Kerala में बदलते सियासी समीकरण, BJP की बढ़ती पकड़ से कांग्रेस और लेफ्ट पर दबाव

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का संगठन पिछले कुछ वर्षों से लगातार विस्तार कर रहा है और हर चुनाव में उसकी ताकत बढ़ती जा रही है। जाने इसके बारे में ? kerala BJP election

kerala Election:-भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार चुनाव-दर-चुनाव अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। खास बात यह है कि जब पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव होते हैं, तब भी वह चुनावी राज्यों में अपनी रणनीति पर पूरा ध्यान देती है। इसका ताजा उदाहरण केरल है।

अब तक केरल में बीजेपी की स्थिति उत्तर भारत जैसे राज्यों जितनी मजबूत नहीं रही है। यहां की राजनीति मुख्य रूप से दो बड़े गठबंधनों के इर्द-गिर्द घूमती रही है—कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) और वाम दलों का गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF)। लेकिन इन दिनों केरल में बीजेपी की तैयारियां चर्चा का विषय बन गई हैं।

बीजेपी कैसे बदल रही है केरल की राजनीति?

केरल में लंबे समय से दो ही राजनीतिक ध्रुव रहे हैं—यूडीएफ और एलडीएफ। हर चुनाव में सत्ता इन्हीं दो के बीच बदलती रही है। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। बीजेपी धीरे-धीरे तीसरी बड़ी ताकत के रूप में उभर रही है। 

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1. वोट शेयर में तेजी से बढ़ोतरी

बीजेपी का वोट बैंक बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है।

  • 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 12% वोट मिले थे।
  • 2024 लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा 19% तक पहुंच गया।
    इससे साफ है कि बीजेपी को राज्य में समर्थन बढ़ रहा है, जो कांग्रेस और लेफ्ट दोनों के लिए चिंता की बात है।

2. हिंदू और ईसाई वोटर्स पर नजर

बीजेपी सिर्फ हिंदू वोटर्स को लुभाने की कोशिश नहीं कर रही, बल्कि ईसाई समुदाय का समर्थन भी हासिल करने में जुटी है। केरल में ईसाई समुदाय की अच्छी खासी आबादी है और उनका झुकाव परंपरागत रूप से कांग्रेस की ओर रहा है। लेकिन बीजेपी इस समुदाय के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रही है।

3. नायर और मछुआरा समुदाय पर फोकस

बीजेपी ने खासतौर पर नायर समुदाय (जो ऊंची जाति के हिंदू माने जाते हैं) और मछुआरा समुदाय (जो पारंपरिक रूप से लेफ्ट का समर्थन करते आए हैं) पर ध्यान केंद्रित किया है। बीजेपी इन दोनों समूहों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है ताकि एलडीएफ को कमजोर किया जा सके।

4. त्रिशूर सीट जीतने के बाद बढ़ा हौसला

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने त्रिशूर सीट जीतकर यह साबित कर दिया कि वह अब केरल में सिर्फ “छोटे खिलाड़ी” की भूमिका में नहीं है। त्रिशूर बीजेपी के लिए एक बड़ी जीत थी क्योंकि यह पारंपरिक रूप से कांग्रेस और लेफ्ट के बीच मुकाबले वाली सीट रही है। इस जीत से बीजेपी को राज्य में और मजबूती मिली है।

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बीजेपी की रणनीति: कांग्रेस और लेफ्ट के लिए चुनौती

बीजेपी के बढ़ते प्रभाव ने कांग्रेस और वाम दलों (लेफ्ट) दोनों को नई रणनीतियां बनाने के लिए मजबूर कर दिया है।

  • कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि एलडीएफ सरकार के खिलाफ नाराजगी का फायदा यूडीएफ को मिल सकता है।
  • लेकिन बीजेपी का बढ़ता वोट बैंक यूडीएफ और एलडीएफ दोनों के लिए चुनौती बनता जा रहा है।

क्या केरल की राजनीति त्रिकोणीय हो जाएगी?

पहले केरल में सीधा मुकाबला कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और लेफ्ट के एलडीएफ के बीच होता था। लेकिन अब बीजेपी ने अपनी जगह बना ली है, जिससे चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है।

क्या 2026 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन और बेहतर होगा?

केरल की राजनीति धीरे-धीरे बदल रही है।

  • 2019 लोकसभा चुनाव में यूडीएफ को बढ़त मिली थी, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रहा।
  • अब 2026 में मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि बीजेपी लगातार अपना वोट शेयर बढ़ा रही है।

कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीजेपी केरल में भले ही सत्ता में न आए, लेकिन अगर वह कुछ सीटें भी जीतने में सफल हो जाती है, तो यह कांग्रेस और लेफ्ट दोनों के लिए बड़ा झटका होगा।

केरल में बीजेपी धीरे-धीरे अपनी जगह बना रही है।

  • वोट शेयर बढ़ा है
  • हिंदू और ईसाई समुदाय पर फोकस किया जा रहा है
  • त्रिशूर लोकसभा सीट जीतकर नया संदेश दिया है

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या 2026 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी कोई बड़ा उलटफेर कर पाती है या नहीं। लेकिन एक बात तय है—केरल की राजनीति अब पहले जैसी नहीं रहने वाली!

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