Hyperloop Train :-हाइपरलूप एक ‘हाई-स्पीड’ ट्रेन है, जो ट्यूब में वैक्यूम में चलती है.यह ट्रैन भारत में कब चलने वाली है जाने पूरी खबर
Hyperloop Train News :-हाइपरलूप ट्रैन एक प्रकार की ‘हाई-स्पीड’ ट्रेन मानी जाती है यह ट्रैन ट्यूब में वैक्यूम में होकर चलती है और भारत के लोगो को यह ट्रैन कब देखने को इंडिया में मिलेगी, इसपर नीति आयोग के मेंबर ने जवाब दिया है.की नीति आयोग के मेंबर ने कहा कि भारत में आने वाले भविष्य में हाइपरलूप ट्रेन चलने की संभावना नहीं है. नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने कहा कि हाइपरलूप टेक्नोलॉजी को अपनाने की संभावना फिलहाल नहीं है. यह तकनीक इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला और अंतरिक्ष परिवहन कंपनी स्पेसएक्स का स्वामित्व रखने वाले एलन मस्क द्वारा प्रस्तावित है. अभी यह ट्रैन के लिए कितना इंतिजार करना पड़ेगा अभी कुछ कह नहीं सकते है
क्या भविष्य में चल सकती है:-आपकी जानकारी के लिए बता दू की सारस्वत वर्जिन हाइपरलूप टेक्नोलॉजी और कमर्शियल फीजेबिलिटी की जानकारी के लिए के एक कमेटी बनाई और कुछ विदेशी कंपनी के साथ मिलकर भारत में कुछ दिलचप्स दिखाया था
हाइपरलूप की टेक्नोलॉजी क्या है:-हाइपरलूप एक ऐसी साधन प्रणाली है जो यात्रियों और माल को एक निर्वात ट्यूब में बहुत तेज गति से ले जाती है। हाइपरलूप ट्रेनें एक चुंबकीय प्रणाली का उपयोग करके हवा में तैरती हैं, जिससे घर्षण कम हो जाता है और वे बहुत तेज गति तक पहुंच सकती हैं।
हाइपरलूप ट्रेनों की अधिकतम गति 1,200 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है। यह बुलेट ट्रेन से भी तेज़ है, जो की अधिकतम गति 350 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है। हाइपरलूप ट्रेनें यात्रियों और माल को लंबी दूरी को बहुत कम समय में तय करने में सक्षम बनाती हैं।
हाइपरलूप ट्रेनें एक चुंबकीय प्रणाली का उपयोग करके हवा में तैरती हैं। इस प्रणाली में, ट्रेन के नीचे एक चुंबकीय पैड होता है जो ट्यूब के अंदर की चुंबकीय क्षेत्र से जुड़ा होता है। यह ट्रेन को हवा में तैरने में मदद करता है। उन्हें आगे बढ़ाती है। इस प्रणाली में, ट्रेन के पीछे एक इंजन होता है जो ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए हवा को पीछे की ओर धकेलता है। हालांकि, कई कंपनियां हाइपरलूप ट्रेनों के विकास पर काम कर रही हैं। यदि हाइपरलूप टेक्नोलॉजी को सफलतापूर्वक विकसित किया जा सकता है, तो यह परिवहन के लिए एक अच्छा विकल्प बन सकता है।
नीति आयोग के मेंबर सारस्वत ने आगे यह भी कहा कि हमने अभी तक इसे ज्यादा इंपॉरटेंस नहीं दिया गया है. मुझे नहीं लगता कि नजदीकी भविष्य में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी हमारे ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में शामिल होगी.