राजस्थान के एक छोटे से गांव डेडावास के जोधाराम ने ऐसा ही कर दिखाया। एक ऐसा गांव जहाँ न कोई डॉक्टर बना, न किसी ने मेडिकल की पढ़ाई की… और न ही किसी ने कभी NEET जैसी कठिन परीक्षा दी थी। जाने इसके बारे में ? 

Rajasthan Jodharam-NEET-:हर साल लाखों छात्र NEET UG परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जो तमाम मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानते। राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गांव डेडावास से ताल्लुक रखने वाले जोधाराम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है — एक ऐसा लड़का जिसने गरीबी, असफलता और सीमित संसाधनों को मात देकर नीट यूजी 2024 में ऑल इंडिया रैंक 3886 हासिल की।
जब 10वीं में आए 65% अंक और पिता बोले – अब पढ़ाई बंद करो
जोधाराम के पिता किसान हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। जब जोधाराम ने 10वीं की परीक्षा दी, तो उनके पिता ने उनसे कह दिया कि अगर 70% से ज्यादा अंक नहीं आए, तो उन्हें पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करनी होगी।
दुर्भाग्यवश, जोधाराम 65% अंक ही ला पाए और उनके पिता ने नाराज़ होकर मजदूरी करने की बात फिर से दोहरा दी। लेकिन इस मुश्किल वक्त में उनके बड़े भाई मेवाराम उनके साथ खड़े हो गए। उन्होंने जोधाराम की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
जोधपुर में मिला मौका, लेकिन नहीं थी कोचिंग
बड़े भाई के सहयोग से जोधाराम का एडमिशन जोधपुर के केआर पब्लिक सीनियर स्कूल में करवाया गया, जहां उन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत फीस माफी मिल गई। स्कूल के प्रिंसिपल ने जोधाराम को NEET परीक्षा के बारे में बताया और उन्हें डॉक्टर बनने का सपना देखने के लिए प्रेरित किया।
लेकिन असली संघर्ष तो अब शुरू हुआ था – ना कोचिंग थी, ना गाइड, और ना ही किसी ने कभी गांव में NEET के बारे में सुना था। शुरुआत में सिलेबस भी समझ में नहीं आता था, लेकिन जोधाराम ने हार नहीं मानी। उन्होंने सेल्फ स्टडी शुरू की, हर दिन पढ़ाई की, और जब कहीं अटकते तो अपने स्कूल के टीचर्स से मदद लेते।
चार बार असफलता, फिर भी हौसला नहीं टूटा
जोधाराम ने चार बार NEET परीक्षा दी, लेकिन हर बार फेल हो गए। कोई और होता तो शायद हार मान लेता, लेकिन जोधाराम ने हर बार खुद से वादा किया – “अगली बार बेहतर करूंगा।”
हर असफलता ने उन्हें और मेहनत करने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपनी रणनीति बदली, पढ़ाई के घंटे बढ़ाए, और पांचवीं बार जब परीक्षा दी तो इतिहास रच दिया।
पांचवीं बार में पास, गांव का पहला डॉक्टर बना जोधाराम
NEET UG 2024 में जोधाराम को ऑल इंडिया रैंक 3886 मिली। ये सिर्फ एक रैंक नहीं थी, ये उनके गांव गोलिया के लिए एक गर्व का पल था।
डेडावास गांव से पहली बार किसी ने NEET परीक्षा पास की थी, और वह भी बिना कोचिंग, बिना महंगे संसाधनों के, केवल मेहनत के दम पर।
जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में मिला एडमिशन, सपना है कार्डियोलॉजिस्ट बनने का
जोधाराम को जोधपुर के संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज (SNMC) में MBBS में एडमिशन मिला है। अब वो मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं और उनका सपना है कि वो कार्डियोलॉजिस्ट बनें।
वो चाहते हैं कि अपने गांव और आसपास के ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दें, ताकि कोई और बच्चा केवल डॉक्टर की कमी के चलते अपनी जिंदगी न गंवाए।
जोधाराम की कहानी उन सभी लड़कों और लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के साथ बड़े सपने देखते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों और परिवार का थोड़ा सा साथ मिल जाए, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।
सफलता की कोई शॉर्टकट नहीं होती – बस मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।