जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुआ भीषण हिंदू नरसंहार न केवल देश को झकझोर गया, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में भी एक नया मोड़ ले आया। जाने इस ब्लॉग में पूरी खबर ? 

Pahalgam News:-जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम में 22 अप्रैल को एक बेहद दर्दनाक और खौफनाक घटना हुई। आतंकवादियों ने वहां हिंदू यात्रियों को निशाना बनाकर 25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक की बेरहमी से हत्या कर दी। आतंकियों ने लोगों से पहले उनका धर्म पूछा और फिर गोलीबारी की। इस बर्बर नरसंहार के बाद भारत ने पाकिस्तान पर सीधा आरोप लगाया कि ये हमला पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का नतीजा है।
इस हमले से नाराज़ भारत ने तुरंत कई बड़े और सख्त कदम उठाए:
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सबसे पहले, भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इस संधि के तहत भारत अपनी नदियों का पानी पाकिस्तान को भेजता था, जो वहां की खेती और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
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भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग (Embassy) में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या घटाने का आदेश दिया।
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पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए गए।
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अटारी-बाघा सीमा को भी बंद कर दिया गया, जो भारत-पाकिस्तान के बीच लोगों और व्यापार के लिए एक अहम रास्ता था।
भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान बुरी तरह से घबरा गया। हालात इतने बिगड़ गए कि पाकिस्तान को अपने पुराने दोस्त चीन से मदद मांगनी पड़ी। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने इस्लामाबाद में चीन के राजदूत जियांग जेड से मिलकर समर्थन की गुहार लगाई।
हमले के पीछे का बड़ा खुलासा
जांच एजेंसियों ने पहलगाम हमले के पीछे एक और चौंकाने वाला सच उजागर किया।
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पता चला कि इस हमले में शामिल चार आतंकियों में से दो पाकिस्तान से आए थे।
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इन चारों को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में ट्रेनिंग दी गई थी।
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यहां हमास ने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे आतंकी संगठनों के साथ मिलकर एक खास ट्रेनिंग कैंप बनाया था, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का पूरा समर्थन मिला हुआ था।
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खुफिया रिपोर्ट्स ने यह भी दिखाया कि इस हमले की योजना में वही तरीके इस्तेमाल किए गए जो अक्टूबर 2023 में इजरायल पर हुए हमास के बड़े हमले में देखे गए थे। यानी रणनीति में गहरी समानताएं थीं।
हमास और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकी
खुलासा ये भी हुआ कि फरवरी में जब इजरायल ने कुछ हमास नेताओं को छोड़ा था, तो वे पाकिस्तान के न्योते पर इस्लामाबाद पहुंचे थे।
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वहां से उन्हें सीधे पीओके ले जाया गया।
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रावलकोट शहर में इन हमास नेताओं का जोरदार स्वागत हुआ। उन्हें “मुक्तिदाता” बताकर घोड़ों पर बैठाकर शहर में घुमाया गया।
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इस रैली में हमास प्रवक्ता खालिद अल-कद्दौमी, नाजी जहीर, और हमास नेता मुफ्ती आज़म और बिलाल अलसलात भी मौजूद थे।
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इनके साथ जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का भाई तल्हा सैफ और लश्कर और जैश के कई अन्य बड़े आतंकी भी देखे गए।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि पाकिस्तान अब सिर्फ जैश और लश्कर जैसे संगठनों का समर्थन नहीं कर रहा, बल्कि अब वह हमास जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों को भी अपने साथ जोड़ रहा है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस गठजोड़ को उजागर करने की तैयारी भी शुरू कर दी है।