कर्नाटक में अगले 24 घंटे के भीतर भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है। इस गंभीर मौसम के मद्देनजर, राज्य सरकार ने 12वीं तक के सभी स्कूलों को बंद रखने के आदेश दिए हैं ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में हो रही मूसलाधार बारिश ने लोगों की परेशानियाँ बढ़ा दी हैं। इन इलाकों में लैंडस्लाइड की घटनाओं की वजह से कई जगहों पर यातायात बाधित हो रहा है। उत्तरकाशी में अचानक पहाड़ गिरने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे सड़क पर मलबा आने की वजह से दोनों तरफ से आवाजाही ठप हो गई है।
पंजाब में भी भारी बारिश ने लोगों को मुश्किलों में डाल दिया है। फरीदकोट में हुई बारिश से सड़कें दरिया बन गई हैं, जिससे वाहनों की गति काफी धीमी हो गई है और यातायात में रुकावटें पैदा हो रही हैं। इस कारण से स्थानीय लोग काफी परेशान हैं और प्रशासन को स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए, लोगों को सलाह दी गई है कि वे बिना आवश्यक कारणों के अपने घरों से बाहर न निकलें और सुरक्षित स्थानों पर रहें। मौसम विभाग और स्थानीय प्रशासन की ओर से लगातार चेतावनियाँ और मार्गदर्शन जारी किया जा रहा है ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।
असम का हाल:- मानसून की भारी बारिश ने असम के 29 जिलों में भयंकर सैलाब का संकट पैदा कर दिया है। शहरी इलाकों में भी पानी भर जाने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों को अपने घरों से निकलना मुश्किल हो गया है और चारों ओर जहां तक नजर जाती है, बस पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। इस स्थिति में यह पहचानना कठिन हो गया है कि नदी का दूसरा किनारा कहां है और गांव की सरहद किस दिशा में है। सड़कें, रास्ते और पगडंडियां सब सैलाब में डूब चुकी हैं, जिससे यातायात ठप हो गया है और लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
असम के कई जिलों में मॉनसून आफत बनकर बरस रहा है। तेज बारिश के चलते सभी नदियां उफान पर हैं। ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है, जिससे गुवाहाटी सहित कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। गुवाहाटी में लैंडस्लाइड की घटनाओं ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है, जिससे अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है। गुवाहाटी के पीर बाबा दरगाह में भी पहली बार बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे स्थानीय लोगों को और ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों के लिए आवागमन का साधन अब बस की जगह नाव बन गई है। असम में बाढ़ से मरने वालों की संख्या अब तक 62 पहुंच गई है और 29 जिलों के 21 लाख लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। राहत और बचाव कार्यों के लिए नाव का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।
सरकारी एजेंसियाँ और स्वयंसेवी संगठन मिलकर बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं। प्रभावित लोगों को आश्रय स्थलों में ले जाकर भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इसके अलावा, बाढ़ के पानी में फंसे पशुओं को भी बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस भयंकर आपदा के बीच, असम के लोगों का हौसला और धैर्य प्रशंसनीय है। प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और हर संभव मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार, आने वाले दिनों में बारिश की तीव्रता कम हो सकती है, जिससे स्थिति में कुछ सुधार की उम्मीद है। फिलहाल, सभी लोगों को सतर्क रहने और सरकारी निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है ताकि इस संकट का सामना मिलजुल कर किया जा सके।