Kashmiri Pandits houses on fire :-भारत में एक बार फिर 90 वाली दहशत देखने मिल रही है और यह एक बार फिर से कश्मीरी पंडित के साथ हो रहा है , इसमें उनके घर को निशाना बनाकर जला रहे है , जाने पूरी खबर।
Kashmiri Pandits:-कश्मीर घाटी में एक बार फिर से कश्मीरी पंडित निशाने पर हैं। दक्षिण कश्मीर के मट्टन इलाके के लोन मोहल्ला में रविवार की आधी रात को कश्मीरी पंडितों के पांच घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना ने घाटी में 90 के दशक की दहशत को फिर से जिंदा कर दिया है।
घटना की जानकारी
रात करीब एक बजे लोन मोहल्ला में अचानक आग की लपटें उठने लगीं। इस भयानक आग ने कई घरों को अपनी चपेट में ले लिया। फायर ब्रिगेड के अधिकारी निस्सार अहमद ने बताया कि भयानक आग की सूचना मिलने पर दमकल की पांच गाड़ियां मौके पर भेजी गईं और तीन-चार घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। लेकिन लकड़ी के बने मकान होने के कारण हल्की आग और धुआं घटना के दो दिन बाद भी दिखाई दिया।
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पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और आग के कारणों का पता लगाने के लिए एफएसएल टीमों ने नमूने एकत्र किए हैं। पुलिस ने धारा 326 के तहत एक एफआईआर दर्ज की है और इलाके के सीसीटीवी फुटेज को जांच के लिए खंगाला जा रहा है। साउथ कश्मीर रेंज के डीआईजी जावेद इकबाल ने कहा कि एक वरिष्ठ अधिकारी की देखरेख में जांच की जा रही है।
कश्मीरी पंडित समुदाय की प्रतिक्रिया
कश्मीर से बाहर रहने वाले कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों का आरोप है कि आग कश्मीरी पंडित समुदाय को डराने और उन्हें घाटी में वापस आने से रोकने के लिए लगाई गई थी। राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस घटना के बाद कश्मीरी पंडित भाइयों के साथ एकजुटता दिखाई है। कश्मीर शारदा पीठ अवस्थापन के अध्यक्ष रविंद्र पंडिता ने कहा कि अल्पसंख्यक संपत्तियों को संरक्षित करने के लिए प्रशासन उचित कदम नहीं उठा रहा है।
कई कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों ने सरकार को चेतावनी दी है कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद अभी भी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन ये घटनाएं भी उन्हें डरा नहीं पाएंगी। उन्होंने कहा कि वे मुस्लिम भाइयों के साथ अपनी मातृभूमि में रहना जारी रखेंगे। ऑल टेंपल एंड श्राइन्स साउथ कश्मीर के अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि वे इस धमकी से डरने वाले नहीं हैं।
ऐतिहासिक
1989 में कश्मीर में आतंकवाद का बढ़ता प्रभाव देखा गया। आतंकवादी संगठनों ने कश्मीरी पंडितों को धमकाया, मारा और उनकी संपत्ति को नष्ट किया। कश्मीरी पंडितों को हिंदू होने के कारण निशाना बनाया गया। उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया और जो मना किया गया उन्हें मार दिया गया। उस समय की सरकार इस स्थिति से निपटने में नाकाम रही, जिसके कारण कश्मीरी पंडितों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा।
कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनके पलायन से कश्मीर की समृद्ध संस्कृति को एक बड़ा झटका लगा। कश्मीरी पंडित घाटी में एक शिक्षित और आर्थिक रूप से मजबूत समुदाय थे। उनके पलायन से घाटी की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा। आज भी हजारों कश्मीरी पंडित घाटी से बाहर रहने को मजबूर हैं। वे अपनी जन्मभूमि में वापस लौटने का सपना देखते हैं, लेकिन सुरक्षा की कमी के कारण वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।
कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के घरों में आग लगाने की घटना ने एक बार फिर से 90 के दशक की भयावह यादों को ताजा कर दिया है। इस घटना ने घाटी की फिजा में जहर घोलने की साजिश की तरफ इशारा किया है। कश्मीरी पंडित समुदाय और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच समन्वय और सुरक्षा के उपायों को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।