मुंबई की वो शाम… जब सूरज ढलते-ढलते सात बार मौत उतरी थी लोकल ट्रेनों में।लाखों लोगों की रोज़ की ज़िंदगी की रफ्तार उस दिन अचानक थम गई… जाने इसके बारे में ?

Mumbai News :-’11 जुलाई 2006′… ये तारीख मुंबई के लोगों के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं है।
ये वो दिन था जब महज़ 11 मिनट में 7 बम धमाकों ने पूरे शहर को झकझोर दिया था।
आज भी जब लोग उस दिन को याद करते हैं, तो आँखें नम हो जाती हैं और दिल कांप उठता है।
आप सोच रहे होंगे – आखिर हुआ क्या था उस दिन?
आइए, हम आपको विस्तार से बताते हैं।
🚆 शाम की भीड़… और अचानक बर्बादी का तांडव
11 जुलाई 2006, मुंबई में शाम के करीब 6:24 बजे का समय था।
ऑफिस खत्म हो चुके थे, और मुंबई की लोकल ट्रेनें हर रोज़ की तरह भीड़ से भरी थीं।
लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि अगले 11 मिनट में ऐसा कुछ होगा, जो इतिहास में दर्ज हो जाएगा।
💣 क्या हुआ था उस दिन?
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पहला धमाका शाम 6:24 पर हुआ।
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उसके बाद लगातार 10 मिनट में हुए कुल 7 धमाके।
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ये सारे धमाके मुंबई की वेस्टर्न लाइन की लोकल ट्रेनों में हुए।
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धमाकों के लिए प्रेशर कुकर बम का इस्तेमाल किया गया था, जिससे डिब्बों के परखच्चे उड़ गए।
🛤️ कहाँ-कहाँ हुए धमाके?
धमाके अलग-अलग स्टेशनों और रूट्स पर हुए। कुछ ट्रेनें स्टेशन से निकल रही थीं, तो कुछ बीच रास्ते में थीं।
📍 ये थे धमाकों के प्रमुख स्थान:
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माटुंगा रोड – माहिम स्टेशन के बीच
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बांद्रा – खार रोड के बीच
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मीरा रोड – भायंदर के बीच
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माहिम स्टेशन पर
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जोगेश्वरी स्टेशन पर
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बोरीवली स्टेशन पर
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बोरिवली की ओर जा रही लोकल में
😢 कितने लोग मारे गए?
इन बम धमाकों में:
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187 लोगों की मौत हो गई
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829 से ज्यादा लोग घायल हुए
सबसे ज़्यादा मौतें माहिम में हुई थीं, जहाँ 43 लोग मारे गए।
बाकी ट्रेन रूट्स पर भी दर्जनों मौतें हुईं:
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मीरा रोड–भायंदर लोकल में – 31 मौतें
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चर्चगेट–विरार लोकल में – 28 मौतें
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बांद्रा–खार रोड लोकल में – 22 मौतें
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और कुछ ट्रेनों में 9 से 26 लोगों की जान गई।
🔍 धमाकों की साजिश किसने रची थी?
धमाकों के पीछे जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी।
जांच पहले मुंबई पुलिस ने शुरू की, लेकिन बाद में मामला ATS (Anti Terrorism Squad) को सौंपा गया।
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20 जुलाई 2006 को ATS ने 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया
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15 आरोपी फरार घोषित हुए, जिनमें से कई के पाकिस्तान में होने का शक था
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MCOCA और UAPA जैसे कड़े कानूनों के तहत मामला दर्ज हुआ
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नवंबर 2006 में चार्जशीट दाखिल की गई
⚖️ कोर्ट का फैसला – 12 में से सभी बरी!
2015 में ट्रायल कोर्ट ने:
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5 को फांसी की सज़ा सुनाई
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7 को उम्रकैद
लेकिन 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूरे केस को पलट दिया।
अदालत का कहना था:
“अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा।
सबूत मजबूत नहीं थे।
इसलिए सभी 12 आरोपियों को बरी किया जाता है।”
❓ तो अब सवाल उठता है — जिम्मेदार कौन है?
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189 जानें गईं…
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सैकड़ों परिवार उजड़ गए…
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लेकिन कोई भी दोषी नहीं?
यह सबसे बड़ा सवाल बन गया है —
“अगर ये 12 नहीं थे, तो असली अपराधी कौन है?”
“मुंबई वालों के साथ ये अन्याय कब तक?”
🙏 आज भी लोग उस दिन को भूल नहीं पाए
हर साल 11 जुलाई आती है, और मुंबई की लोकल ट्रेनें थोड़ी धीमी चलती हैं…
लोग थोड़े शांत रहते हैं… और याद करते हैं उन अपनों को, जो कभी ऑफिस से लौट नहीं पाए।
मुंबई ब्लास्ट सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं था,
बल्कि ये उन सैकड़ों मासूम जिंदगियों का खून है,
जिन्हें रोज़मर्रा की भीड़ में यूँ ही दरिंदगी का शिकार बना दिया गया।
अब भी न्याय अधूरा है…
और देश एक ही सवाल दोहराता है —
“क्या कभी उन मौतों को इंसाफ मिलेगा?”