Rajasthan News:-राजस्थान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए शून्य नामांकन वाले स्कूलों को बंद कर उन्हें अन्य स्कूलों में समाहित करने और एक ही परिसर में संचालित स्कूलों को मर्ज करने का आदेश दिया है। जाने इसके बारे में ? 

Rajasthan News:-राजस्थान सरकार ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने आदेश जारी करते हुए राज्य के उन 169 स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है, जहां शून्य नामांकन था। इन स्कूलों को आसपास के अन्य स्कूलों में समाहित किया जाएगा। इसके अलावा, एक ही परिसर में संचालित 21 स्कूलों को मर्ज करने के भी आदेश दिए गए हैं।
किन स्कूलों को बंद और मर्ज किया गया?
- 169 बंद स्कूलों में से:
- 6 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं।
- 163 प्राथमिक स्तर के विद्यालय शामिल हैं।
- 21 मर्ज किए गए स्कूलों में:
- 4 उच्च प्राथमिक विद्यालय।
- 17 प्राथमिक विद्यालय।
यह आदेश क्यों जारी हुआ?
यह फैसला उन जिला शिक्षा अधिकारियों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर लिया गया है, जिन्होंने इन स्कूलों में नामांकन की स्थिति और संसाधनों के उपयोग को लेकर रिपोर्ट सौंपी थी। इसके साथ ही, 2 जनवरी 2025 को संयुक्त शासन सचिव (आयोजना विभाग) के निर्देशों का पालन करते हुए यह आदेश जारी किया गया।
बदलाव से क्या होगा?
- शिक्षकों का पुनर्विन्यास (Staffing Pattern):
इन स्कूलों के एकीकरण के बाद छात्रों की संख्या के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। जहां शिक्षक अधिक हैं, उन्हें अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा, जहां शिक्षकों की कमी है। - स्थाई और अस्थाई संपत्तियों का हस्तांतरण:
बंद किए गए स्कूलों की सभी संपत्तियां, जैसे:- भवन
- भूमि
- फर्नीचर
- खेल मैदान
- शैक्षिक उपकरण
संबंधित नए स्कूलों को स्थानांतरित कर दी जाएंगी।
- शून्य नामांकन वाले स्कूलों का उपयोग:
जिन स्कूलों में नामांकन नहीं है, उन परिसरों का उपयोग आसपास के जरूरतमंद स्कूलों के लिए किया जाएगा।
जिलों में स्थिति:
169 बंद स्कूलों में से विभिन्न जिलों में स्कूलों की संख्या इस प्रकार है:
- जयपुर: 18 स्कूल
- जोधपुर: 17 स्कूल
- डीडवाना-कुचामन: 11 स्कूल
- करौली: 10 स्कूल
- अन्य जिलों में भी स्कूलों की संख्या 1 से 7 के बीच है, जैसे बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, बाड़मेर, सीकर आदि।
मर्ज किए गए 21 स्कूल भी कई जिलों से हैं, जिनमें भीलवाड़ा, चूरू, जयपुर, जोधपुर, कोटा और राजसमंद शामिल हैं।
इसका असर:
- छात्रों को बेहतर सुविधाएं:
स्कूलों के मर्ज होने से छात्रों को बेहतर संसाधन और पढ़ाई का माहौल मिलेगा। - शिक्षकों का प्रभावी उपयोग:
शिक्षकों को उनकी आवश्यकता के अनुसार तैनात किया जाएगा। - संसाधनों का सही इस्तेमाल:
खाली पड़े भवनों और सामग्रियों को जरूरतमंद स्कूलों में उपयोग किया जाएगा।
राज्य सरकार शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए ऐसे और कदम उठा सकती है। यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) का पालन करते हुए बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे न केवल संसाधनों का सही इस्तेमाल होगा बल्कि छात्रों और शिक्षकों दोनों को लाभ मिलेगा।