अलीगढ़ के सास-दामाद की प्रेम कहानी के चर्चे अभी ठंडे भी नहीं हुए थे कि उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले से एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है… 

Love Affair News:-जब अलीगढ़ की सास-दामाद की अनोखी प्रेम कहानी लोगों के जेहन से उतरी भी नहीं थी, तब तक अंबेडकरनगर से एक और हैरान कर देने वाला मामला सामने आ गया। यहां एक दादी अपने ही पोते जैसे युवक के प्यार में पड़ गई और फिर मंदिर में शादी रचाकर फरार हो गई। इस कहानी ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला अंबेडकरनगर जिले के बसखारी थाना क्षेत्र के प्रतापपुर बेलवरिया गांव का है। यहां 52 साल की इंद्रावती नाम की महिला को 25 साल के युवक से प्यार हो गया। हैरानी की बात ये थी कि युवक रिश्ते में उसका पोता लगता था। दोनों के बीच इतनी नजदीकियां बढ़ीं कि चार बच्चों की मां ने सारे रिश्तों को ताक पर रखकर अपने पोते जैसे युवक से गोविंद साहब मंदिर में शादी कर ली और फिर दोनों गांव से गायब हो गए।
अब तक दोनों के बारे में कोई भी ठोस जानकारी सामने नहीं आई है कि वो कहां हैं, किस हाल में हैं।
पति का छलका दर्द: “मेरी पत्नी मर चुकी है”
इस पूरे मामले में अब इंद्रावती के पति चंद्रशेखर आजाद का दर्द भरा बयान सामने आया है। चंद्रशेखर ने कहा है,
“मेरे लिए मेरी पत्नी अब मर चुकी है। वह चाहे जिसके साथ रहे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उसकी तेरहवीं करूंगा। अब चाहे जैसे रहूं, रह लूंगा, लेकिन उसे दोबारा कभी अपनी जिंदगी में नहीं अपनाऊंगा।“
चंद्रशेखर का गुस्सा और टूटापन साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा कि चार बच्चों की मां होकर भी पत्नी को शर्म नहीं आई कि वह 25 साल के लड़के के साथ भाग गई और शादी भी कर ली।
इंद्रावती की पारिवारिक पृष्ठभूमि
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इंद्रावती की यह दूसरी शादी थी।
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करीब 20 साल पहले उसने चंद्रशेखर आजाद से शादी की थी।
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पहले पति से इंद्रावती की एक बेटी थी।
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चंद्रशेखर से उसे तीन और बच्चे हुए — एक बेटी और दो बेटे।
चंद्रशेखर बाहर रहकर मजदूरी करते थे और वहीं से अपने परिवार का खर्च चलाते थे। लेकिन कुछ समय से इंद्रावती का व्यवहार बदलने लगा था। वह चंद्रशेखर से सही से बात नहीं करती थी और अक्सर झगड़ा करने लगी थी।
चंद्रशेखर ने बताया कि दो साल पहले इंद्रावती ने अपनी बड़ी बेटी की शादी के लिए जमीन तक गिरवी रख दी थी, और तब से उसका बर्ताव और ज्यादा बदला-बदला सा हो गया था।
साजिश की भी आशंका जताई
चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि इंद्रावती और उसका प्रेमी (जो रिश्ते में उसका पोता लगता था) मिलकर उन्हें (चंद्रशेखर को) रास्ते से हटाने की योजना बना रहे थे। मगर समय रहते चंद्रशेखर को इसकी भनक लग गई और उनकी जान बच गई।
इसके बाद दोनों ने बिना किसी डर के अपने रिश्तों और समाज की परवाह किए बिना गोविंद साहब मंदिर में जाकर शादी कर ली। चंद्रशेखर ने थाने में इसकी शिकायत भी की थी, लेकिन पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए। पुलिस का कहना था कि अगर दोनों बालिग हैं और अपनी मर्जी से साथ रहना चाहते हैं, तो वह कुछ नहीं कर सकती।
गांव में चर्चा का विषय बना मामला
पूरा गांव इस मामले को लेकर चर्चा में है। कुछ लोग इसे सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन बता रहे हैं, तो कुछ लोग इसे “इच्छा की स्वतंत्रता” के रूप में भी देख रहे हैं। लेकिन ज्यादातर लोग चंद्रशेखर के दर्द को महसूस कर रहे हैं, जो अचानक अपनी पत्नी को खो बैठा।
चंद्रशेखर अब अकेले बच्चों की परवरिश करने का मन बना चुके हैं। उन्होंने साफ कह दिया है कि अब वह अपनी पत्नी के लिए तेरहवीं का कार्यक्रम रखेंगे और फिर उसके बारे में कभी नहीं सोचेंगे।