New research reveals :-अकेलेपन को लंबे समय से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा जाता रहा है। अब कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर नई जानकारी दी है, जाने इसके बारे में ? 

New research reveals:-अकेलापन न केवल मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक हालिया अध्ययन ने यह दिखाया है कि अकेलेपन का संबंध हमारे शरीर में मौजूद कुछ प्रोटीनों के स्तर से है, जो कई बीमारियों और मृत्यु दर को बढ़ा सकते हैं।
क्या कहता है शोध?
इस अध्ययन का नेतृत्व प्रोफेसर बारबरा सहाकियन ने किया। उनका कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही सामाजिक अलगाव और अकेलेपन को एक प्रमुख वैश्विक समस्या करार दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा, “लोगों को यह समझना होगा कि अकेलापन केवल मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।”
शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक परियोजना से 42,000 से अधिक प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि जो लोग सामाजिक अलगाव (9.3%) और अकेलेपन (6.4%) का अनुभव करते हैं, उनके रक्त में प्रोटीन का स्तर उन लोगों से अलग था जो इन भावनाओं से प्रभावित नहीं थे।
अकेलेपन और प्रोटीन
टीम ने 175 ऐसे प्रोटीन की पहचान की जो सामाजिक अलगाव से जुड़े थे, और 26 प्रोटीन जो अकेलेपन से जुड़े थे। इनमें से कई प्रोटीन ओवरलैप करते थे और सूजन, एंटीवायरल प्रतिक्रियाओं, और इम्यून सिस्टम में शामिल थे।
डॉ. चुन शेन, जो इस शोध के प्रमुख लेखक हैं, ने बताया कि इन प्रोटीनों में से लगभग 90% का संबंध मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम से है। इसके अलावा, 50% प्रोटीन हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी बीमारियों से जुड़े पाए गए।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
शोधकर्ताओं ने पाया कि अकेलापन और सामाजिक अलगाव का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि अकेलेपन ने पांच प्रमुख प्रोटीनों के स्तर को प्रभावित किया, जो सूजन और मेटाबॉलिज्म से जुड़े थे।
इन प्रोटीनों में से एक, जिसे ADM कहा जाता है, अकेलेपन और चार बीमारियों (हृदय रोग, स्ट्रोक, अन्य शारीरिक बीमारियां, और मृत्यु दर) के बीच 7.5% संबंध को स्पष्ट करता है।
विशेषज्ञों की राय
हेलसिंकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्को इलोवायनियो, जो इस शोध में शामिल नहीं थे, ने कहा कि यह अध्ययन पहले के शोध को मजबूत करता है। उन्होंने कहा, “अकेलापन और सामाजिक अलगाव का संबंध शारीरिक बीमारियों से देखा गया है, खासतौर पर तनाव के कारण सूजन की प्रक्रियाओं से।”
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि तनाव से जुड़े स्वास्थ्य व्यवहार, जैसे शराब का अत्यधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी, अकेलेपन के दुष्प्रभावों में योगदान कर सकते हैं।
शोध से यह स्पष्ट होता है कि अकेलापन केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। प्रोफेसर सहाकियन का कहना है कि लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि दूसरों से जुड़े रहना न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
यह शोध इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करता है कि कैसे समाज अकेलेपन के प्रभावों को कम कर सकता है। प्रोफेसर इलोवायनियो के अनुसार, व्यवहार में बदलाव प्रोटीन के स्तर को बदलने से कहीं अधिक सरल और प्रभावी समाधान हो सकता है।