिक अभी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। वैज्ञानिकों ने बताया कि वे अब इसकी कोटिंग टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं ताकि इसे पैकेजिंग इंडस्ट्री जैसे बड़े सेक्टर में उपयोग के लिए लाया जा सके।
प्रोजेक्ट के लीड साइंटिस्ट ताकुजो आइडा ने बताया कि कई बड़ी कंपनियां पहले ही इस टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी दिखा रही हैं।
📈 प्लास्टिक प्रदूषण के खतरनाक आंकड़े
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक:
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अगर ऐसे ही प्लास्टिक कचरा बढ़ता रहा, तो 2040 तक यह तीन गुना हो जाएगा।
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हर साल समुद्र में 23 से 37 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक डाला जा रहा है।
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भारत इस मामले में सबसे आगे है – एक स्टडी के अनुसार, भारत हर साल लगभग 5.8 मिलियन टन प्लास्टिक जलाता है और 2.5 मिलियन टन प्लास्टिक मिट्टी और पानी में फेंक देता है।
भारत में प्लास्टिक का इस्तेमाल हर सेक्टर में हो रहा है – खाने की पैकिंग से लेकर रोजमर्रा की चीज़ों तक। ऐसे में अगर जापान की यह नई टेक्नोलॉजी भारत में आई, तो यह:
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पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकती है।
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समुद्र और जमीन में फैलते कचरे को कम कर सकती है।
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साथ ही, इंसानों के शरीर में जा रहे प्लास्टिक कणों को भी रोका जा सकता है।
यह प्लास्टिक भले ही अभी बाजार में उपलब्ध न हो, लेकिन जिस तेजी से इस पर काम हो रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि यह आने वाले समय में प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकती है।
अगर सरकारें, कंपनियां और आम लोग मिलकर इस दिशा में काम करें, तो वो दिन दूर नहीं जब प्लास्टिक से भरी ये दुनिया एक बार फिर साफ और सुरक्षित हो सकेगी।