नोएडा से एक चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है, जहां एक महिला को तीन दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर करीब 50 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। जाने इसके बारे में ? 

Noida Money laundering case:-उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले से एक और हैरान कर देने वाला साइबर फ्रॉड का मामला सामने आया है। नोएडा के सेक्टर-62 में रहने वाली किरण गुप्ता नाम की महिला को तीन दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर उनसे करीब 50 लाख रुपये की ठगी की गई। ठगों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर महिला को डराया, धमकाया और यह यकीन दिलाया कि वह एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंस चुकी हैं।
यह सब कुछ इतनी सफाई से किया गया कि महिला को तीन दिन तक किसी को कुछ भी बताने की हिम्मत नहीं हुई। जब उन्होंने बेटे से बात की, तब जाकर उन्हें समझ आया कि वो एक बड़ी ठगी का शिकार हो चुकी हैं।
किरण गुप्ता ने पुलिस को बताया कि 21 मई की दोपहर करीब ढाई बजे उनके पास एक अंजान नंबर से फोन आया। कॉल करने वाली महिला ने खुद को प्रिया शर्मा बताया और कहा कि वह दूरसंचार विभाग, नई दिल्ली से बोल रही है।
उस महिला ने बताया कि किरण का नाम मुंबई क्राइम ब्रांच के एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सामने आया है। कहा गया कि वह नरेश गोयल के 538 करोड़ के घोटाले में शामिल हैं और उन पर 2 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। महिला ने धमकी दी कि किरण का आधार कार्ड और फोन नंबर ब्लैकलिस्ट किया जाएगा और 2 घंटे में मुंबई जाकर पेश होना होगा।
🎭 फर्जी ‘क्राइम ब्रांच’ का ड्रामा
जब किरण ने कहा कि उनके लिए मुंबई जाना संभव नहीं है, तो ठगों ने तुरंत एक नया खेल शुरू किया। कुछ ही देर बाद फिर कॉल आया और उन्हें एक कथित मुंबई क्राइम ब्रांच ऑफिसर से जोड़ा गया। उस व्यक्ति ने बेहद प्रोफेशनल अंदाज में बात की, और उन्हें धमकी दी कि यदि उन्होंने सहयोग नहीं किया तो राष्ट्र सुरक्षा के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्हें अपने आधार, परिवार के डिटेल्स, एक सेल्फी, और एक पत्र भेजने को कहा गया जिसमें उन्हें अपनी बेबुनाही साबित करनी थी। इसके बाद, उन्हें निर्देश दिया गया कि किसी से बात न करें, कोई भी डिलीवरी न लें, अपने फोन से सभी सोशल मीडिया एप्स हटा दें और फोन डिस्कनेक्ट न करें।
⚖️ वर्चुअल कोर्ट और ईडी अधिकारी का जाल
22 मई को सुबह महिला को व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल किया गया, जिसे उन्होंने वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई बताया। सुनवाई के बाद उन्हें कहा गया कि अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) से संपर्क किया जाएगा।
इसके बाद उन्हें एक कथित ईडी अधिकारी का कॉल आया। उसने कहा कि अगर किरण को बेगुनाह साबित करना है तो उन्हें महाराष्ट्र की एक निजी बैंक में 50 लाख रुपये जमा करने होंगे।
साथ ही, उन्हें कहा गया कि फोन कॉल जारी रखना जरूरी है, और पैसे जमा करते वक्त फोन को बंद नहीं करना है। डर के माहौल में महिला ने 50 लाख रुपये जमा करा दिए।
🕵️ शक हुआ, तब जाकर टूटा भ्रम
पैसा जमा कराने के बाद दो दिन तक लगातार कॉल आते रहे जिनमें कहा गया कि “किसी को कुछ मत बताना, सब वेरिफिकेशन के बाद वापस हो जाएगा।”
लेकिन जब लगातार कोई वेरिफिकेशन नहीं हुआ और जवाब गोलमोल आने लगे, तो किरण को शक हुआ। उन्होंने अपने बेटे को सारी बात बताई। बेटे ने तुरंत बताया कि ये सब एक बहुत बड़ा फ्रॉड है।
बैंक ट्रांजैक्शन की जांच की गई, और साफ हो गया कि किरण ठगी का शिकार हो चुकी हैं। इसके बाद उन्होंने नोएडा साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई। अब साइबर पुलिस जांच में जुटी है।
🚨 क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?
इस तरह के मामलों में ठग किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से कैद कर लेते हैं। कॉल, धमकी, और झूठे दस्तावेजों के जरिए व्यक्ति को यह यकीन दिला दिया जाता है कि वह गंभीर कानूनी मुसीबत में है। फिर धीरे-धीरे उससे पैसे ऐंठ लिए जाते हैं।
डिजिटल अरेस्ट का मकसद होता है व्यक्ति को अकेला और असहाय महसूस कराना, ताकि वह किसी से सलाह न ले सके और ठगों के निर्देशों पर काम करता जाए।
🔒 क्या सबक मिलना चाहिए?
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सरकारी एजेंसियां कभी कॉल पर पैसे नहीं मांगतीं।
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अगर किसी भी कॉल पर डराया जाए या गोपनीयता का दबाव डाला जाए, तो तुरंत परिवार या पुलिस से संपर्क करें।
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फोन पर कभी भी अपनी आधार, बैंक डिटेल्स या ओटीपी शेयर न करें।
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किसी भी डराने-धमकाने वाले कॉल की रिकॉर्डिंग या स्क्रीनशॉट रखें और साइबर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत रिपोर्ट करें।
यह घटना एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे आज के समय में तकनीक का इस्तेमाल करके ठग किसी को भी अपना शिकार बना सकते हैं – चाहे वह पढ़ा-लिखा हो, प्रोफेशनल हो या गृहिणी।