ISRO और NASA ने मिलकर अंतरिक्ष इतिहास में एक नया कीर्तिमान रच दिया है। 1.5 बिलियन डॉलर की लागत से तैयार हुआ NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट अब धरती की निगरानी का सबसे ताकतवर और महंगा सिस्टम बन चुका है। जाने पूरी खबर ? 

NISAR:-भारत और अमेरिका ने अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO और अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने मिलकर एक ऐसा मिशन लॉन्च किया है, जो पूरी दुनिया की धरती पर नजर रखेगा। इस मिशन का नाम है – GSLV-F16/NISAR।
29 जुलाई की शाम 5:40 बजे, इस सैटेलाइट को भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। सैटेलाइट को GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा गया और इसे सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
🔭 क्या है NISAR?
NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) एक ऐसा सैटेलाइट है जो धरती पर होने वाले हर छोटे-बड़े बदलाव को ट्रैक करेगा। इस पर NASA का L-band रडार और ISRO का S-band रडार लगाया गया है। ये दोनों रडार मिलकर धरती को दिन हो या रात, धूप हो या बारिश, हर हालत में स्कैन कर सकते हैं।
NISAR से मिलने वाला डेटा इतना हाई-क्वालिटी होगा कि वैज्ञानिक धरती की हर हलचल को समय रहते पकड़ पाएंगे — चाहे वो भूकंप से पहले ज़मीन का हिलना हो या ग्लेशियर का पिघलना।
💸 कितना खर्च आया?
इस मिशन पर करीब 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 12,000 करोड़ रुपये) खर्च हुए हैं। यह अब तक का ISRO का सबसे महंगा मिशन है और साथ ही यह दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट भी बन गया है।
📚 NISAR क्या-क्या स्टडी करेगा?
ISRO और NASA के मुताबिक, NISAR से जो जानकारी मिलेगी, वो वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन (climate change), प्राकृतिक आपदाएं, और धरती के पर्यावरणीय बदलावों को समझने में काफी मदद करेगी। इससे ये प्रमुख चीजें स्टडी की जा सकेंगी:
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🌍 ज़मीन धंसने, भूकंप, भूस्खलन और ग्लेशियर के पिघलने जैसी हलचलें
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🌳 जंगलों की कटाई-बढ़ोतरी और जैव विविधता पर प्रभाव
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🌊 समुद्र का बढ़ता स्तर और तटों पर हो रहे बदलाव
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❄️ हिमालय, अंटार्कटिका और आर्कटिक क्षेत्रों में बर्फ की स्थिति
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⛰️ पहाड़ों का खिसकना और जंगलों में मौसम के असर से बदलाव
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🌾 खेती की स्थिति, फसलों की सेहत और मिट्टी की नमी
🧪 कैसे बनी यह तकनीक?
इस सैटेलाइट को बनाने में 8 से 10 साल का समय लगा। ISRO और NASA ने साथ मिलकर इसकी रडार टेक्नोलॉजी डिज़ाइन की और कई बार इसकी टेस्टिंग की। लॉन्च के बाद इसके सभी सिस्टम की जांच की जाएगी, और फिर ये पूरी तरह से ऑपरेशन में आ जाएगा।
🔍 क्यों खास है NISAR?
इस सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत है – Dual Radar System:
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L-band SAR (NASA का): यह रडार घने जंगलों के अंदर और ज़मीन के नीचे तक झांक सकता है। इससे मिट्टी की नमी और ग्लेशियर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।
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S-band SAR (ISRO का): यह खेतों, शहरों और समुद्र किनारों की बारीक निगरानी कर सकता है।
इसका मतलब ये है कि NISAR हर मौसम में, दिन और रात – लगातार धरती के बदलावों को रिकॉर्ड करेगा। इससे भविष्य की आपदाओं का अनुमान लगाना आसान हो जाएगा।
🚀 GSLV-F16: कौन है ये रॉकेट?
इस मिशन को अंतरिक्ष में पहुंचाने का काम किया है भारत के तीन स्टेज वाले ताकतवर रॉकेट GSLV-F16 ने:
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पहला स्टेज – सॉलिड फ्यूल से चलता है और लॉन्च के शुरुआती क्षणों में ज़ोरदार थ्रस्ट देता है।
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दूसरा स्टेज – लिक्विड फ्यूल से चलता है और सैटेलाइट को ऊंचाई तक पहुंचाता है।
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तीसरा स्टेज (Cryogenic) – लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से चलता है। यह भारत में बना एडवांस इंजन है जो बहुत ठंडे तापमान पर काम करता है।
इस रॉकेट ने NISAR को सिर्फ 19 मिनट में 740 किलोमीटर ऊपर पोलर ऑर्बिट में पहुंचा दिया।
🌐 पूरी दुनिया को होगा फायदा
अब तक ISRO के सैटेलाइट भारत के डेटा पर ज्यादा फोकस करते थे। लेकिन NISAR से मिलने वाला डेटा पूरी दुनिया के लिए उपलब्ध होगा। हर 6 दिन में NISAR पूरी धरती को हाई-रेज़ोल्यूशन में स्कैन करेगा।
📊 इस डेटा का कहां-कहां होगा इस्तेमाल?
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क्लाइमेट चेंज स्टडी में – बर्फ के पिघलने, कार्बन स्टोरेज, और जंगलों की हालत को समझने में
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प्राकृतिक आपदाओं में – भूकंप, भूस्खलन और ज्वालामुखी जैसी घटनाओं की पहचान और पूर्वानुमान
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शहरी प्लानिंग में – ज़मीन के धंसने और इन्फ्रास्ट्रक्चर की निगरानी
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खेती और फूड सिक्योरिटी में – फसलों की सेहत और मिट्टी की स्थिति का अध्ययन
NISAR सिर्फ एक सैटेलाइट नहीं है, बल्कि ये धरती का डॉक्टर है, जो हर बदलाव को नोट करेगा और वैज्ञानिकों को समय रहते चेतावनी देगा।
ISRO और NASA की यह ऐतिहासिक साझेदारी आने वाले समय में न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए गेम-चेंजर साबित होगी।